भारत द्वारा 7 मई को शुरू किए गए ऑपरेशन सिंदूर ने न केवल पहलगाम आतंकी हमले का प्रभावी जवाब दिया, बल्कि हिंद महासागर में भारत की रणनीतिक ताकत और सैन्य तैयारी को भी स्पष्ट रूप से दर्शाया। इस अभियान के तहत थल, वायु और जल—तीनों मोर्चों पर भारत ने समन्वित कार्रवाई की। भारतीय नौसेना के कैरियर बैटल ग्रुप की तैनाती ने अरब सागर में पाकिस्तान के लिए एक तरह का नो-एक्सेस ज़ोन बना दिया, जिससे उसकी गतिविधियाँ लगभग ठप हो गईं। मिग-29K लड़ाकू विमानों की सतत हवाई गश्त ने इस घेराबंदी को और भी सुदृढ़ कर दिया।
ऑपरेशन के बाद कई सप्ताह बीत जाने के बावजूद पाकिस्तान की नौसेना की अनुपस्थिति ने अंतरराष्ट्रीय और क्षेत्रीय विश्लेषकों को चौंका दिया है। पाकिस्तान की नौसेना, जो पहले ही तकनीकी और रणनीतिक चुनौतियों से जूझ रही थी, अब पूरी तरह अस्त-व्यस्त और निष्क्रिय दिख रही है। उसके युद्धपोत पुराने और जर्जर हैं, चीन से मिली तकनीकें अपेक्षित प्रदर्शन नहीं दे पा रहीं, और पनडुब्बी बेड़े की हालत भी संतोषजनक नहीं है। साथ ही, सैनिकों का मनोबल भी लगातार गिरता दिख रहा है।
इसके उलट, भारत ने अपनी नौसेना की क्षमताओं को जिस आक्रामक और रणनीतिक अंदाज़ में प्रदर्शित किया, वह न केवल पाकिस्तान के लिए एक स्पष्ट चेतावनी है, बल्कि क्षेत्रीय शक्ति संतुलन में भारत की बढ़ती भूमिका को भी रेखांकित करता है। समुद्री प्रभुत्व के इस प्रदर्शन ने यह भी संकेत दिया है कि भारत अब सीमाओं के पार से होने वाले हमलों का जवाब सिर्फ ज़मीनी या राजनयिक स्तर पर नहीं, बल्कि पूर्ण सैन्य रणनीति के तहत देने को तैयार है।
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