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बेटी का शव बाइक पर रखकर चला पिता, कलेक्टर ने पिता को शव वाहन उपलब्ध कराया
शहडोल। शहडोल जिले में एक बेबस पिता इलाज के दौरान बच्ची की मौत के बाद उसके शव को बाइक पर रखकर घर की ओर निकल पड़ा। अस्पताल में उसे शव वाहन नहीं मिला था। मामले की जानकरी लगते ही शहडोल की कलेक्टर मौके पर पहुंची। उन्होंने पिता को शव वाहन उपलब्ध कराया।
आदिवासी बाहुल्य शहडोल संभाग में हालांकि आज भी यह एक आम समस्या है। कभी खाट, कभी बाइक, कभी रिक्शा तो कभी शव को हाथ में लेकर जाने के मामले सामने आते रहते हैं। शहडोल जिले के बुढ़ार ब्लॉक के कोटा गांव के लक्षमण सिंह गोड़ ने अपनी 13 वर्षीय बेटी माधुरी गोड़ को इलाज के लिए 12 मई को जिला अस्पताल शहडोल में भर्ती कराया था। माधुरी सिकल सेल बीमारी से पीड़ित थी। उसका 2 दिन तक जिला अस्पताल में इलाज चलता रहा, लेकिन माधुरी की जान नहीं बच सकी। माधुरी की मौत हो जाने के बाद परिजनों ने शव को अपने घर तक ले जाने के लिए शव वाहन करने की कोशिश की, लेकिन उन्हें सहायता नहीं मिली।
पिता ने जिला अस्पताल प्रबंधन से शव वाहन मांगा तो जवाब मिला कि 15 किमी से ज्यादा दूरी के लिए शव वाहन नहीं मिलेगा। आपको खुद इसका इंतजाम करना पड़ेगा। आर्थिक स्थिति ठीक ना होने से परिजन निजी शव वाहन का खर्च नहीं उठा सकते थे। इसलिए उन्होंने बाइक पर शव लादकर घर ले जाने का निर्णय लिया।
परिजन शव को मोटरसाइकिल पर रखकर घर के लिए निकल पड़े। शहडोल शहर के बीच से शव को मोटर साइकिल पर ले जाने की सूचना कलेक्टर वंदना वैद्य को मिली। कलेक्टर परिजनों के पास पहुंची और सिविल सर्जन को तत्काल शव वाहन भेजने के निर्देश दिए। सिविल सर्जन डॉ जी एस परिहार भी मौके पर पहुंचे और पीड़ित परिवार को शव वाहन उपलब्ध करा कर उन्हें उनके गांव भेजा। पीड़ित परिजनों के लिये समाजसेवी ने भोजन और पानी की व्यवस्था करा उन्हें गांव के लिए रवाना किया। कलेक्टर ने परिजनों को आर्थिक सहायता भी दी है।
माधुरी के पिता लक्ष्मण सिंह गौड़ ने बताया कि हमने अस्पताल में शव वाहन मांगा था, लेकिन उन्होंने कहा कि 15 किलोमीटर से अधिक दूरी के लिए नहीं मिलेगा। पैसा ना होने के कारण हम मोटरसाइकिल पर ही बिटिया का शव लेकर चल पड़े। कलेक्टर वंदना वैद्य ने बताया कि उन्हें जैसे ही जानकारी मिली कि कोई व्यक्ति मोटरसाइकिल पर शव लेकर जा रहा है तो तत्काल मौके पर पहुंचकर उन्हें शव वाहन उपलब्ध कराया और सहायता राशि देकर उन्हें घर के लिए रवाना किया। शहडोल जिले में आये दिन इस तरह के मामले सामने आते रहे हैं। हंगामा होने के बाद प्रशासन हर बार व्यवस्था दुरुस्त करने का दावा भी करता है, लेकिन लाचार गरीबों को शव वाहन की सुविधा नहीं मिलती है।
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