- राजस्थान में पंचायत और नगर निकाय चुनावों में देरी पर अशोक गहलोत बोले, 'बीजेपी हार से डरी हुई है'

राजस्थान में पंचायत और नगर निकाय चुनावों में देरी पर अशोक गहलोत बोले, 'बीजेपी हार से डरी हुई है'

पूर्व मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने सरकार पर निकाय और पंचायत चुनाव टालने का आरोप लगाया। उन्होंने कहा कि भाजपा हार के डर से संवैधानिक प्रावधानों की अवहेलना कर रही है और लोकतंत्र को कमजोर कर रही है।

राजस्थान में निकाय और पंचायत चुनावों में लगातार हो रही देरी ने राजनीतिक गलियारों में हलचल मचा दी है। पूर्व मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने इस मुद्दे पर भाजपा सरकार पर सीधा हमला बोला है।

पूर्व मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने कहा कि चुनाव न कराकर सरकार न केवल संवैधानिक मानदंडों की अनदेखी कर रही है, बल्कि लोकतंत्र की नींव को भी कमजोर कर रही है।

पंचायती राज का कार्यकाल पहले ही समाप्त हो चुका है - अशोक गहलोत
पूर्व मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने कहा कि राज्य में अधिकांश निकाय और पंचायती राज संस्थाओं का कार्यकाल पहले ही समाप्त हो चुका है। सरकार ने प्रशासक नियुक्त कर उन्हें कार्यभार संभालने का आदेश दिया है। कोटा, जयपुर और जोधपुर नगर निगमों का कार्यकाल 9 नवंबर को समाप्त हो रहा है, जिसके बाद इनका प्रशासन भी संभागीय आयुक्तों द्वारा संचालित किया जाएगा। इसे "संविधान की हत्या" बताते हुए गहलोत ने कहा कि निर्वाचित संस्थाओं के बजाय अधिकारियों द्वारा प्रशासन चलाना लोकतंत्र के मूल सिद्धांतों के विरुद्ध है।

भाजपा खुलेआम अदालती आदेशों की अवहेलना कर रही है - गहलोत
पूर्व मुख्यमंत्री ने कहा कि भाजपा सरकार डॉ. भीमराव अंबेडकर के संविधान और सर्वोच्च न्यायालय के आदेशों की खुलेआम अवहेलना कर रही है। उन्होंने संविधान के अनुच्छेद 243-ई और 243-यू का हवाला देते हुए कहा कि पंचायती राज संस्थाओं और शहरी निकायों के चुनाव हर पाँच साल में अनिवार्य हैं। उन्होंने कहा कि गोवा सरकार बनाम फौजिया इम्तियाज शेख और पंजाब राज्य चुनाव आयोग बनाम पंजाब सरकार जैसे मामलों में सर्वोच्च न्यायालय ने भी स्पष्ट आदेश दिया है कि किसी भी परिस्थिति में इन संस्थाओं का कार्यकाल पाँच साल से आगे नहीं बढ़ाया जा सकता।

संभावित हार के डर से चुनाव टाल रही है भाजपा - गहलोत
गहलोत ने आरोप लगाया कि भाजपा सरकार केवल संभावित हार के डर से चुनाव टाल रही है। उन्होंने कहा कि जब मुख्यमंत्री और शहरी विकास मंत्री दोनों ने पंचायती राज से अपना राजनीतिक करियर शुरू किया था, तो उनसे इन संस्थाओं को मजबूत करने की उम्मीद की गई थी, लेकिन आज वे इन्हें कमजोर कर रहे हैं।

जनता की समस्याओं का कोई समाधान नहीं है।

उन्होंने कहा कि प्रशासकों की नियुक्ति ने पंचायती राज और शहरी निकायों के कामकाज को लगभग पंगु बना दिया है। विकास कार्य ठप हो गए हैं और जनता की समस्याओं का समाधान नहीं हो रहा है। गहलोत ने कहा कि भाजपा सरकार का यह कदम लोकतंत्र विरोधी है और जनता को उसके संवैधानिक अधिकारों से वंचित करता है। उन्होंने मांग की कि राज्य सरकार लोकतांत्रिक प्रक्रिया को बहाल करने के लिए तुरंत स्थानीय निकाय और पंचायत चुनाव कराए।

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