अमित शाह ने संसद में कहा कि 1971 में जीत के बावजूद भारत पीओके मांगना भूल गया। शिमला समझौते में 15 हज़ार वर्ग किलोमीटर ज़मीन पाकिस्तान को वापस कर दी गई थी।
संसद में ऑपरेशन सिंदूर पर बोलते हुए अमित शाह ने विपक्ष की कड़ी आलोचना की। उन्होंने पूछा कि साल 1948 में क्या हुआ था? उस समय सरदार पटेल के विरोध के बावजूद पंडित नेहरू संयुक्त राष्ट्र गए थे। उन्होंने सिंधु समझौते का भी ज़िक्र किया और कहा कि इंदिरा जी ने पाकिस्तान को दो टुकड़ों में बाँट दिया था।
संसद में बोलते हुए गृह मंत्री अमित शाह ने न सिर्फ़ मौजूदा आतंकवाद विरोधी नीति का बचाव किया, बल्कि ऐतिहासिक गलतियों की भी सीधी आलोचना की। अपने संबोधन में उन्होंने 1947 से 1971 तक की घटनाओं का ज़िक्र किया और कहा कि इंदिरा गांधी ने पाकिस्तान को दो टुकड़ों में बाँट दिया, इस पर हम सभी को गर्व है, लेकिन शिमला समझौते की चकाचौंध में हम पीओके मांगना भूल गए। अगर उस समय पीओके मांग लिया जाता, तो न बाँस रहता और न ही बाँसुरी बजती।
शिमला समझौता और 15,000 वर्ग किलोमीटर ज़मीन
1971 के भारत-पाकिस्तान युद्ध में भारत ने न सिर्फ़ पाकिस्तानी सेना को हराया, बल्कि लगभग 93,000 पाकिस्तानी सैनिकों को भी बंदी बना लिया। इसके साथ ही, भारत के नियंत्रण में लगभग 15,000 वर्ग किलोमीटर ज़मीन भी थी, लेकिन शिमला समझौते (1972) के तहत भारत ने मानवीय आधार पर यह ज़मीन और बंदी बनाए गए सैनिक पाकिस्तान को वापस कर दिए। इस मुद्दे को उठाते हुए अमित शाह ने कहा कि अगर इतनी बड़ी जीत के बाद हमने पीओके की मांग की होती, तो आज की कश्मीर नीति कहीं ज़्यादा कारगर होती। उन्होंने बयान में आगे कहा कि यह डॉ. मनमोहन सिंह जैसी सरकार नहीं है। यह मोदी सरकार है, जो दुश्मन देश की हर हरकत का मुँहतोड़ जवाब देती है। चाहे वह पुलवामा हमले के बाद हो या उरी हमले के बाद हवाई हमला। इस बार हमने 100 किलोमीटर अंदर घुसकर आतंकियों को ढेर किया है।
सरदार पटेल की चेतावनी को नज़रअंदाज़ कर रहे हैं?
अपने भाषण में अमित शाह ने सरदार वल्लभभाई पटेल और पंडित जवाहरलाल नेहरू के बीच हुए विवाद का भी ज़िक्र किया, खासकर कश्मीर मुद्दे को संयुक्त राष्ट्र (यूएन) में ले जाने को लेकर। उन्होंने आरोप लगाया कि सरदार पटेल के विरोध के बावजूद पंडित नेहरू ने कश्मीर मुद्दे को यूएन में ले जाकर इसे अंतरराष्ट्रीय विवाद बना दिया। इस संदर्भ में, अमित शाह ने कहा कि आज हम जिस पीओके (पाकिस्तान अधिकृत कश्मीर) की बात कर रहे हैं, वह भी उन्हीं गलतियों की श्रृंखला का हिस्सा है।