- Exclusive: सिंधु नदी का पानी पाकिस्तान जाने से कैसे रोकेंगे? शिवराज सिंह चौहान ने मोदी सरकार की योजना का खुलासा किया

Exclusive: सिंधु नदी का पानी पाकिस्तान जाने से कैसे रोकेंगे? शिवराज सिंह चौहान ने मोदी सरकार की योजना का खुलासा किया

कृषि मंत्री शिवराज सिंह चौहान ने खरीफ की खेती से पहले किसानों को खुशहाल बनाने के लिए विकासशील कृषि संकल्प अभियान शुरू करने का ऐलान किया है। इस अभियान का मकसद किसानों को वैज्ञानिक तरीके से कृषि क्षेत्र में नवाचार और शोध की जानकारी देना है। इसके साथ ही सरकार स्वयं सहायता समूहों से जुड़ी महिलाओं को लखपति दीदी और जो लखपति बन चुकी हैं, उन्हें लखपति बनाने की कोशिश कर रही है। 

नई दिल्ली। सीमा पर जवानों की सक्रियता के साथ ही खेतों में किसानों की मेहनत का भी समय आ गया है। खरीफ की खेती शुरू होने वाली है। कृषि एवं किसान कल्याण मंत्री शिवराज सिंह चौहान की कोशिश अन्न भंडार की समृद्धि बढ़ाने के साथ ही किसानों को खुशहाल बनाने की है। इसके लिए वह 29 मई से विकासशील कृषि संकल्प अभियान चलाने जा रहे हैं।

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चौहान के पास ग्रामीण विकास मंत्रालय है। उन्हें स्वयं सहायता समूहों से जुड़ी तीन करोड़ महिलाओं को लखपति दीदी बनाना है। इससे भी आगे जो लखपति बन चुकी हैं, उन्हें महालखपति बनाना है। खरीफ की खेती शुरू होने से पहले अरविंद शर्मा ने शिवराज सिंह चौहान से कृषि और किसानों से जुड़े मुद्दों पर लंबी बातचीत की। प्रस्तुत हैं मुख्य अंश:

प्रश्न: आपके विकासशील कृषि संकल्प अभियान की काफी चर्चा हो रही है। इससे किसानों को क्या लाभ होगा?

उत्तर: यह अभियान खरीफ के लिए 29 मई से 12 जून तक चलेगा। रबी के लिए अलग से चलेगा। इसके तहत किसानों की समृद्धि के लिए वैज्ञानिक तरीके से कृषि क्षेत्र में नवाचार और अनुसंधान पर काम करना है। यह पहला मौका होगा जब अभियान के दौरान कृषि विशेषज्ञों की 2170 टीमें 15 दिनों तक 723 जिलों के 65 हजार गांवों के 1.5 करोड़ किसानों से संवाद करेंगी।

इसमें 16 हजार कृषि वैज्ञानिक भी होंगे, जो किसानों को उन्नत कृषि पद्धतियों, जलवायु अनुकूल फसलों और प्राकृतिक खेती के लाभों के बारे में बताएंगे। ऐसे कई किसान हैं, जिन्होंने नवाचार के जरिए उत्पादकता बढ़ाई है। विकसित भारत के लिए प्रयोगशाला से निकलकर खेतों और अंतिम पंक्ति के किसानों तक पहुंचना जरूरी है, ताकि खेती की लागत कम हो और उत्पादकता बढ़े।

सवाल: आपने लखपति दीदियों को मिलियन दीदी बनने के लिए प्रेरित किया, आपका क्या मतलब है?

जवाब: अभी देश में 1 करोड़ 48 लाख दीदियां लखपति बन चुकी हैं। लक्ष्य तीन करोड़ का है। आप कह सकते हैं कि आधी सफलता मिल चुकी है। मिलियन का मतलब है जिनकी आय दस लाख तक पहुंच गई है। मैं हर हफ्ते समीक्षा कर रहा हूं। कई ऐसी दीदियां सामने आ रही हैं, जिनकी आय दो लाख से ज्यादा हो गई है। अब हमें उन्हें प्रोत्साहित करना है और महालखपति बनाना है। हमारी योजना काम कर रही है।

महिलाएं आर्थिक रूप से सशक्त होने लगी हैं। सामाजिक सम्मान भी बढ़ा है। अगर ग्राफ ऐसे ही बढ़ता रहा तो महालखपति ही नहीं, करोड़पति भी बन सकती हैं। हमारा लक्ष्य दीदियों को छोटा-मोटा काम कराना नहीं है। हमें धीरे-धीरे आगे बढ़ाकर उन्हें उद्यमी बनाना है। वे छोटे-बड़े प्लांट की मालकिन भी बन सकती हैं। अभी सर्वे किया जा रहा है कि किन दीदियों में आगे बढ़ने की क्षमता है। क्षमता वाले उद्यमों का डेटा बनाया जा रहा है।

सवाल- लखपति बनने के बाद भी आय कम हो सकती है।

जवाब- सबसे पहले लखपति दीदी बनने की प्रक्रिया को समझिए। दस लाख से अधिक महिलाएं विभिन्न स्वयं सहायता समूहों से जुड़ी हैं। सभी को लखपति बनने के लिए प्रेरित किया जा रहा है। जब किसी दीदी की आय एक लाख से अधिक प्रमाणित होती है और वह पूरे साल नियमित आय अर्जित करती रहती है, तभी उसे लखपति माना जाता है। ऐसी दीदियों की संख्या 1 करोड़ 48 लाख तक पहुंच गई है, लेकिन सरकारी आंकड़ों के अनुसार केवल 1 करोड़ 15 लाख ही लखपति हैं। अभी 33 लाख दीदियों की आय देखी जा रही है। अगर छह महीने तक आय जारी रहती है, तो इसकी घोषणा की जाएगी।

सवाल: आपने सिंधु जल संधि पर किसानों से उनकी राय मांगी थी। क्या निकला?

जवाब: सबसे पहले यह समझिए कि यह संधि ही अन्यायपूर्ण थी। नेहरू सरकार ने पैसे के साथ-साथ पानी भी दिया। पाकिस्तान को नहर बनाने के लिए 1960 में 83 करोड़ रुपये दिए गए, जो मौजूदा मूल्य में 5,500 करोड़ रुपये हैं। क्यों दिए गए? नेहरू को अपनी वैश्विक छवि चमकानी थी। उन्हें अपने किसानों की चिंता नहीं थी। आज देश पीएम मोदी का आभारी है कि उन्होंने संधि को टाल दिया।

सवाल: सिंधु नदी का पानी पाकिस्तान जाने से कैसे रोकेंगे?

जवाब: इंफ्रास्ट्रक्चर तो बनाना ही पड़ेगा। पिछली सरकार ने जब ऐसा समझौता किया था, तो कैसे बनता? अब बनेगा। कितना समय लगेगा, यह कहना मुश्किल है। किसी भी बांध को बनने में चार से पांच साल लगते हैं। यह एक दिन का काम नहीं है। जब मैं मध्य प्रदेश का सीएम था, तब मैंने तय किया था कि छोटे बांध एक-दो साल में बन जाएंगे। बड़े बांध को मैं किसी भी हालत में पांच साल से ज्यादा नहीं लगने दूंगा।

सवाल: भारत को कितना फायदा होगा? क्या सिंधु नदी का पानी राजस्थान में लाया जा सकता है?

जवाब: सब कुछ संभव है। वैज्ञानिक अध्ययन करने होंगे। मैं सिर्फ एक उदाहरण देता हूं कि मुझे नर्मदा का पानी मालवा के पठार पर ले जाना था। अफसरों ने कहा कि नहीं ले जा सकते। नर्मदा नीचे है और मालवा ऊपर कैसे जा सकता है। यह तय था कि नहर से नहीं जाएगा। हमने बड़े पाइप लगाए। हमने पावरफुल मोटर लगाई और पहुंचा दिया।

सवाल: बिहार में मखाना बोर्ड का काम कितना आगे बढ़ा है?

जवाब: मखाना बोर्ड बनाने की पूरी प्रक्रिया पूरी हो चुकी है। बहुत जल्द इसे अंतिम रूप दिया जाएगा। जो लोग इसे बिहार विधानसभा चुनाव के नजरिए से देख रहे हैं, मैं उनसे पूछना चाहता हूं कि उन्हें भी मौका मिला था। उन्होंने इसे क्यों नहीं बनाया?

सवाल: देश में दालों की भारी कमी है। पिछले साल 70 लाख टन आयात करना पड़ा। हम कब तक आत्मनिर्भर हो जाएंगे?

जवाब: हमारे यहां खाद्यान्न का उत्पादन तेजी से बढ़ रहा है। गेहूं, चावल, मक्का के आंकड़े देखिए। दालों में अभी भी कमी है, लेकिन योजना के मुताबिक काम हो रहा है। देश की एक बड़ी आबादी प्रोटीन के लिए दालों पर निर्भर है।

हम आत्मनिर्भर कब बनेंगे, यह तो नहीं कहा जा सकता, लेकिन यह तय है कि 2027 तक हम लक्ष्य हासिल कर लेंगे। हमारा फोकस कम जमीन में ज्यादा उत्पादन पर है। जीनोम एडिटिंग के जरिए धान की दो किस्में विकसित की गई हैं। हम दालों में भी यही प्रयोग करेंगे। आत्मनिर्भरता के लिए यह जरूरी है।

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