- भारत-पाक के बीच संघर्ष विराम में अमेरिका और सऊदी ने निभाई भूमिका, जानिए अन्य देशों ने क्या कहा?

भारत-पाक के बीच संघर्ष विराम में अमेरिका और सऊदी ने निभाई भूमिका, जानिए अन्य देशों ने क्या कहा?

अमेरिका, सऊदी अरब, कतर और यूएई सरकारों के प्रतिनिधियों ने दोनों देशों के प्रधानमंत्रियों और विदेश मंत्रियों से संपर्क कर उनके बीच संवाद स्थापित किया। एक दिन पहले भारत और पाकिस्तान के बीच तनाव में हस्तक्षेप नहीं करने की बात कहने वाला अमेरिका शुक्रवार शाम से ही दक्षिण एशियाई परमाणु संपन्न देशों से कई स्तरों पर संपर्क में है।

नई दिल्ली। भारत और पाकिस्तान के बीच शांति स्थापित करने के लिए शनिवार दोपहर को समझौता हो गया, लेकिन दोनों देशों के शीर्ष नेताओं के बीच मध्यस्थता के प्रयास पिछले 48 घंटों से चल रहे थे।

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इन देशों ने भारत-पाकिस्तान से किया संपर्क

अमेरिका, सऊदी अरब, कतर और यूएई सरकारों के प्रतिनिधियों ने दोनों देशों के प्रधानमंत्रियों और विदेश मंत्रियों से संपर्क कर उनके बीच संवाद स्थापित किया।
एक दिन पहले भारत और पाकिस्तान के बीच तनाव में हस्तक्षेप नहीं करने की बात कहने वाला अमेरिका शुक्रवार शाम से ही दक्षिण एशियाई परमाणु संपन्न देशों से कई स्तरों पर संपर्क में है।

पाकिस्तान सरकार ने जारी किया आदेश

अमेरिकी विदेश विभाग ने शनिवार देर शाम जारी प्रेस विज्ञप्ति में यह जानकारी भी दी है। यहां तक ​​दावा किया गया है कि भारत और पाकिस्तान ने तटस्थ स्थल पर कई मुद्दों पर चर्चा करने पर सहमति जताई है। हालांकि भारत ने इस बात को स्वीकार किया है कि दोनों देशों के सैन्य अधिकारियों के बीच ही बातचीत हुई है। 


वहीं दूसरी ओर पाकिस्तान सरकार भी कह रही है कि वह भारत के साथ बातचीत करेगी। उपराष्ट्रपति जेडी वेंस ने पीएम मोदी से की बात अमेरिकी विदेश विभाग की जानकारी के अनुसार- 'पिछले 48 घंटों में उपराष्ट्रपति जेडी वेंस और विदेश मंत्री रुबियो ने पीएम नरेंद्र मोदी, पाक पीएम शाहबाज शरीफ, विदेश मंत्री जयशंकर, पाक सेना प्रमुख जनरल मुनीर, भारत के एनएसए अजीत डोभाल से बात की। भारत और पाकिस्तान इस बात पर सहमत हुए हैं कि वे तटस्थ स्थल पर अन्य व्यापक मुद्दों पर बातचीत शुरू करेंगे। हम पीएम मोदी और पीएम शरीफ को उनकी समझदारी और शासन कौशल तथा शांति का रास्ता अपनाने के लिए बधाई देते हैं।

 भारत और पाकिस्तान के बीच सीधा संवाद भी हुआ है। शुक्रवार को खबर आई थी कि भारत और पाकिस्तान के राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकारों के बीच भी बातचीत हुई है। इस बारे में पूछे जाने पर विदेश सचिव विक्रम मिस्री ने शुक्रवार को इससे इनकार नहीं किया। अमेरिकी विदेश विभाग ने कहा कि रुबियो ने पाकिस्तानी विदेश मंत्री से कहा है कि दोनों पक्षों को तनाव खत्म करने के लिए निश्चित तौर पर कदम उठाने चाहिए।

 इसी तरह उन्होंने भारतीय विदेश मंत्री से कहा है कि दोनों देशों को सैन्य तनाव कम करने का रास्ता तलाशने की जरूरत है। सऊदी अरब के विदेश मंत्री फैसल बिन फरहान ने भी भारत से बात की रुबियो ने जयशंकर को यह प्रस्ताव भी दिया कि अमेरिका किसी भी तरह के विवाद से बचने के लिए लाभकारी वार्ता करने में मदद करने को तैयार है। 


दूसरी ओर सऊदी अरब के विदेश मंत्री फैसल बिन फरहान ने भी भारत और पाकिस्तान के विदेश मंत्रियों से अलग-अलग बात की। पहलगाम हमले के दिन से ही सऊदी अरब दोनों देशों के संपर्क में है। 

22 अप्रैल को जब निर्दोष पर्यटकों पर आतंकी हमला हुआ था, तब पीएम नरेंद्र मोदी सऊदी अरब में थे। भारत द्वारा ऑपरेशन सिंदूर शुरू करने के बाद सऊदी अरब ने अपने उप विदेश मंत्री को भारत और पाकिस्तान के दौरे पर भेजा था। पाकिस्तान की हरकत का जवाब देगा भारत शनिवार को विदेश मंत्री फैसल ने जयशंकर से बात की और शांति स्थापित करने के तरीकों पर चर्चा की। 

भारत ने सऊदी अरब को साफ कर दिया कि भारत अपने नागरिकों की सुरक्षा को ध्यान में रखते हुए कार्रवाई कर रहा है। भारत का यह कदम उकसावे वाला नहीं है, लेकिन अगर पाकिस्तान की ओर से कोई कार्रवाई की जाती है तो वह इसका पूरी ताकत से जवाब देगा। सूत्रों ने बताया है कि अमेरिकी मध्यस्थता के बीच सेना के तीनों अंगों के प्रमुखों के साथ पीएम मोदी की बैठक में यह बात भी सामने आई कि ऑपरेशन सिंदूर का रणनीतिक उद्देश्य हासिल कर लिया गया है। 

इससे जुड़े सभी मुद्दों पर चर्चा के बाद ही भारत 10 मई की शाम 5 बजे से युद्धविराम पर राजी हुआ। दोनों देशों के बीच आखिरी बातचीत 10 साल पहले हुई थी। 
गौरतलब है कि भारत और पाकिस्तान के बीच सरकार स्तर पर बातचीत की आखिरी कोशिश दिसंबर 2015 में की गई थी। तब पूर्व विदेश मंत्री सुषमा स्वराज अफगानिस्तान पर एक बैठक में हिस्सा लेने इस्लामाबाद गई थीं। उससे पहले बैंकॉक में भारत और पाकिस्तान के राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकारों की बैठक भी हुई थी। 

जनवरी 2016 में दोनों देशों के विदेश सचिवों के बीच बैठक भी तय हुई थी। उसी दौरान पठानकोट आतंकी हमले के बाद भारत ने कड़ा रुख अपनाते हुए पाकिस्तान से किसी भी तरह की बातचीत न करने का फैसला किया था। अब देखना यह है कि अमेरिका के दावे के बाद दोनों पड़ोसी देशों के बीच रिश्तों की स्थिति बदलती है या नहीं।

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