- जाति जनगणना को लेकर कांग्रेस चलाएगी बड़ा अभियान, मल्लिकार्जुन खड़गे ने बताई योजना

जाति जनगणना को लेकर कांग्रेस चलाएगी बड़ा अभियान, मल्लिकार्जुन खड़गे ने बताई योजना

कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे ने अपने प्रवक्ताओं से जाति जनगणना के बारे में लोगों को जागरूक करने और अपना संदेश लोगों तक पहुंचाने को कहा है। कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे ने शुक्रवार को पार्टी प्रवक्ताओं से आह्वान किया कि वे जाति जनगणना के मुद्दे को संवेदनशीलता और निर्भीकता के साथ जनता के बीच ले जाएं और इसे सिर्फ चुनावी मुद्दा न मानकर वैचारिक प्रतिबद्धता मानें। यहां कांग्रेस प्रवक्ताओं के लिए आयोजित कार्यशाला को संबोधित करते हुए खड़गे ने कहा,

 'आज जब देश जाति न्याय की बात कर रहा है, तो कांग्रेस पार्टी की जिम्मेदारी है कि वह इस चर्चा को दिशा दे, इसे नारे से नीति तक ले जाए और 'जितनी आबादी, उतना हक' को सिर्फ नारा नहीं बल्कि राष्ट्रीय संकल्प बनाए।' उन्होंने प्रवक्ताओं से आह्वान किया, 'साथियों, हम सब जानते हैं कि जाति जनगणना का मुद्दा नया नहीं है। 

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कांग्रेस पार्टी ने इसे लगातार उठाया है, अपने घोषणापत्रों में, संसद में, सड़कों पर और हर उस मंच पर जहां सामाजिक न्याय की बात होनी चाहिए। कांग्रेस अध्यक्ष ने कहा कि उन्होंने अप्रैल 2023 में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को पत्र लिखकर मांग दोहराई थी कि जाति जनगणना तुरंत शुरू की जानी चाहिए, क्योंकि जब तक सही आंकड़े नहीं होंगे, कोई भी सरकार यह दावा नहीं कर सकती कि वह सभी को न्याय दे रही है।

खड़गे ने कहा, 'आज हमें पूछना होगा कि देश की सत्ता और संस्थाओं में अन्य पिछड़ा वर्ग (ओबीसी), दलित और आदिवासी समुदायों की भागीदारी क्या है? क्या मीडिया, नौकरशाही, न्यायपालिका, कॉरपोरेट क्षेत्र और उच्च शिक्षण संस्थानों में उनकी आबादी के अनुपात में उनका प्रतिनिधित्व है? अगर नहीं, तो इसका क्या कारण है? और इसका समाधान क्या है?'

उन्होंने कहा कि इसका समाधान सच्चाई को सामने लाना, आंकड़ों को सार्वजनिक करना और फिर नीतियों को फिर से बनाना है। कांग्रेस अध्यक्ष ने कहा, 'इसलिए हम जाति जनगणना को महज सांख्यिकीय कवायद नहीं, बल्कि भारतीय लोकतंत्र का नैतिक दायित्व मानते हैं।' उन्होंने कांग्रेस प्रवक्ताओं से संविधान के अनुच्छेद 15(5) को तुरंत लागू करने की मांग को जोरदार तरीके से उठाने का आह्वान किया, ताकि ओबीसी, दलित और आदिवासी छात्रों को निजी शिक्षण संस्थानों में आरक्षण मिल सके।

खड़गे ने कहा, "हमें यह भी सुनिश्चित करना होगा कि अब नए आंकड़ों के आलोक में 50 प्रतिशत आरक्षण की सीमा पर पुनर्विचार किया जाए। जब ​​सामाजिक वास्तविकताएं बदल गई हैं और आंकड़े नई तस्वीर पेश कर रहे हैं, तो हमारी नीतियों में भी उसी के अनुसार बदलाव होना चाहिए। आरक्षण की मौजूदा सीमा को आंकड़ों और न्याय के बीच संतुलन के लिहाज से देखा जाना चाहिए, ताकि ओबीसी, दलित और आदिवासी समुदायों को उनका वास्तविक अधिकार मिल सके।

" कांग्रेस अध्यक्ष ने कहा कि तेलंगाना के जाति सर्वेक्षण ने एक ऐसा मॉडल पेश किया, जिसमें समाज, विशेषज्ञ और सरकार सभी ने भाग लिया। उन्होंने कहा, "हम चाहते हैं कि केंद्र सरकार भी इसी तरह का जनोन्मुखी और पारदर्शी मॉडल अपनाए। हम इस प्रक्रिया में सहयोग करने के लिए तैयार हैं।" खड़गे ने जोर देकर कहा, "आप सभी हमारी पार्टी के प्रवक्ता हैं, हमारे विचारों की आवाज हैं। 

आज जब देश जाति जनगणना के बारे में जागरूक हो रहा है, तो यह हमारी जिम्मेदारी है कि हम इस विषय को तथ्यों के साथ, संवेदनशीलता के साथ और बिना किसी डर के जनता के बीच ले जाएं। यह न केवल सामाजिक न्याय की लड़ाई है, बल्कि संविधान की आत्मा की रक्षा की भी लड़ाई है।" उन्होंने कहा, 'मैं आपसे अपील करता हूं कि इस अभियान को सिर्फ चुनावी मुद्दा न समझें, यह हमारी वैचारिक प्रतिबद्धता है। आज का संवाद इस दिशा में हमारी एकता का प्रमाण है।'

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