बिहार में, जेडीयू ने पांच साल में 45 से बढ़कर 85 सीटें जीतीं। जेडीयू की जीत के डिजिटल आर्किटेक्ट मनीष कुमार, जिनकी स्ट्रेटेजी ने चुनाव का पासा पलट दिया।
बिहार विधानसभा चुनाव में एनडीए गठबंधन की जीत भी एक अच्छी तरह से ऑर्गनाइज़्ड डिजिटल स्ट्रेटेजी की सफलता थी। जेडीयू के आईटी और सोशल मीडिया विंग के हेड मनीष कुमार ने इतने अच्छे से कैंपेन को लीड किया कि इसने पूरे चुनावी नैरेटिव को बदल दिया।
यह ध्यान देने वाली बात है कि बीआईटी मेसरा से इंजीनियरिंग ग्रेजुएट मनीष ने बिहार चुनाव से काफी पहले जीत के इस मैंडेट को डिजाइन करना शुरू कर दिया था। कैंपेन का लॉन्च शानदार था, और इसका असर हुआ।
मनीष कुमार ने कैंपेन थीम बनाई
मनीष द्वारा बनाई गई कैंपेन थीम, "नीतीश फिर से 25 से 30," सोशल मीडिया पर तेज़ी से फैल गई। यह न केवल जेडीयू के चुनावी कॉन्फिडेंस की निशानी थी, बल्कि नीतीश कुमार की लीडरशिप के आसपास एक पॉजिटिव माहौल भी बनाती थी। मनीष ने सीखा कि बिहार में इमोशनल कनेक्शन पॉलिटिक्स को चलाता है। इसलिए, उनकी टीम ने गानों, डॉक्यूमेंट्री, शॉर्ट फिल्मों और असल ज़िंदगी की बातचीत के ज़रिए नीतीश कुमार के पब्लिक रिलेशन पर फोकस किया। यह कंटेंट सिर्फ़ प्रमोशनल मटीरियल नहीं था; इसमें लोगों के अनुभव और उम्मीदें भी दिखती थीं।
टीम में कई लोग थे।
पूरे डिजिटल कैंपेन को द स्पेक्ट्रम टीम के काबिल क्रिएटिव कैंपेनर्स ने लीड किया, जिसमें राहुल रोशन और राघवेंद्र शामिल थे। टीम ने वीडियो एडिटर्स, ग्राफ़िक्स डिज़ाइनर्स, वॉइस-ओवर आर्टिस्ट्स, राइटर्स और फील्ड रिपोर्टर्स की टीम के साथ काम किया।
इस कैंपेन को त्योहारों और भावनाओं से जोड़कर एक नया मोड़ भी दिया गया। दिवाली और छठ के दौरान "बैक टू बिहार" मैसेज भी सामने आया, जो नीतीश कुमार के राज में राज्य में लौटने की मज़बूत भावना को दिखाता है।
टीम ने युवाओं को जोड़ने के लिए AI का इस्तेमाल किया।
युवा वोटर्स को अपील करने के लिए, टीम ने AI-बेस्ड एडिट्स, पोल्स, इंटरैक्टिव सेशन्स, युवाओं के गाने और शॉर्ट फिल्मों का इस्तेमाल करके स्ट्रैटेजी बनाई। इस कैंपेन ने गुड गवर्नेंस बनाम अराजकता की बहस को फिर से सबसे आगे ला दिया। चुनावी मैदान से दूर, मनीष कुमार और उनकी टीम ने बैकग्राउंड में रहकर बिहार की डिजिटल लड़ाई में काम किया।