भारत ने बांग्लादेशी नेता हसनत अब्दुल्ला के भारत के "सेवन सिस्टर" राज्यों के बारे में दिए गए बयान के बाद बांग्लादेशी हाई कमिश्नर को तलब किया है। पूरी घटना के बारे में और जानें।
भारत और बांग्लादेश के बीच रिश्ते एक बार फिर तनावपूर्ण हो गए हैं। भारत सरकार ने ढाका में भारतीय हाई कमीशन की सुरक्षा को लेकर गंभीर चिंता जताई है। इस संबंध में, भारतीय विदेश मंत्रालय ने बांग्लादेशी हाई कमिश्नर को तलब किया और अपना कड़ा विरोध दर्ज कराया।
यह मामला एक बांग्लादेशी राजनीतिक पार्टी के युवा नेता के एक बयान से जुड़ा है, जिसमें भारत के उत्तर-पूर्वी राज्यों के बारे में भड़काऊ टिप्पणियां थीं। भारत ने इस बयान को न केवल गैर-जिम्मेदाराना बताया है, बल्कि इसे क्षेत्रीय शांति और राजनयिक नियमों का उल्लंघन भी माना है।
एक बयान जिसने रिश्तों में खटास ला दी
ढाका में एक सार्वजनिक कार्यक्रम के दौरान, नेशनल सिटिजन पार्टी के नेता हसनत अब्दुल्ला ने एक बयान दिया जिससे दोनों देशों के बीच रिश्तों में तनाव आ गया। उन्होंने भारत के उत्तर-पूर्वी राज्यों को अलग-थलग करने और वहां सक्रिय अलगाववादी समूहों का समर्थन करने की बात कही। भारत इस बयान को अपनी संप्रभुता और सुरक्षा के लिए सीधा खतरा मानता है। भारत का मानना है कि इस तरह की बयानबाजी न केवल उकसाने वाली है, बल्कि सीमा पार अस्थिरता का खतरा भी बढ़ाती है।
हसनत अब्दुल्ला कौन हैं?
हसनत अब्दुल्ला एक युवा राजनीतिक हस्ती हैं जो हाल के वर्षों में बांग्लादेशी राजनीति में उभरे हैं। उन्हें पहली बार बांग्लादेश में सरकारी नौकरियों में कोटा के खिलाफ एक बड़े छात्र आंदोलन के दौरान पहचान मिली। बाद में उस आंदोलन ने राजनीतिक रूप ले लिया, जिससे तत्कालीन सरकार गिर गई। हसनत ने इस आंदोलन के जरिए अपनी पहचान बनाई और बाद में नई बनी नेशनल सिटिजन पार्टी में शामिल हो गए। उन्हें पार्टी में एक संगठनात्मक जिम्मेदारी दी गई थी, लेकिन उन्होंने पहले भी सेना और सत्ता प्रतिष्ठान के बारे में विवादास्पद बयान दिए थे।
भारत के लिए उत्तर-पूर्वी क्षेत्र संवेदनशील क्यों है?
भारत के उत्तर-पूर्वी राज्यों को देश के लिए रणनीतिक रूप से बहुत महत्वपूर्ण माना जाता है। यह क्षेत्र मुख्य भूमि भारत से एक संकरे भूमि गलियारे से जुड़ा हुआ है, जिसे सुरक्षा की दृष्टि से बेहद संवेदनशील माना जाता है। हाल के वर्षों में, भारत और बांग्लादेश के बीच सहयोग का एक मुख्य फोकस इस क्षेत्र में कनेक्टिविटी में सुधार करना रहा है। पिछली सरकारों के दौरान, दोनों देशों ने परिवहन, व्यापार और संचार को सुविधाजनक बनाने के लिए कई कदम उठाए थे, लेकिन हाल के राजनीतिक बदलावों ने इन योजनाओं को प्रभावित किया है, और मौजूदा बयान स्थिति को और जटिल बनाते दिख रहे हैं।
भारत का कड़ा संदेश
विदेश मंत्रालय ने बांग्लादेशी हाई कमिश्नर को तलब किया और यह साफ कर दिया कि भारत अपने राजनयिक मिशनों की सुरक्षा के मामले में किसी भी तरह की लापरवाही बर्दाश्त नहीं करेगा। मंत्रालय ने ढाका में भारतीय मिशन के आस-पास चरमपंथी तत्वों की गतिविधियों और बढ़ती बयानबाजी पर गहरी चिंता जताई। भारत ने यह भी साफ किया कि हाल की घटनाओं के बारे में लगाए जा रहे आरोप तथ्यों पर आधारित नहीं हैं और उन्हें पूरी तरह से खारिज किया जाता है।
अंतरिम सरकार से भारत की उम्मीदें
भारत ने उम्मीद जताई है कि बांग्लादेश की अंतरिम सरकार अपने अंतरराष्ट्रीय और राजनयिक दायित्वों को गंभीरता से लेगी। भारत ने कहा कि अब तक किसी ठोस जांच के बारे में कोई जानकारी शेयर नहीं की गई है, और न ही आरोपों को साबित करने के लिए कोई सबूत दिया गया है। भारत ने साफ तौर पर कहा कि बांग्लादेश को हर कीमत पर अपने इलाके में भारतीय मिशनों और अधिकारियों की सुरक्षा सुनिश्चित करनी चाहिए, ताकि दोनों देशों के बीच लंबे समय से चली आ रही साझेदारी और विश्वास बना रहे।