भारतीय न्याय संहिता (बीएनएस) 2023 के एक वर्ष पूरे होने के बाद भी न्यायालयों में लंबित मामलों में कमी नहीं आ रही है। राष्ट्रीय विधिक सेवा प्राधिकरण (नालसा) और सुप्रीम कोर्ट मध्यस्थता एवं सुलह परियोजना समिति (एमसीपीसी) की ओर से 90 दिवसीय राष्ट्र के लिए मध्यस्थता अभियान चलाया जा रहा है। इसका उद्देश्य लंबित मामलों का मध्यस्थता के माध्यम से निपटारा करना है।
नई दिल्ली। भारतीय न्याय संहिता (बीएनएस) 2023 के आज एक वर्ष पूरे हो रहे हैं, जिसमें कुछ कृत्यों को अपराध की श्रेणी से हटाया गया, कुछ को पुनर्परिभाषित किया गया और कुछ नए अपराध शामिल किए गए। फिर भी न्यायालयों में लंबित मामलों की संख्या कम नहीं हो रही है। इसी के चलते देशभर की अदालतों में लंबित मामलों के निपटारे के लिए राष्ट्रीय विधिक सेवा प्राधिकरण (नालसा) और सुप्रीम कोर्ट मध्यस्थता एवं सुलह परियोजना समिति (एमसीपीसी) की ओर से आज से 90 दिवसीय मध्यस्थता अभियान 'राष्ट्र के लिए मध्यस्थता' शुरू किया जा रहा है, जो 30 सितंबर 2025 तक चलेगा।
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फास्ट ट्रैक कोर्ट में 9.33 लाख मामले लंबित हैं, जो देश में सबसे ज्यादा उत्तर प्रदेश में हैं
झारखंड हाईकोर्ट में 67 मामलों में फैसला सुरक्षित है, जिनमें से कई दो साल से ज्यादा समय से लंबित हैं
हरियाणा में 14.3 लाख मामले लंबित हैं, जिनमें से 70 फीसदी से ज्यादा एक साल से ज्यादा समय से लंबित हैं
न्याय का यह वैकल्पिक तरीका पहली बार नहीं अपनाया गया है, बल्कि मामलों के बढ़ते बोझ के चलते समय-समय पर ऐसे मध्यस्थता अभियान चलाए जाते रहे हैं, जिनमें बहस की जगह चर्चा होती है, फैसले की जगह आम सहमति बनती है और सजा की जगह समाधान निकाला जाता है। आइए जानते हैं देश में कुल कितने मामले हैं, अभियान का प्रकार और प्रक्रिया। प्रियम वर्मा की रिपोर्ट
मध्यस्थता के लिए 4,12,990 मामले पेश किए गए
92,446 मामलों का निपटारा किया गया
1 मार्च 2021 से मार्च 2022 के बीच निपटाए गए मामलों की संख्या 50,000 के करीब रही।.jpg)
क्या है प्रक्रिया
अभियान के तहत हर राज्य में हाई कोर्ट में ऐसे मामलों की पहचान की जाएगी जिन्हें मध्यस्थता योग्य माना जाता है। प्रशिक्षित मध्यस्थ (महिलाओं और युवाओं सहित) पूरे सप्ताह ऑनलाइन, ऑफलाइन या हाइब्रिड माध्यम से काम करेंगे। इस दौरान मुख्य रूप से वैवाहिक विवाद, दुर्घटना दावे, घरेलू हिंसा, चेक बाउंस, सर्विस मैटर, बेदखली और अन्य मामले शामिल किए जाएंगे।