- कंपनियों को बोर्ड रूम मैनेजमेंट सिखाता है ये कपल, 'मेंटर माय बोर्ड' ने 2000 से ज्यादा लोगों को किया है प्रशिक्षित

कंपनियों को बोर्ड रूम मैनेजमेंट सिखाता है ये कपल, 'मेंटर माय बोर्ड' ने 2000 से ज्यादा लोगों को किया है प्रशिक्षित

स्टार्टअप इंडिया मेंटर माई बोर्ड स्टार्टअप इंडिया पहल ने देश में 1.59 लाख से अधिक स्टार्टअप को जन्म दिया है, जिससे 16.6 लाख से अधिक रोजगार सृजित हुए हैं। दिव्या मोमाया और नेहा शाह मेंटर माई बोर्ड के जरिए ऐसे उद्यमियों का मार्गदर्शन कर रही हैं, जो उद्योग जगत की जटिलताओं से जूझ रहे हैं। पिछले सात वर्षों में उनकी कंपनी ने 2000 से अधिक निदेशकों को प्रशिक्षित किया है।

मुंबई। करीब 10 साल पहले भारत सरकार ने देश के युवाओं को उद्योग और व्यापार के प्रति प्रोत्साहित करने के लिए स्टार्टअप इंडिया पहल की शुरुआत की थी। उद्योग एवं आंतरिक व्यापार संवर्धन विभाग (डीपीआईआईटी) के रिकॉर्ड के मुताबिक इस साल जनवरी में जब इस पहल के नौ साल पूरे हुए, तब तक देश में 1.59 लाख से अधिक स्टार्टअप जन्म ले चुके थे और इनके जरिए 16.6 लाख से अधिक प्रत्यक्ष रोजगार मुहैया कराए गए थे। 

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देश के युवाओं ने सरकार की इस पहल का स्वागत किया है और खुद काम करने की बजाय रोजगार देने की दिशा में कदम बढ़ाए हैं, लेकिन टाटा, बिड़ला, अंबानी बनने का सपना देखना एक बात है और अपने सपनों को पूरा कर पाना दूसरी बात। दिव्या मोमाया और नेहा शाह यह सुनिश्चित करने की दिशा में काम कर रही हैं कि उनका अनुभव की कमी उनके रास्ते में बाधा न बने।

भाभी-भाभी की जोड़ी


दिव्या मोमाया पेशे से कंपनी सेक्रेटरी हैं और नेहा शाह एचआर (ह्यूमन रिसोर्सेज) विशेषज्ञ हैं। दोनों एक-दूसरे से रिश्तेदार भी हैं। पहले दिव्या मोमाया ने नेहा के भाई से शादी की। फिर दिव्या ने अपनी भाभी नेहा की शादी अपने ही चचेरे भाई से करवाकर अपने रिश्ते को मजबूत किया। यानी दोनों एक-दूसरे की भाभी बन गईं। रिश्ते की यह मजबूती अब उनके कारोबार में भी काम आ रही है।

बनाई 'मेंटर माई बोर्ड' कंपनी


पिछले सात सालों से दोनों 'मेंटर माई बोर्ड' (एमएमबी) नामक कंपनी के जरिए ऐसे उद्यमियों को मार्गदर्शन और सही दिशा प्रदान कर रही हैं, जिन्होंने उद्योग तो लगा लिए हैं, लेकिन औद्योगिक दुनिया की जटिलताओं का सामना नहीं कर पाते।

दिव्या कहती हैं-


आंकड़ों के हिसाब से भारत में छह से सात करोड़ एसएमई और एमएसएमई (छोटे और मध्यम उद्यमी) हैं, जबकि 15 से 16 लाख कॉरपोरेट और सिर्फ सात से आठ हजार लिस्टेड कंपनियां हैं। कड़ी मेहनत के बावजूद छोटे उद्यमियों का कॉरपोरेट में और कॉरपोरेट का लिस्टेड कंपनियों में तब्दील होना संभव नहीं है, क्योंकि वे सही दिशा में काम नहीं कर रहे हैं। उन्हें अपने बोर्ड रूम में अनुभवी लोगों की जरूरत है, जो उनका मार्गदर्शन कर सकें। कॉरपोरेट कानूनों को ठीक से समझना भी जरूरी है।

7 साल में 2000 से ज्यादा डायरेक्टर्स को किया प्रशिक्षित


दिव्या के मुताबिक, पिछले सात साल में उनकी कंपनी ने 2000 से ज्यादा डायरेक्टर्स को प्रशिक्षित किया है। एक से दो लाख करोड़ का कारोबार देख चुके अनुभवी डायरेक्टर्स को प्रशिक्षण देने के लिए बुलाया जाता है। वे बताते हैं कि उनका बोर्ड रूम कैसे चलता है। वे नए उद्यमियों के साथ अपने अनुभव साझा करते हैं।

अनुभवी डायरेक्टर्स सिखाते हैं सीख


दिव्या और नेहा की जोड़ी ने अलग-अलग क्षेत्रों के करीब 90 अनुभवी डायरेक्टर्स को साथ लेकर अपनी कंपनी 'मेंटर माय बोर्ड' के जरिए छोटे और नए उद्यमियों और डायरेक्टर्स को प्रशिक्षण देना शुरू किया। प्रशिक्षण कार्य की शुरुआत 'बोर्ड रूम मास्टरी' नामक कार्यक्रम से हुई, जिसमें निदेशकों को कंपनी चलाने की बुनियादी ट्रेनिंग दी जाती है। जिसमें एक उचित बोर्ड रूम बनाया जाता है और बताया जाता है कि एक उद्यमी को अपने स्वतंत्र निदेशकों के साथ कैसे काम करना है। उनकी कंपनी ने अब तक देश भर में 18 हज़ार प्रशिक्षण कार्यक्रम आयोजित किए हैं।

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