- विकसित देशों में महंगाई युद्ध से भी बड़ी समस्या

विकसित देशों में महंगाई युद्ध से भी बड़ी समस्या


लंदन, | जब रुस ने यूक्रेन पर हमला किया तो लोगों को लगा कि यह युद्ध दुनिया के लिए सबसे बड़ी समस्या बनने वाला है| इसके बाद हमास ने इजराइल पर हमला कर एक नये युद्ध का सूत्रपात किया तब भी लोगों को लगा कि दो शक्तियों में बंटती दुनिया के बीच विश्व युद्ध का आगाज हो गया है| ऐसे में दुनिया के लिए सबसे बड़ा खतरा पैदा करने वाला बन चुका है, लेकिन एक रिपोर्ट के मुताबिक दुनिया में महंगाई एक ऐसी समस्या है जिसके सामने ये युद्ध भी फीके नजर आ रहे हैं| इस समय दुनिया युद्ध में उलझ चुकी है| युद्ध के तनाव से निकलने के लिए तरह-तरह के विचार और परामर्श सामने आ रहे हैं, लेकिन आपको यह जानकर हैरानी होगी कि ग्लोबल साउथ के 29 देश वैश्विक महंगाई से खासे तनाव में हैं| इन देशों के करीब 39 फीसदी लोगों का मानना है कि यह महंगाई आने वाले समय में और अधिक विकराल रुप धारण करेगी और इससे लोगों का जन-जीवन बुरी तरह प्रभावित होगा| इस आंकलन से पहले एक रिपोर्ट और जारी की गई थी,

 

महंगाई के खिलाफ लड़ाई में उत्साह का कोई कारण नहीं | पुदीना

जिसमें विकसित अर्थव्यवस्था, जलवायु और वित्तीय संकट को केंद्र में रखकर महंगाई पर चर्चा की गई थी| इसके मुताबिक विकसित अर्थव्यवस्थाएं जो कभी जलवायु कार्रवाई के मामले में अग्रिम पंक्ति पर खड़ी नज़र आ रहीं थीं, अब वो काफ़ी पीछे नजर आती हैं|  इसकी प्रमुख वजह वर्ष 2008-2010 के दौरान पश्चिमी देशों में आए वित्तीय संकट के बाद से ही अंतर्राष्ट्रीय अर्थव्यवस्था का डगमगाना रहा है| इस वजह से वैश्विक स्तर अनेक बदलाव भी आए, साथ ही कहीं न कहीं ओपन इकोनॉमी यानी खुली अर्थव्यवस्था का पतन और नियम क़ानून पर आधारित वैश्विक व्यापार प्रभावित हुआ|  यही नहीं चीन द्वारा आक्रामकता के साथ निवेश फ्रेमवर्क पर एक रणनीति के तहत बढ़ा हुआ टैक्स लगाया गया ताकि उसे नियंत्रित किया जा सके| इसने भी विश्व स्तर पर महंगाई को बढ़ाने का काम किया है| 

महंगाई के खिलाफ लड़ाई में उत्साह का कोई कारण नहीं | पुदीना

 

यह एक सच्चाई है कि यूक्रेन संकट के साथ वैश्विक स्तर पर बढ़ी महंगाई एवं पश्चिम एशिया में 2020 के अब्राहम समझौते जैसी पहल ने इन सभी  परिस्थितियों  को और बिगाड़ दिया| हब जबकि इजराइल और हमास के बीच जारी युद्ध से दुनियां चिंतित नजर आती है तो वहीं वैश्विक महंगाई लोगों को एक बार फिर इस दिशा में सोचने पर मजबूर कर रही है| लोगों का तो यहां तक कहना है कि इन युद्धों की विभीषिका से तो लोग एक समय बाद उभर भी जाएंगे, लेकिन बढ़ती महंगाई सालों साल लोगों का जीवन जीना दूभर कर देगी| विश्व को इससे निजाद दिलाना विकसित देशों के लिए चुनौती बना हुआ है|  

 

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महंगाई के खिलाफ लड़ाई में उत्साह का कोई कारण नहीं | पुदीना

जारी रिपोर्ट के मुताबिक पिछले डेढ़ साल से इन देशों के लिए महंगाई सबसे बड़ी चिंता का विषय बनी हुई है| भारत में भी लोगों का यही मानना है और 47 फीसदी लोग तो यही कहते हैं कि महंगाई ने सारी चिंताओं को छोटा कर दिया है| अमेरिका में महंगाई को चिंता का विषय मानने वाले 62 फीसदी लोग हैं, कनाडा में 68, यूके में 71, जर्मनी में 77 और अर्जेंटीना में 83 फीसदी लोग हैं| आपको बतला दें कि यह रिपोर्ट ग्लोबल मार्केट रिसर्च फर्म इन्प्सोस ने अक्टूबर में जारी की| इनमें बेरोजगारी की समस्या भी चिंता बढ़ाने वाली है, जिसमें कहा गया है कि पिछले एक साल से बेरोजगारी का आंकड़ा स्थिर है| 
महंगाई के खिलाफ लड़ाई में उत्साह का कोई कारण नहीं | पुदीना

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