प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का नामीबिया दौरा कई मायनों में ऐतिहासिक और रणनीतिक रूप से महत्वपूर्ण रहा। यह 27 वर्षों में किसी भारतीय प्रधानमंत्री की पहली नामीबिया यात्रा थी, जिससे दोनों देशों के बीच द्विपक्षीय संबंधों को एक नई ऊर्जा मिली है। इस यात्रा को विशेषज्ञ अफ्रीका में भारत की बढ़ती रणनीतिक पकड़ और संसाधन साझेदारी की दिशा में एक मजबूत कदम मान रहे हैं।
विंडहोक में नामीबिया की राष्ट्रपति नेटुम्बो नंदी-नदैतवाह के साथ हुई बैठक में दोनों नेताओं ने डिजिटल प्रौद्योगिकी, रक्षा, सुरक्षा, कृषि, स्वास्थ्य सेवा, शिक्षा और महत्वपूर्ण खनिजों जैसे क्षेत्रों में सहयोग की समीक्षा की और इसे आगे बढ़ाने पर सहमति जताई। प्रधानमंत्री मोदी ने यह भी बताया कि बैठक में व्यापार, ऊर्जा और पेट्रोकेमिकल्स जैसे आर्थिक विषयों पर भी विस्तार से चर्चा हुई।
मोदी ने सोशल मीडिया पर साझा किए गए अपने पोस्ट में कहा कि इन क्षेत्रों में साझेदारी भविष्य के लिए दोनों देशों की प्रगति और स्थायित्व को मजबूती प्रदान करेगी। नामीबिया को उसके प्राकृतिक संसाधनों, विशेषकर महत्वपूर्ण खनिजों और ऊर्जा भंडार के कारण "अफ्रीका का सऊदी अरब" कहा जाता है, और भारत के लिए यह साझेदारी रणनीतिक दृष्टिकोण से बेहद अहम है।
इसके अतिरिक्त, प्रधानमंत्री मोदी ने 22 अप्रैल को पहलगाम में हुए आतंकी हमले और अहमदाबाद विमान हादसे पर शोक व्यक्त करने और समर्थन देने के लिए नामीबिया सरकार का आभार प्रकट किया, जो इस दौरे के कूटनीतिक और मानवीय पक्ष को दर्शाता है।
यह दौरा केवल राजनीतिक या आर्थिक नहीं, बल्कि आर्थिक कूटनीति, वैश्विक दक्षिण के साथ साझेदारी, और भारत की वैश्विक भूमिका को मजबूत करने की दिशा में एक सशक्त पहल है। यदि आप चाहें तो मैं इसका विश्लेषणात्मक लेख, संपादकीय या न्यूज़ रिपोर्ट शैली में विस्तृत प्रारूप भी तैयार कर सकता हूँ।