पद्मश्री विजेता और आईसीएआर के पूर्व प्रमुख सुब्बान्ना अय्यप्पन (70) का शव कावेरी नदी में सड़ी-गली अवस्था में मिला। 7 मई से लापता अय्यप्पन का स्कूटर नदी किनारे मिला। पुलिस को आत्महत्या का संदेह है, लेकिन जांच जारी है। नीली क्रांति के जनक अय्यप्पन मैसूर के रामकृष्ण आश्रम और साईं बाबा आश्रम में ध्यान लगाया करते थे। शव का पोस्टमार्टम किया जा रहा है।
मंड्या। भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद (आईसीएआर) के पूर्व महानिदेशक और पद्मश्री पुरस्कार से सम्मानित सुब्बान्ना अय्यप्पन की संदिग्ध परिस्थितियों में मौत हो गई है। उनका शव श्रीरंगपटना के पास कावेरी नदी में सड़ी-गली अवस्था में मिला। शनिवार को लोगों ने शव को नदी में तैरता देखा तो शव को बाहर निकाला। 70 वर्षीय अय्यप्पन 7 मई से लापता थे। उनके परिजनों ने मैसूर के विद्यारण्यपुरम थाने में शिकायत दर्ज कराई थी।
अगर आप देश और दुनिया की ताज़ा ख़बरों और विश्लेषणों से जुड़े रहना चाहते हैं, तो हमारे यूट्यूब चैनल और व्हाट्सएप चैनल से जुड़ें। 'बेजोड़ रत्न' आपके लिए सबसे सटीक और बेहतरीन समाचार प्रदान करता है। हमारे यूट्यूब चैनल पर सब्सक्राइब करें और व्हाट्सएप चैनल पर जुड़कर हर खबर सबसे पहले पाएं।
youtube- https://www.youtube.com/@bejodratna646
whataapp-https://whatsapp.com/channel/0029VaAG4A190x2t7VvoGu3v
अय्यप्पन आईसीएआर का नेतृत्व करने वाले पहले वैज्ञानिक थे जो फसलों के विशेषज्ञ नहीं थे। वे एक जलीय कृषि वैज्ञानिक थे। उन्होंने भारत की 'नीली क्रांति' में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। विज्ञान और इंजीनियरिंग में उनके योगदान के लिए उन्हें 2022 में भारत सरकार द्वारा पद्म श्री से सम्मानित किया गया।
पुलिस के अनुसार, अय्यप्पन का स्कूटर नदी के किनारे लावारिस हालत में मिला। प्रारंभिक जांच के अनुसार, यह संदेह है कि अय्यप्पन श्रीरंगपटना में साईं बाबा आश्रम के पास नदी में कूद गए होंगे। शव को पोस्टमार्टम के लिए भेज दिया गया है। रिपोर्ट का इंतजार है। पुलिस ने कहा कि पूरी जांच के बाद ही मौत के कारणों का पता चलेगा। अय्यप्पन मैसूर के रहने वाले थे।
परिवार के सदस्यों ने पुलिस को बताया कि अय्यप्पन अक्सर ध्यान के लिए कावेरी नदी के किनारे जाते थे। वे मैसूर में रामकृष्ण आश्रम भी अक्सर जाते थे। डॉ. अय्यप्पन 2016 तक आईसीएआर प्रमुख थे। उन्हें 2013 में कर्नाटक राज्योत्सव पुरस्कार से सम्मानित किया गया था।
एक जलीय कृषि वैज्ञानिक के रूप में, अय्यप्पन ने दिल्ली, मुंबई, भोपाल, बैरकपुर, भुवनेश्वर और बेंगलुरु सहित कई शहरों में काम किया। उन्होंने भुवनेश्वर में सेंटर इंस्टीट्यूट ऑफ फ्रेशवॉटर एक्वाकल्चर (CIFA) और मुंबई में सेंट्रल इंस्टीट्यूट ऑफ फिशरीज एजुकेशन (CIFE) के निदेशक के रूप में कार्य किया।