- बेस्ट चुनाव में ठाकरे बंधुओं का खाता नहीं खुला, सीएम देवेंद्र फडणवीस बोले, 'लगता है...'

बेस्ट चुनाव में ठाकरे बंधुओं का खाता नहीं खुला, सीएम देवेंद्र फडणवीस बोले, 'लगता है...'

माना जा रहा था कि ठाकरे बंधुओं के उत्कर्ष पैनल और महायुति के सहकार समृद्धि पैनल के बीच कड़ा मुकाबला होगा। लेकिन सभी अनुमान गलत साबित हुए।

महाराष्ट्र में कई लोगों ने दावा किया था कि ठाकरे बंधुओं के साथ आने से महाराष्ट्र की राजनीति में बड़ा बदलाव आएगा, लेकिन 20 साल बाद साथ आने के बाद पहले ही चुनाव में उद्धव ठाकरे और राज ठाकरे कोई कमाल नहीं कर पाए। दरअसल, बेस्ट चुनाव में ठाकरे बंधुओं के पैनल ने साथ मिलकर चुनाव लड़ा था, लेकिन कोई खास असर नहीं दिखा। जबकि बेस्ट को ठाकरे की मजबूत कड़ी माना जाता है। इस पर सीएम देवेंद्र फडणवीस की प्रतिक्रिया सामने आई है।

सीएम फडणवीस ने क्या कहा?

सीएम देवेंद्र फडणवीस ने कहा कि यह हार 'ठाकरे ब्रांड' को जनता द्वारा नकारे जाने को दर्शाती है। मुख्यमंत्री ने बुधवार (20 अगस्त) को कहा, "मुझे लगता है कि इस तरह के चुनाव का राजनीतिकरण करने की कोई ज़रूरत नहीं थी, क्योंकि यह सिर्फ़ एक ऋण समिति का चुनाव था। लेकिन उन्होंने ठाकरे ब्रांड की जीत के बड़े-बड़े दावे करके इसका राजनीतिकरण कर दिया। लेकिन लगता है लोगों को यह पसंद नहीं आया। चुनाव परिणाम लोगों की अस्वीकृति को दर्शाते हैं।"

ठाकरे बंधुओं को एक भी सीट नहीं मिली

माना जा रहा था कि ठाकरे बंधुओं के उत्कर्ष पैनल और महायुति के सहकार समृद्धि पैनल के बीच कड़ा मुकाबला होगा, लेकिन सभी अनुमानों को गलत साबित करते हुए शशांक राव पैनल ने 14 सीटें जीतकर सबको चौंका दिया। वहीं, महायुति को कुल 7 सीटें मिलीं। ठाकरे बंधुओं को एक भी सीट नहीं मिली।

आधी रात को पलटे नतीजे

इससे पहले महायुति को 9 सीटें मिली थीं, लेकिन आधी रात को हुई पुनर्गणना में शशांक राव पैनल के दो और उम्मीदवार जीत गए और नतीजे पलट गए। पिछले 9 सालों से बेस्ट में ठाकरे गुट का दबदबा था, लेकिन इस बार यह आंकड़ा 400 के पार चला गया। शशांक राव पैनल सत्ता में आ गया है। ठाकरे बंधुओं के उत्कर्ष पैनल को एक भी सीट न मिलना उनके लिए बड़ा झटका माना जा रहा है।

ठाकरे बंधुओं के लिए यह एक अग्निपरीक्षा थी
यह चुनाव ठाकरे बंधुओं की नई एकता की अग्निपरीक्षा माना जा रहा था, लेकिन शून्य सीटों ने राज ठाकरे और उद्धव ठाकरे, दोनों की चिंताएँ बढ़ा दी हैं। मतदाताओं ने ठाकरे गुट को नकार दिया है।

शशांक राव पैनल की जीत का कारण शशांक राव पैनल की जीत का कारण वर्षों से श्रमिक संगठनों से उनका जुड़ाव, आंदोलनों में सक्रिय भूमिका और बेस्ट कर्मचारियों के मुद्दों को उठाना था।

महाराष्ट्र में कुछ ही महीनों में बीएमसी चुनाव होने वाले हैं, इसलिए इसे दोनों भाइयों के लिए एक बड़ा झटका माना जा रहा है। बेस्ट के सभी कर्मचारी मराठी होने के कारण, मुंबई में बेस्ट और ठाकरे परिवार के बीच रिश्ते अलग रहे हैं।

बालासाहेब के समय से ठाकरे ब्रांड का बोलबाला रहा है
बालासाहेब ठाकरे के समय से ही बेस्ट समिति पर ठाकरे का परचम लहरा रहा है। एक समय पूर्व मुख्यमंत्री और भाजपा सांसद नारायण राणे भी इस पर राज कर चुके हैं। बेस्ट समिति। लेकिन इन नतीजों से साफ़ ज़ाहिर होता है कि मराठी लोग भी अब ठाकरे बंधुओं से नाराज़ हैं।

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