नई दिल्ली । मप्र में भाजपा ने मोहन यादव को सीएम बनाकर समूची यादव बिरादरी को अपनी ओर खींचा है। मप्र की राजनीति का असर अब यूपी में भी पहुंच गया है, जहां भाजपा ओबीसी को लेकर सपा और आरजेडी से भी आगे निकल गई है। भाजपा ने मोहन यादव को सूबे की कमान सौंपने का ऐलान कर दिया है। यह पूरा घटनाक्रम मध्य प्रदेश की राजधानी भोपाल में चला, लेकिन असर यूपी, बिहार, हरियाणा और राजस्थान तक दिख रहा है।
मोहन यादव को सीएम बनाकर भाजपा ने एक ऐसा दांव चल दिया है, जिसकी काट करना सपा, आरजेडी और कांग्रेस जैसे दलों के लिए मुश्किल होगा। भाजपा पहले भी उमा भारती, कल्याण सिंह, शिवराज सिंह चौहान जैसे ओबीसी मुख्यमंत्री दिए हैं, लेकिन अब तक उसकी सियासी कोशिश गैर-यादव ओबीसी को एकजुट करने तक रही है। बता दें कि यूपी में करीब 10 फीसदी और बिहार में 14 पर्सेंट यादव बिरादरी को भी भाजपा लुभाने की कोशिश में है। इसी के तहत उसने मोहन यादव को मध्य प्रदेश का सीएम बनाया है। हरियाणा और राजस्थान में भी यादव समाज की अच्छी संख्या है।
इस तरह भोपाल में हुए फैसले का असर 4 राज्यों में 2024 में देखने को मिल सकता है। भाजपा इससे यह संदेश देने का प्रयास करेगी कि उसने ओबीसी के नेताओं को आगे बढ़ाया है और वह यादवों को भी महत्व देती रही है। ऐसा कहने के लिए उसके पास पर्याप्त आधार भी मौजूद हैं। दरअसल भाजपा ने मध्य प्रदेश में मोहन यादव को सीएम बनाया है तो केंद्र सरकार में उसने 4 मंत्री भी बनाए हैं। राजस्थान से आने वाले भूपेंद्र यादव, हरियाणा के राव इंद्रजीत सिंह, बिहार के नित्यानंद राय और झारखंड की अन्नपूर्णा देवी यादव ही हैं। इसके अलावा संसदीय बोर्ड में सुधा यादव और पिछड़ा वर्ग आयोग के चेयरमैन हंसराज अहीर भी इसी समाज से आते हैं। भूपेंद्र यादव को तो केंद्रीय चुनाव समिति में भी जगह दी गई है। भाजपा ने दूसरी बार मप्र में यादव सीएम बनाया है। इससे पहले बाबूलाल गौर सीएम रह चुके हैं।