सुप्रीम कोर्ट ने वक्फ (संशोधन) अधिनियम पर कड़ा रुख अपनाते हुए कोर्ट में पेश सभी नई याचिकाओं को खारिज कर दिया है। शुक्रवार को भी कोर्ट में नई याचिकाएं आईं, जिसका सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने विरोध किया और कड़ी आपत्ति जताई। इसके बाद सुप्रीम कोर्ट ने नई याचिकाओं पर सुनवाई करने से साफ इनकार कर दिया।
नई दिल्ली। सुप्रीम कोर्ट ने शुक्रवार को वक्फ (संशोधन) अधिनियम, 2025 की संवैधानिक वैधता को चुनौती देने वाली कुछ नई याचिकाओं पर विचार करने से इनकार कर दिया और कहा कि हर कोई चाहता है कि उसका नाम अखबारों में छपे। मुख्य न्यायाधीश बीआर गवई और न्यायमूर्ति ऑगस्टीन जॉर्ज मसीह की पीठ ने कहा कि वह लंबित मामले पर 20 मई को फैसला करेगी।
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इसके बाद सुप्रीम कोर्ट मामले में अंतरिम राहत के मुद्दे पर सुनवाई करेगा। सॉलिसिटर जनरल ने जताई आपत्ति दरअसल, शुक्रवार को कोर्ट में एक और नई याचिका सुनवाई के लिए आई, जिसके बाद केंद्र की ओर से सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने इस पर आपत्ति जताई और कहा कि अधिनियम को चुनौती देने वाली 'अंतहीन' याचिकाएं दायर करना संभव नहीं है।
हालांकि, याचिकाकर्ता की ओर से पेश वकील ने कहा कि उन्होंने 8 अप्रैल को याचिका दायर की थी और सुप्रीम कोर्ट रजिस्ट्री द्वारा बताई गई खामियों को 15 अप्रैल को दूर कर दिया गया था, लेकिन उनकी याचिका को सुनवाई के लिए सूचीबद्ध नहीं किया गया। आइए जानते हैं कि अब तक कोर्ट में क्या हुआ...
सीजेआई ने कहा, "हर कोई चाहता है कि उसका नाम अखबारों में आए।" जब वकील ने पीठ से आग्रह किया कि उनकी याचिका को लंबित याचिकाओं के साथ जोड़ दिया जाए, तो पीठ ने कहा, "हम इस मामले पर फैसला करेंगे।" इसके बाद पीठ ने इसे खारिज कर दिया।
जब इसी तरह की एक और याचिका सुनवाई के लिए आई, तो पीठ ने कहा, "खारिज"। जब याचिकाकर्ता के वकील ने आग्रह किया कि उन्हें लंबित याचिकाओं में हस्तक्षेप करने की अनुमति दी जाए, तो सीजेआई ने कहा, "हमारे पास पहले से ही बहुत सारे हस्तक्षेपकर्ता हैं।"
17 अप्रैल को सुप्रीम कोर्ट ने अपने समक्ष कुल याचिकाओं में से केवल पांच पर सुनवाई करने का फैसला किया।
अधिनियम को चुनौती देने वाली याचिकाएं 15 मई को मुख्य न्यायाधीश और न्यायमूर्ति मसीह की पीठ के समक्ष सुनवाई के लिए आईं।
केंद्र ने उपयोगकर्ता के स्वामित्व वाले वक्फ समेत वक्फ संपत्तियों को गैर-अधिसूचित करने के खिलाफ अंतरिम आदेश पारित करने के शीर्ष अदालत के प्रस्ताव का विरोध किया था, साथ ही केंद्रीय वक्फ परिषद और बोर्डों में गैर-मुस्लिमों को शामिल करने की अनुमति देने वाले प्रावधान पर रोक लगा दी थी।
आपको बता दें, 25 अप्रैल को केंद्रीय अल्पसंख्यक मामलों के मंत्रालय ने संशोधित वक्फ अधिनियम 2025 का बचाव करते हुए 1332 पन्नों का प्रारंभिक हलफनामा दायर किया और संसद द्वारा पारित संवैधानिकता के अनुमान वाले कानून पर अदालत द्वारा किसी भी तरह की सर्वव्यापी रोक का विरोध किया।