राजस्थान कांग्रेस में जिला अध्यक्षों की नियुक्ति को लेकर गहलोत ने नेताओं को कड़ा संदेश दिया है। उन्होंने कहा कि चयन पूरी तरह से आलाकमान के हाथ में है और किसी भी तरह की सिफ़ारिश या गुटबाजी नहीं होनी चाहिए।
संगठन सृजन अभियान के तहत नए जिला अध्यक्षों की नियुक्ति को लेकर राजस्थान कांग्रेस में हलचल तेज़ हो गई है। पर्यवेक्षकों की रिपोर्ट के आधार पर नियुक्तियों पर वरिष्ठ नेताओं के साथ चर्चा के लिए बुधवार को दिल्ली में कई दौर की बैठकें हुईं। सूत्रों के अनुसार, राज्य भर के 50 ज़िलों में नए ज़िला अध्यक्षों की नियुक्ति होनी है, जिनमें से 48 ज़िलों के नामों पर चर्चा पूरी हो चुकी है, जबकि उपचुनावों के कारण बारां और झालावाड़ ज़िलों पर फ़ैसला टाल दिया गया है।
संगठन सृजन अभियान को कांग्रेस नेता राहुल गांधी का ड्रीम प्रोजेक्ट माना जा रहा है। इस पहल के तहत ज़िला और ब्लॉक स्तर पर संगठन को नए सिरे से गढ़ने की प्रक्रिया चल रही है। हालाँकि, पार्टी के भीतर गुटबाजी की खबरें सामने आई हैं। कुछ नेताओं पर पर्यवेक्षकों को बुलाकर अपने समर्थकों के नामों की सिफ़ारिश करने का आरोप है।
"किसकी नियुक्ति होगी और किसकी नहीं, इसका फैसला संगठन में होगा" - अशोक गहलोत
इन सिफारिशों और दबावों के बीच, पूर्व मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने पूरे विवाद पर अपनी चुप्पी तोड़ते हुए नेताओं को स्पष्ट संदेश दिया है। उन्होंने कहा कि कौन ज़िला अध्यक्ष बनेगा और कौन नहीं, इसका फ़ैसला सिर्फ़ आलाकमान का नहीं है। किसी भी नेता को पंचायत करने की ज़रूरत नहीं है। गहलोत ने आगे कहा कि अगर किसी के पास कोई सुझाव है, तो वे पर्यवेक्षकों पर दबाव डालने के बजाय सीधे कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे या राहुल गांधी के सामने रख सकते हैं।
आलाकमान के फ़ैसले का सम्मान किया जाना चाहिए - गहलोत
गहलोत ने नेताओं को यह भी सलाह दी कि चयन प्रक्रिया में पारदर्शिता बरती जाएगी और सभी को चुने गए नामों का स्वागत करना चाहिए। उन्होंने कहा कि अगर हम सच्चे मन से काम करना चाहते हैं, तो हमें आलाकमान के फ़ैसले का सम्मान करना चाहिए।
गहलोत के बयान की राजनीतिक हलकों में कई तरह से व्याख्या की जा रही है। पार्टी के भीतर चर्चा थी कि कुछ वरिष्ठ नेता अपने गुट के लोगों को ज़िला अध्यक्ष बनाने की सक्रिय कोशिश कर रहे थे और पर्यवेक्षकों से व्यक्तिगत रूप से संपर्क कर रहे थे। इससे पार्टी के अन्य नेता नाराज़ हो गए।
दिल्ली में हुई बैठक में गहलोत शामिल नहीं हुए।
सूत्रों के अनुसार, अशोक गहलोत को दिल्ली में एक महत्वपूर्ण बैठक में आमंत्रित किया गया था, लेकिन बैठक में शामिल न होकर उन्होंने संकेत दिया कि वे ज़िला अध्यक्षों की चयन प्रक्रिया से खुद को दूर रख रहे हैं। गहलोत ने स्पष्ट किया कि इस प्रक्रिया में उनकी कोई भूमिका नहीं है और अंतिम निर्णय पूरी तरह से आलाकमान का है।
संगठन महासचिव के.सी. वेणुगोपाल, राजस्थान कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष गोविंद सिंह डोटासरा, प्रभारी सुखजिंदर सिंह रंधावा और नेता प्रतिपक्ष टीकाराम जूली दिल्ली में हुई बैठक में मौजूद थे। इन सभी नेताओं के साथ संभावित ज़िला अध्यक्षों पर व्यक्तिगत रूप से चर्चा हुई।
सूत्रों का कहना है कि कुछ ज़िलों में मौजूदा ज़िला अध्यक्षों को दूसरा कार्यकाल दिया जा सकता है, जबकि दो-तीन ज़िलों में महिला नेताओं को भी ज़िला अध्यक्ष नियुक्त किया जा सकता है। संभावित सूची में कथित तौर पर कई सांसद, विधायक, पूर्व विधायक और पूर्व मंत्री शामिल हैं।
कांग्रेस आलाकमान अब संगठन निर्माण अभियान के अगले चरण में प्रवेश कर गया है। उम्मीद है कि ज़िला अध्यक्षों के नामों की औपचारिक घोषणा इस महीने के अंत तक या नवंबर के पहले सप्ताह में कर दी जाएगी।