पवन खेड़ा ने कहा कि सिर्फ़ पुल ही नहीं, जनता का पैसा भी बर्बाद हुआ। मैं बिहार को बधाई देने आया हूँ क्योंकि एक घोटाला हुआ है जिसके बारे में सरकार को पता तक नहीं है।
कांग्रेस के राष्ट्रीय प्रवक्ता पवन खेड़ा ने बुधवार को पटना में बिहार की जनता को आगाह किया कि राज्य में 70,000 करोड़ का महाघोटाला हुआ है। उन्होंने यह दावा (CAG) की रिपोर्ट का हवाला देते हुए किया, जिसमें कई विभागों ने उपयोगिता प्रमाण पत्र जमा नहीं किए। खेड़ा ने कहा कि यह घोटाला सिर्फ़ पैसे का ही नहीं, बल्कि ईमानदारी और प्रशासनिक पारदर्शिता का भी है।
पवन खेड़ा ने कहा कि "सिर्फ़ पुल ही नहीं, जनता का पैसा भी बर्बाद हुआ। मैं बिहार को बधाई देने आया हूँ क्योंकि एक घोटाला हुआ है जिसके बारे में सरकार को पता ही नहीं है। कोई हिसाब नहीं है। 70,000 करोड़ खर्च हो गए लेकिन उसके कोई वैध कागज़ात नहीं दिए गए। सिर्फ़ पुल ही नहीं, बल्कि बिहार का खजाना भी बर्बाद हुआ।"
पवन खेड़ा ने जारी किए आंकड़े
पंचायती राज विभाग
₹28,154.10
शिक्षा विभाग
₹12,623.67
नगरीय विकास विभाग
₹11,065.50
ग्रामीण विकास विभाग
₹7,800.48
कृषि विभाग
₹2,107.63
अनुसूचित जाति-जनजाति कल्याण विभाग
₹1,397.43
पिछड़ा-अति पिछड़ा कल्याण विभाग
₹911.08
समाज कल्याण विभाग
₹941.92
स्वास्थ्य विभाग
₹860.33
सहकारिता विभाग
₹804.69
खेड़ा ने चुटकी लेते हुए कहा, "बच्चों का मध्याह्न भोजन भी नहीं बचा। अगर बच्चों का खाना चुराने वालों को भगवान भी माफ़ नहीं करेंगे, तो क्या होगा?" तो जनता कैसे करेगी?” खेड़ा ने आरोप लगाया कि इस गबन में भाजपा नेता भी शामिल हैं। उन्होंने चुटकी लेते हुए कहा, "मैं यह भी सामने लाऊँगा कि विक्रम और बेताल में से बेताल ने कितना पैसा निकाला।" उन्होंने दावा किया कि एक वीडियो तैयार किया गया है, जिससे साफ़ पता चलेगा कि किन विभागों और नेताओं के ज़रिए पैसा ख़र्च किया गया।
कैग पर भरोसा, चुनाव आयोग पर सवाल
खेड़ा ने कहा, "काश चुनाव आयोग में भी कैग जैसी ईमानदारी होती। अब हमें कैग अधिकारियों की सुरक्षा की चिंता है।" उन्होंने आरोप लगाया कि सरकार लोकतांत्रिक संस्थाओं को अपनी जेब में डालने की कोशिश कर रही है, लेकिन बिहार की जनता सब समझ रही है। हम इस मुद्दे को लेकर सड़कों पर उतरेंगे और संसद में भी इसकी गूंज होगी। बिहार क्रांति की धरती है। यहाँ के लोग चुप नहीं बैठते।"
उपयोगिता प्रमाणपत्र (यूसी) क्या है?
बता दें कि सरकारी खर्च के बाद हर विभाग को यह बताना होता है कि पैसे का इस्तेमाल कैसे किया गया। इसे यूसी (उपयोगिता प्रमाणपत्र) कहते हैं। अगर यह जमा नहीं किया जाता है, तो उस खर्च में अनियमितता का संदेह होता है। बिहार सरकार के कई विभागों का उपयोगिता प्रमाण पत्र कैग को नहीं मिला है, जिसके चलते अब विपक्ष बिहार सरकार पर हमलावर है।