बीबीसी की एक हालिया रिपोर्ट में बांग्लादेश की पूर्व प्रधानमंत्री शेख हसीना को लेकर बड़ा खुलासा हुआ है, जिसने देश की राजनीति और मानवाधिकारों के प्रति सरकार के दृष्टिकोण पर गंभीर सवाल खड़े कर दिए हैं। रिपोर्ट में एक लीक ऑडियो रिकॉर्डिंग का उल्लेख किया गया है, जिसमें शेख हसीना एक वरिष्ठ सरकारी अधिकारी को छात्र प्रदर्शनकारियों पर घातक बल प्रयोग करने का निर्देश देती सुनाई देती हैं। बीबीसी ने इस ऑडियो की प्रामाणिकता की पुष्टि की है, जिससे मामले की गंभीरता और भी बढ़ जाती है।
यह घटना उस समय की है जब बांग्लादेश में सरकारी नौकरियों में लागू कोटा प्रणाली के खिलाफ छात्रों का व्यापक आंदोलन चल रहा था। छात्रों का आरोप था कि यह व्यवस्था मेधावी उम्मीदवारों के साथ अन्याय करती है और राजनीतिक पक्षपात को बढ़ावा देती है। आंदोलन देशभर में फैल गया और इसके जवाब में सरकार की तरफ से कथित रूप से सख्त कार्रवाई की गई। बीबीसी की रिपोर्ट के मुताबिक, इन आदेशों के बाद सुरक्षा बलों की गोलीबारी में कम से कम 1,400 लोगों की मौत हुई थी।
इस खुलासे के बाद शेख हसीना की भूमिका पर गंभीर सवाल उठे हैं। उनके नेतृत्व पर पहले भी विपक्षी दमन, मीडिया पर नियंत्रण और मानवाधिकार उल्लंघनों के आरोप लगते रहे हैं, लेकिन यह मामला इन सबसे अलग और कहीं अधिक गंभीर है क्योंकि इसमें सीधे तौर पर जानबूझकर हिंसा के आदेश दिए जाने की बात सामने आई है। अगर इन आरोपों की निष्पक्ष जांच नहीं हुई तो यह बांग्लादेश की लोकतांत्रिक संस्थाओं और अंतरराष्ट्रीय छवि दोनों को गहरा नुकसान पहुंचा सकता है।
यह स्थिति न केवल बांग्लादेश के आंतरिक राजनीतिक माहौल को प्रभावित कर सकती है, बल्कि अंतरराष्ट्रीय मंच पर भी उसकी जवाबदेही तय करने की मांग उठ सकती है। अब निगाहें इस पर टिकी हैं कि क्या बांग्लादेश सरकार इस मुद्दे पर पारदर्शिता दिखाएगी और क्या अंतरराष्ट्रीय समुदाय मानवाधिकार उल्लंघनों के इन आरोपों को लेकर सक्रिय भूमिका निभाएगा।