नई दिल्ली । राष्ट्रीय राजधानी में सांसों पर पहरा इसी साल नहीं लगा, बल्कि यहां के प्रदूषण स्तर में 2021 से ही लगातार वृद्धि हो रही है। पीएम 2.5 का स्तर राष्ट्रीय व अंतरराष्ट्रीय दोनों मानकों द्वारा अनुशंसित सुरक्षित सीमा से अधिक हो गया है। दिल्ली ही नहीं, पिछले वर्ष की तुलना में मुंबई, हैदराबाद एवं कोलकाता में भी पीएम 2.5 का स्तर बढ़ गया है। दरअसल, रेस्पिरर रिपोर्ट्स नाम के विश्लेषण में वर्ष 2019 से 2023 के बीच देश के आठ प्रमुख शहरों में पीएम 2.5 की मौजूदगी का विश्लेषण किया गया है।
यह शहर हैं- दिल्ली, मुंबई, चेन्नई, कोलकाता, बेंगलूरु, लखनऊ, हैदराबाद, और पटना। विश्लेषण बताता है कि जहां एक ओर देश के चार महानगरों में पिछले साल के मुकाबले इस वर्ष पीएम 2.5 की मात्रा में वृद्धि हुई है, वहीं देश के सबसे बड़े राज्य उत्तर प्रदेश की राजधानी लखनऊ में पीएम 2.5 की मात्रा में कमी आई है। दक्षिण के राज्य तमिलनाडु की राजधानी चेन्नई सबसे कम प्रदूषित रही है, जहां पिछले वर्ष के मुकाबले पीएम 2.5 के स्तर में 23 प्रतिशत से ज्यादा की गिरावट देखी गई है। पटना और बेंगलुरु में भी वर्ष 2022 और 2023 के बीच पीएम 2.5 के स्तर में गिरावट दर्ज की गई है।
लखनऊ और पटना में वर्ष 2022 और 2023 के बीच अक्टूबर माह में भी पीएम 2.5 के स्तर में गिरावट हुई है। दिल्ली में वर्ष 2019 और 2020 के बीच पीएम 2.5 के स्तरों में काफी (32 प्रतिशत) देखी गई थी। वर्ष 2021 में भी इसमें 43.7 प्रतिशत की गिरावट दर्ज की गई थी। लेकिन 2022 और 2023 में इसमें लगातार बढ़ोत्तरी देखी गई है। दिल्ली में हवा की गुणवत्ता पिछले साल 4.4 प्रतिशत गिरी थी और यह 109.01 माइक्रोग्राम प्रति घन मीटर से बढ़कर 113.9 माइक्रोग्राम प्रति घन मीटर तक पहुंच गई थी। अक्टूबर 2023 में दिल्ली में पीएम 2.5 का स्तर केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (सीपीसीबी) की सुरक्षित सीमा 30 माइक्रोग्राम प्रति घन मीटर के मुकाबले 3.7 गुना जबकि विश्व स्वास्थ्य संगठन की सुरक्षित सीमा यानी 15 माइक्रोग्राम प्रति घन मीटर से 7.5 गुना ज्यादा था।