- बड़ी तैयारी: मानसून सत्र में जस्टिस यशवंत वर्मा के खिलाफ आ सकता है महाभियोग प्रस्ताव, सरकार कर रही विचार

बड़ी तैयारी: मानसून सत्र में जस्टिस यशवंत वर्मा के खिलाफ आ सकता है महाभियोग प्रस्ताव, सरकार कर रही विचार

सरकार संसद के मानसून सत्र में जस्टिस वर्मा के खिलाफ महाभियोग का प्रस्ताव ला सकती है। 8 मई को भारत के तत्कालीन मुख्य न्यायाधीश संजीव खन्ना ने जस्टिस वर्मा के घर से नकदी बरामद होने के संबंध में राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को पत्र लिखा था और तीन सदस्यीय जांच समिति की रिपोर्ट भी उन्हें भेजी थी। 

नई दिल्ली। दिल्ली स्थित अपने सरकारी आवास से भारी मात्रा में नकदी मिलने के मामले में हाईकोर्ट के जस्टिस यशवंत वर्मा की मुश्किलें बढ़ती नजर आ रही हैं। माना जा रहा है कि उन्हें पद से हटाने की तैयारी चल रही है। जस्टिस वर्मा के खिलाफ महाभियोग का प्रस्ताव पता चला है कि सरकार संसद के मानसून सत्र में जस्टिस वर्मा के खिलाफ महाभियोग का प्रस्ताव ला सकती है। 

8 मई को भारत के तत्कालीन मुख्य न्यायाधीश संजीव खन्ना ने जस्टिस वर्मा के घर से नकदी बरामद होने के संबंध में राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को पत्र लिखा था और तीन सदस्यीय जांच समिति की रिपोर्ट भी उन्हें भेजी थी। संसद में महाभियोग के जरिए ही किसी जज को हटाया जा सकता है

जस्टिस खन्ना ने आंतरिक समिति की रिपोर्ट पर जस्टिस यशवंत वर्मा के जवाब को राष्ट्रपति और प्रधानमंत्री से भी साझा किया था। माना जा रहा है कि जस्टिस खन्ना ने अपने पत्र में जस्टिस यशवंत वर्मा को पद से हटाने की सिफारिश की थी।

सुप्रीम कोर्ट और हाईकोर्ट के जज को संसद में महाभियोग के जरिए ही हटाया जा सकता है। हालांकि महाभियोग की प्रक्रिया काफी जटिल है और आज तक किसी भी जज को इस प्रक्रिया के जरिए नहीं हटाया गया है।

घटना के वक्त जस्टिस वर्मा दिल्ली हाईकोर्ट में कार्यरत थे


घटना के वक्त जस्टिस वर्मा दिल्ली हाईकोर्ट में कार्यरत थे, आजकल उनका तबादला इलाहाबाद हाईकोर्ट में हो गया है। 14 मार्च की रात 11.35 बजे जस्टिस वर्मा के दिल्ली स्थित सरकारी आवास में आग लग गई थी। आग बुझाने के दौरान फायर ब्रिगेड को उनके आवास स्थित स्टोर रूम में भारी मात्रा में जली हुई नकदी मिली थी।

जांच रिपोर्ट सीजेआई को सौंपी गई

तत्कालीन सीजेआई संजीव खन्ना ने मामले की जांच के लिए तीन जजों की कमेटी गठित की थी। समिति ने 4 मई को अपनी रिपोर्ट सीजेआई को सौंप दी थी। माना जा रहा है कि तीन जजों की समिति ने जस्टिस वर्मा के खिलाफ आरोपों को सही पाया था। हालांकि, जस्टिस वर्मा ने पहले ही आरोपों से इनकार करते हुए इसे उन्हें फंसाने की साजिश बताया था।

समिति की रिपोर्ट मिलने के बाद तत्कालीन सीजेआई ने प्राकृतिक न्याय के सिद्धांत का पालन करते हुए जस्टिस वर्मा को रिपोर्ट भेजी और उनसे जवाब भी मांगा। जस्टिस वर्मा ने 6 मई को सीजेआई को अपना जवाब सौंप दिया।

जस्टिस संजीव खन्ना ने राष्ट्रपति को भेजी रिपोर्ट


यह भी माना जा रहा है कि जस्टिस वर्मा के अपने पद से इस्तीफा देने से इनकार करने के बाद जस्टिस संजीव खन्ना ने राष्ट्रपति और प्रधानमंत्री को पत्र लिखा और तीन जजों की समिति की रिपोर्ट भी उन्हें भेजी।

उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ जस्टिस वर्मा के घर से भारी मात्रा में नकदी मिलने के मामले में एफआईआर दर्ज कर जांच शुरू न करने पर पहले भी कई बार सवाल उठा चुके हैं।

संसद में महाभियोग प्रस्ताव लाने की तैयारी में सरकार


अब बताया जा रहा है कि सरकार भी संसद में जस्टिस वर्मा के खिलाफ महाभियोग प्रस्ताव लाने की तैयारी में है। सरकार मानसून सत्र में महाभियोग प्रस्ताव ला सकती है।

वैसे आपको बता दें कि जिस दिन तत्कालीन सीजेआई संजीव खन्ना ने राष्ट्रपति और प्रधानमंत्री को पत्र लिखकर तीन जजों की आंतरिक समिति की रिपोर्ट और जस्टिस वर्मा का जवाब उन्हें भेजा था, उसे महाभियोग प्रक्रिया की शुरुआत के तौर पर देखा जा रहा था।

दोषी पाए जाने पर आरोपी जज के पास दो ही विकल्प


विशेषज्ञों का कहना है कि तीन सदस्यीय आंतरिक जांच समिति की रिपोर्ट में दोषी पाए जाने पर आरोपी जज के पास दो ही विकल्प हैं, या तो वह पद से इस्तीफा दे या फिर महाभियोग का सामना करे।

हालांकि सुप्रीम कोर्ट की ओर से 8 मई को जारी विज्ञप्ति में यह स्पष्ट नहीं है कि सीजेआई ने राष्ट्रपति और प्रधानमंत्री को क्या लिखा है, लेकिन माना जा रहा है कि तय प्रक्रिया के मुताबिक उन्होंने जस्टिस वर्मा को हटाने के प्रस्ताव को शुरू करने की सिफारिश की होगी।

जस्टिस वर्मा से न्यायिक कार्य वापस ले लिया गया है

सीजेआई के आदेश पर जस्टिस वर्मा से न्यायिक कार्य वापस ले लिया गया है। आपको बता दें कि इस मामले में तत्कालीन सीजेआई खन्ना ने शुरू से ही कड़ा रुख अपनाया था।

उन्होंने सबसे पहले जस्टिस वर्मा के घर मिली नकदी के मामले में दिल्ली हाईकोर्ट के चीफ जस्टिस से रिपोर्ट मांगी थी और जस्टिस वर्मा से भी जवाब मांगा गया था। दिल्ली हाईकोर्ट के चीफ जस्टिस ने सीजेआई को भेजी रिपोर्ट में कहा था कि मामले की गहन जांच की जरूरत है, जबकि जस्टिस वर्मा ने आरोपों को झूठा बताते हुए कहा था कि यह उन्हें फंसाने की कोशिश है।

जस्टिस वर्मा पर लगे आरोपों की जांच के लिए कमेटी बनाई गई

सीजेआई ने यह सारी सामग्री सुप्रीम कोर्ट की वेबसाइट पर अपलोड की थी, ऐसा पहली बार हुआ था। इसके बाद सीजेआई ने जस्टिस वर्मा के खिलाफ आरोपों की जांच के लिए पंजाब एवं हरियाणा उच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश शील नागू, हिमाचल प्रदेश उच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश जीएस संधावालिया और कर्नाटक उच्च न्यायालय की न्यायाधीश अनु शिवरामन की तीन सदस्यीय जांच समिति गठित की थी, जिसने तीन मई को अपनी रिपोर्ट सीजेआई को सौंप दी थी।

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