- क्या पोटा कानून आतंकवादियों के लिए मौत की घंटी है, जिसका जिक्र करके अमित शाह ने संसद में कांग्रेस को घेरा?

क्या पोटा कानून आतंकवादियों के लिए मौत की घंटी है, जिसका जिक्र करके अमित शाह ने संसद में कांग्रेस को घेरा?

संसद सत्र के दौरान गृह मंत्री अमित शाह ने पोटा कानून का ज़िक्र कर कांग्रेस पर जमकर निशाना साधा। आइए जानते हैं क्या है यह कानून, जिसका ज़िक्र कर गृह मंत्री ने कांग्रेस को घेरा।

केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने लोकसभा में चर्चा की शुरुआत की। इस दौरान उन्होंने कांग्रेस पर निशाना साधते हुए पोटा कानून का ज़िक्र किया और कहा कि 2002 में अटल जी की एनडीए सरकार पोटा लेकर आई थी। तब पोटा पर किसने आपत्ति जताई थी? 2004 में कांग्रेस पार्टी के सत्ता में आने के बाद सोनिया गांधी-मनमोहन सिंह सरकार ने पोटा कानून को ख़त्म कर दिया। कांग्रेस ने किसके फ़ायदे के लिए पोटा को ख़त्म किया? गृह मंत्री ने जिस पोटा कानून 2002 का ज़िक्र किया है, उसने अपने समय में खूब सुर्खियाँ बटोरी थीं। आइए जानते हैं क्या है पोटा कानून, जिसका ज़िक्र कर अमित शाह ने लोकसभा में कांग्रेस पर जमकर निशाना साधा। साथ ही, यह भी जानें कि यह कानून क्यों बनाया गया था और इसे लेकर इतना विवाद क्यों हुआ और बाद में इसे क्यों रद्द कर दिया गया?

पोटा कानून 2002 क्या है?

पोटा के बारे में जानने से पहले यह जानना बेहद ज़रूरी है कि यह कानून क्यों लाया गया था। तो आपको बता दें कि पोटा, जिसका पूरा नाम आतंकवाद निरोधक अधिनियम, 2002 है, भारत में आतंकवाद से निपटने के लिए बनाया गया एक विशेष कानून था। 1999 में आईसी-814 अपहरण और 2001 में संसद भवन पर हुए आतंकवादी हमले और बढ़ते आतंकवादी खतरों के बाद, सरकार को एक सख्त कानून की ज़रूरत महसूस हुई। जिसके बाद इसे वर्ष 2002 में तत्कालीन एनडीए सरकार ने लागू किया ताकि आतंकवादी गतिविधियों पर सख़्ती से लगाम लगाई जा सके। इस अधिनियम के तहत किसी भी संदिग्ध को 180 दिनों तक हिरासत में रखा जा सकता है। आतंकवादी संगठनों से संबंध होने के संदेह पर गिरफ़्तारी। अगर आतंकवाद के लिए धन इकट्ठा किया जा रहा हो, तो उसे भी आतंकवादी कृत्य माना जा सकता है। फ़ोन टैपिंग, संपत्ति ज़ब्ती और गवाहों की गोपनीयता जैसे विशेष अधिकार भी इस अधिनियम के अंतर्गत आते थे।

इसे क्यों रद्द किया गया?

पोटा के तहत कई बड़े आतंकवादी मामलों में कार्रवाई की गई। इससे जाँच एजेंसियों को आतंकवादी संगठनों पर नकेल कसने और उनके नेटवर्क को तोड़ने में मदद मिली। लेकिन बाद में पोटा का दुरुपयोग एक बड़ा मुद्दा बन गया। कई मानवाधिकार संगठनों और राजनीतिक दलों ने आरोप लगाया कि इस कानून का इस्तेमाल निर्दोष लोगों के खिलाफ किया गया। विवादों के चलते, यूपीए सरकार ने सत्ता में आने के बाद 2004 में पोटा कानून को निरस्त कर दिया।

Comments About This News :

खबरें और भी हैं...!

वीडियो

देश

इंफ़ोग्राफ़िक

दुनिया

Tag