नई दिल्ली । साल 2020 में दिल्ली में हुए दंगों के दौरान भीड़ ने एक मेडिकल स्टोर को आग लगा दी थी। अब इस मामले में अदालत ने पर्याप्त गवाह न होने की वजह से नौ लोगों को बरी कर दिया है। अदालत 25 फरवरी, 2020 को भागीरथी विहार के बृजपुरी रोड पर एक मेडिकल स्टोर में आग लगाने वाली दंगाई भीड़ का हिस्सा होने के आरोपी नौ लोगों के खिलाफ एक मामले पर फैसला सुनाते हुए कहा कि एक गवाह की एकमात्र गवाही आरोपियों के वहां उनकी उपस्थिति मानने के लिए पर्याप्त नहीं थे। अतिरिक्त सत्र न्यायाधीश पुलस्त्य प्रमाचला ने हाल के एक आदेश में कहा, मैंने पाया है कि सभी आरोपियों के खिलाफ लगाए गए आरोप संदेह से परे साबित नहीं हुए हैं। इसलिए, आरोपियों को इस मामले में उनके खिलाफ लगाए गए सभी आरोपों से बरी किया जाता है। न्यायाधीश ने कहा कि यह अच्छी तरह से पता था कि एक गैरकानूनी सभा दंगे, तोड़फोड़ और आगजनी में शामिल थी, लेकिन अभियुक्त की पहचान के लिए शिकायतकर्ता सहित तीन सार्वजनिक गवाहों ने अभियोजन पक्ष के मामले का समर्थन नहीं किया और उन्हें पक्षद्रोही घोषित कर दिया गया। दो पुलिस अधिकारियों के द्वारा पेश किए सबूतों से अभियुक्तों की पहचान साबित नहीं हुई और कॉन्स्टेबल विपिन अभियोजन पक्ष के इकलौते गवाह हैं, जिन्होंने बताया कि वह भीड़ का हिस्सा थे। अदालत ने कहा कि आरोपियों के नाम और विवरण जानने के बावजूद, कांस्टेबल ने औपचारिक रूप से 20 मार्च, 2020 को देरी से जानकारी दर्ज की और मामले में महत्वपूर्ण सबूतों को जुटाने में देरी हुई है। इसी कारण मैं चाहता हूं कि एक से ज्यादा गवाह मामले में होने चाहिए। साथ ही न्यायाधीश ने कहा कि भीड़ में किसी भी आरोपी की उपस्थिति के बारे में पता लगाने के लिए पुलिसकर्मी की एकमात्र गवाही आधार नहीं हो सकती और इसी कारण आरोपी व्यक्तियों को संदेह का लाभ दिया जाता है।
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