प्रशिक्षण में बताया गया कि 1 फरवरी से 28 फरवरी 2027 के बीच, जो जहाँ भी है, उसकी वहीं गिनती की जाएगी। जेल, मानसिक चिकित्सालय या अन्य स्थानों पर मौजूद लोगों की भी वहीं गिनती की जाएगी।
उत्तर प्रदेश में वर्ष 2027 की जनगणना की तैयारियाँ तेज़ हो गई हैं। जिसके तहत 31 दिसंबर तक सभी परिवारों को चिह्नित कर लिया जाएगा। इसमें हर व्यक्ति की गणना उसी स्थान पर की जाएगी जहाँ वह वर्तमान में रह रहा है।
इस संबंध में जिला जनगणना एवं प्रभारी अधिकारियों को वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम से प्रशिक्षण दिया गया। जनगणना निदेशालय और राजस्व परिषद ने संयुक्त रूप से इस प्रशिक्षण सत्र का आयोजन किया।
जो जहाँ है, उसकी वहीं गिनती की जाएगी।
अधिकारियों को बताया गया कि 1 फरवरी से 28 फरवरी 2027 के बीच, जो जहाँ भी है, उसकी वहीं गिनती की जाएगी। जेल, मानसिक चिकित्सालय या अन्य स्थानों पर मौजूद लोगों की भी वहीं गिनती की जाएगी। प्रशिक्षण में बताया गया कि जनगणना अधिकारी हर गाँव, गली और मोहल्ले में जाकर लोगों की गिनती करेंगे।
प्रदेश के सभी अपर जिलाधिकारियों (वित्त) को जिला जनगणना अधिकारी, ग्रामीण क्षेत्रों में तहसीलदारों तथा शहरी क्षेत्रों में अधिशासी अधिकारियों (ईओ) को जनगणना प्रभारी अधिकारी बनाया गया है। प्रशिक्षण के दौरान अधिकारियों को जनगणना से संबंधित नियमों एवं प्रक्रियाओं की विस्तृत जानकारी दी गई।
31 दिसंबर तक पूरा होगा चिह्नांकन का कार्य
जानकारी के अनुसार, प्रदेश में प्रत्येक परिवार का चिह्नांकन 31 दिसंबर, 2026 तक पूरा कर लिया जाएगा और जनगणना कार्मिकों की ड्यूटी भी निर्धारित कर दी जाएगी। इस प्रशिक्षण का उद्देश्य जनगणना प्रणाली को सुचारू एवं त्रुटिरहित बनाना है ताकि पूरी प्रक्रिया नियमों के अनुसार हो सके।
निदेशक (जनगणना) शीतल वर्मा और राजस्व परिषद के विशेष कार्यपालक अधिकारी राजकुमार द्विवेदी ने मास्टर ट्रेनर के रूप में अधिकारियों को प्रशिक्षित किया। जिले में जनगणना के लिए डीएम को नोडल अधिकारी की जिम्मेदारी दी गई है, जबकि नगर निगम क्षेत्रों में नगर आयुक्तों को जिम्मेदारी दी गई है।
इस जनगणना में जातिगत आंकड़ों के साथ-साथ सामाजिक-आर्थिक स्थिति का भी आकलन किया जाएगा। ताकि इससे प्राप्त आंकड़ों के आधार पर भविष्य की योजनाएं बनाई जा सकें और जिन समुदायों को सरकारी योजनाओं का लाभ नहीं मिल पाया है, उन्हें भी आगे बढ़ने का मौका मिल सके।