सहकारिता के जरिए समृद्धि लाने के प्रयासों के तहत केंद्र सरकार ने अगले पांच वर्षों के दौरान देश के सभी गांवों में सहकारी संस्थाएं खोलने का लक्ष्य रखा है। केंद्रीय गृह एवं सहकारिता मंत्री अमित शाह ने सोमवार को दिल्ली में अंतरराष्ट्रीय सहकारिता वर्ष के अवसर पर राज्यों के सहकारिता मंत्रियों के साथ "मंथन बैठक" की अध्यक्षता करते हुए जल्द ही राष्ट्रीय सहकारिता नीति बनाने की घोषणा की।
इसके तहत राज्यों की जरूरत के हिसाब से नीति बनेगी। उन्होंने राज्यों के सहकारिता मंत्रियों से कृषि मंत्रियों के साथ मिलकर प्राकृतिक खेती को बढ़ावा देने का आग्रह किया, ताकि जन स्वास्थ्य और धरती दोनों को फायदा हो। यह भी कहा गया कि प्रत्येक राज्य का कम से कम एक सहकारी प्रशिक्षण संस्थान त्रिभुवन सहकारी विश्वविद्यालय से संबद्ध हो तथा राज्य की सहकारी प्रशिक्षण की समग्र व्यवस्था का नेतृत्व करे।
जानिए क्या था बैठक का उद्देश्य
बैठक का उद्देश्य सहकारी आंदोलन को मजबूत करने के लिए चल रही योजनाओं की समीक्षा, उपलब्धियों का आकलन तथा सहकारिता को बढ़ावा देने के लिए एक गतिशील मंच प्रदान करना है। अमित शाह ने कहा कि चालू वित्त वर्ष के फरवरी तक दो लाख नए पैक्स बनाने का लक्ष्य हासिल कर लिया जाना चाहिए। करोड़ों लोग अपने जीवन को बेहतर बनाने के लिए उद्यम करना चाहते हैं, लेकिन उनके पास पूंजी नहीं है। यह सहकारिता के जरिए संभव है, क्योंकि इसमें अपार संभावनाएं हैं।
राष्ट्रीय सहकारी डेटाबेस बनाना सबसे महत्वपूर्ण
सरकार की 60 पहलों में राष्ट्रीय सहकारी डेटाबेस बनाना सबसे महत्वपूर्ण है। इसकी मदद से यह पता चल सकेगा कि किस राज्य के किस गांव में कोई सहकारी संस्था नहीं है। सरकार का लक्ष्य पांच साल में देश के सभी गांवों में कम से कम एक सहकारी संस्था खोलना है। सहकारी डेटाबेस के जरिए यह आसान हो जाएगा।
जल्द ही सहकारिता नीति की घोषणा की जाएगी
अमित शाह ने कहा कि पहले सहकारिता में सारी भर्तियां भाई-भतीजावाद के जरिए होती थीं और इसीलिए त्रिभुवन सहकारी विश्वविद्यालय के विचार पर विचार किया गया। जल्द ही सहकारिता नीति की घोषणा की जाएगी, जो 2045 तक लागू रहेगी। इसके तहत हर राज्य की सहकारिता नीति वहां की परिस्थिति के अनुरूप बनाई जाए और उसके लक्ष्य भी तय किए जाएं। तभी हम आजादी की शताब्दी तक आदर्श सहकारी राज्य बन पाएंगे। इस मॉडल एक्ट के जरिए सहकारिता में अनुशासन, नवाचार और पारदर्शिता लाने का काम किया जाएगा।
बैठक में मूल्यांकन पर जोर दिया गया
उन्होंने क्रेडिट को-ऑपरेटिव सोसायटियों और शहरी सहकारी बैंकों के संचालन में और अधिक पारदर्शिता लाने की जरूरत पर जोर दिया। बैठक में सहकारिता मंत्रालय द्वारा की गई पहलों के व्यापक मूल्यांकन पर जोर दिया गया, जिससे राज्यों के बीच सर्वोत्तम प्रथाओं, नीतिगत सुझावों और कार्यान्वयन रणनीतियों के सार्थक आदान-प्रदान की सुविधा मिल सके।
देश भर में बनाए जा रहे दो लाख पैक्स की प्रगति, ग्रामीण सेवा वितरण को बढ़ाने के लिए डेयरी और मत्स्य सहकारी समितियों की कार्ययोजना शामिल है। दुनिया की सबसे बड़ी अनाज भंडारण योजना के क्रियान्वयन पर भी विस्तृत चर्चा हुई। टिकाऊ डेयरी अर्थव्यवस्था बनाने के उद्देश्य से श्वेत क्रांति 2.0 पर चर्चा की गई। आत्मनिर्भर भारत के तहत दालों और मक्का के लिए समर्थन मूल्य पर खरीद से संबंधित नीतिगत मामलों पर भी प्रमुखता से चर्चा हुई।