नई दिल्ली। उत्तराखंड में एक सुरंग के धंसने से 40 मजदूरों की जान सांसत में है। हालांकि 48 घंटे हो गए, लगातार रेस्क्यू भी जारी है, लेकिन अभी मलबा हटाने में सफलता नहीं मिली है। गौरतलब है कि राज्य के उत्तरकाशी में बीते रविवार को ब्रह्मखाल-यमुनोत्री राष्ट्रीय राजमार्ग पर सिलक्यारा से डंडालगांव के बीच निर्माणाधीन सुरंग धंसने के बाद से फंसे मजदूरों को सुरक्षित निकालने के लिए रेस्क्यू ऑपरेशन जारी है। टनल हादसे को 48 घंटे से ज्यादा हो गए हैं। अधिकांश मलबे को काट कर हटा दिया गया है। हालांकि अभी भी मलबा बचा हुआ है,
जिसके चलते मजदूरों की जान मुसीबत में फंसी हुई है। करीब 60 मीटर मलबे को काट दिया गया है और 30 से 35 मीटर का मलबा बचा हुआ है। रेस्क्यू अधिकारियों ने कहा कि पहला कदम फंसे हुए लोगों के साथ कम्युनिकेशन स्थापित करना था ताकि यह पुष्टि की जा सके कि वे सभी सुरक्षित हैं या नहीं। अधिकारियों ने कहा कि लोगों के पास ऑक्सीजन सिलेंडर तक पहुंच नहीं है, और उन्हें पानी की आपूर्ति के लिए इस्तेमाल की जाने वाली पाइप के माध्यम से अतिरिक्त ऑक्सीजन की आपूर्ति की जा रही है। सुरंग ढहने से ऑक्सीजन की आपूर्ति करने वाली एक बड़ी पाइप क्षतिग्रस्त हो गई थी। राज्य आपदा प्रतिक्रिया बल और राष्ट्रीय आपदा प्रतिक्रिया बल पुलिस और स्थानीय प्रशासन के साथ मिलकर मलबे को हटाने के लिए जेसीबी और भारी उत्खनन मशीनों से बचाव अभियान चला रहे हैं।
सुरंग निर्माण का काम संभाल रहे मैकेनिकल फोरमैन, शशि चौहान ने कहा कि लगभग 50-60 कर्मचारी अपनी रात की शिफ्ट खत्म करने के बाद दिवाली मनाने के लिए लौट रहे थे, जब सुरंग का एक हिस्सा लगभग 5.30 बजे ढह गया। उन्होंने कहा, शुरुआती कई घंटों तक, फंसे हुए लोग घबराए हुए थे, क्योंकि कोई कम्युनिकेशन नहीं था और उन्हें स्थिति के बारे में पता नहीं था। उनके पास वॉकी-टॉकी भी थे, लेकिन अतिरिक्त मलबा होने के कारण सिग्नल नहीं मिल रहा था। हालाँकि, आधी रात के आसपास, पाइप का उपयोग करके संचार स्थापित किया गया और इससे वे शांत हो गए। हम लगातार उनके संपर्क में हैं। जरुरत की हर चीज हम उन्हें वह उपलब्ध करा रहे हैं।
गौरतलब है कि ऑल वेदर रोड परियोजना के तहत नियोजित 4,531 मीटर लंबी सुरंग का निर्माण राष्ट्रीय राजमार्ग और बुनियादी ढांचा विकास निगम लिमिटेड (एनएचआईडीसीएल) की देखरेख में नवयुग इंजीनियरिंग द्वारा किया जा रहा है। इसके अगले साल फरवरी तक पूरा होने की उम्मीद थी। भारी उत्खनन मशीनों द्वारा हटाए गए मलबे को ट्रकों द्वारा ले जाया जा रहा है। अबतक लगभग 21 मीटर ढीला मलबा हटा दिया गया था, हालांकि अधिक मलबा गिरने से कुछ लाभ उलट गया और खुदाई केवल 14 मीटर तक कम हो गई। सचिव (आपदा प्रबंधन) रंजीत सिन्हा ने कहा कि गिरते मलबे से निपटने के लिए वे शॉटक्रीट विधि का उपयोग कर रहे हैं, जो अब तक आंशिक रूप से ही सफल रही है। एक अन्य विकल्प मलबे में छेद करने करने का है जिसके लिए देहरादून से एक मशीन आ रही है और बाद में अंदर फंसे लोगों को निकालने के लिए 900 मिमी स्टील पाइप डाला जाएगा।