- आर्टिकल 240 क्या है? चंडीगढ़ को इसके दायरे में लाने के केंद्र के प्रस्ताव से पंजाब में हंगामा मच गया है! और जानें।

आर्टिकल 240 क्या है? चंडीगढ़ को इसके दायरे में लाने के केंद्र के प्रस्ताव से पंजाब में हंगामा मच गया है! और जानें।

केंद्र सरकार ने चंडीगढ़ को आर्टिकल 240 के तहत लाने का प्रस्ताव दिया है। आम आदमी पार्टी (AAP), कांग्रेस और पंजाब में अकाली दल ने इस फैसले को पंजाब की राजधानी पर कब्ज़ा करने की साज़िश बताया है।

केंद्र सरकार जल्द ही संसद में संविधान (131वां संशोधन) बिल, 2025 पेश करेगी। इस प्रस्ताव का मुख्य मकसद चंडीगढ़ को संविधान के आर्टिकल 240 के तहत केंद्र शासित प्रदेशों की कैटेगरी में शामिल करना है, जहाँ राष्ट्रपति सीधे ऐसे नियम बनाते हैं जिनका असर कानून जैसा ही होता है। एक बार संशोधन पास हो जाने के बाद, चंडीगढ़ के एडमिनिस्ट्रेटिव स्ट्रक्चर में नए बदलाव का रास्ता साफ हो जाएगा। यह बिल आने वाले विंटर सेशन में पेश किए जाने की संभावना है, जो 1 दिसंबर से शुरू हो रहा है।

संसदीय दस्तावेजों में दी गई जानकारी के मुताबिक, केंद्र सरकार चंडीगढ़ को उन केंद्र शासित प्रदेशों का दर्जा देना चाहती है, जहाँ विधानसभा नहीं है या विधानसभा सस्पेंड है। इनमें अंडमान और निकोबार द्वीप समूह, लक्षद्वीप द्वीप समूह, दादरा और नगर हवेली, दमन और दीव, और खास हालात में पुडुचेरी शामिल हैं। आर्टिकल 240 के तहत बनाए गए प्रेसिडेंशियल रेगुलेशन का असर पार्लियामेंट के कानून जैसा ही होता है, इसलिए इस बदलाव से चंडीगढ़ का एडमिनिस्ट्रेटिव कंट्रोल लगभग पूरी तरह से केंद्र सरकार के पास चला जाएगा।

पंजाब में तीखी प्रतिक्रिया
इस प्रस्ताव से पंजाब की राजनीति में बहुत ज़्यादा उथल-पुथल मच गई है। राज्य के मुख्यमंत्री भगवंत मान ने इसे पंजाब के साथ बहुत बड़ा अन्याय बताते हुए कहा कि यह कदम चंडीगढ़ को पंजाब से अलग करने की साज़िश लगता है। उन्होंने कहा कि पंजाब असली राज्य है और ऐतिहासिक रूप से चंडीगढ़ पर उसका हक है।

दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने भी केंद्र सरकार पर हमला बोलते हुए कहा कि यह प्रस्ताव फेडरल स्ट्रक्चर को कमजोर करता है और पंजाब की पहचान पर सीधा हमला है। उन्होंने साफ कहा कि चंडीगढ़ पहले भी पंजाब का था और अब भी पंजाब का है, और पंजाब इस बिल को पास नहीं होने देगा।

बिल के विरोध का ऐलान
कांग्रेस ने भी बिल के विरोध का ऐलान किया है। पंजाब कांग्रेस के प्रेसिडेंट अमरिंदर सिंह राजा वड़िंग ने कहा कि यह कदम न सिर्फ पूरी तरह से गलत है बल्कि इसके दूरगामी बुरे नतीजे हो सकते हैं। उन्होंने BJP नेताओं से इस मुद्दे पर अपना रुख साफ करने की भी मांग की।

अकाली दल का आरोप
SAD प्रेसिडेंट सुखबीर सिंह बादल ने केंद्र सरकार पर गंभीर आरोप लगाते हुए कहा कि यह प्रपोज़ल 1970 के एग्रीमेंट का उल्लंघन करता है, जिसके तहत चंडीगढ़ पंजाब को सौंपा जाना था। उन्होंने यह भी बताया कि राजीव-लोंगोवाल समझौता अभी तक लागू नहीं हुआ है और नया अमेंडमेंट पंजाब के हितों को और कमज़ोर करेगा। अकाली दल ने इस मुद्दे पर एक इमरजेंसी मीटिंग बुलाई है और अपनी विरोध की स्ट्रैटेजी को फ़ाइनल कर दिया है।

कानूनी और संवैधानिक रूप से संदिग्ध कदम
नॉर्थ अमेरिकन पंजाबी एसोसिएशन ने भी केंद्र सरकार के प्रपोज़ल पर गंभीर सवाल उठाए हैं। उनका कहना है कि यह कदम पंजाब के संवैधानिक अधिकारों का उल्लंघन करता है और चंडीगढ़ पर पंजाब के ऐतिहासिक दावे को कमज़ोर करता है। विदेशों में पंजाबी संगठनों ने भी चिंता जताई है।

अभी चंडीगढ़ को कौन कंट्रोल करता है?
अभी, चंडीगढ़ का एडमिनिस्ट्रेशन पंजाब के गवर्नर के हाथ में है, जो 1 जून, 1984 से शहर के एडमिनिस्ट्रेटर हैं। 2016 में, केंद्र ने एक अलग एडमिनिस्ट्रेटर नियुक्त करने की योजना बनाई थी, लेकिन पंजाब में सभी पार्टियों के कड़े विरोध के बाद उसे यह फ़ैसला वापस लेना पड़ा था। इस इतिहास को देखते हुए, नया संशोधन पंजाब में और भी ज़्यादा सेंसिटिव मुद्दा बन गया है।

सभी पार्टियां एक प्लेटफॉर्म पर
इस मुद्दे ने पंजाब में तनाव का माहौल बना दिया है, आम आदमी पार्टी, कांग्रेस और अकाली दल एकमत होकर केंद्र के प्रस्ताव का विरोध कर रहे हैं। सभी पार्टियों का कहना है कि वे इस बिल को पार्लियामेंट से लेकर सड़क तक हर लेवल पर चुनौती देंगी।

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