नई दिल्ली । मोदी सरकार आईपीसी को बदलकर भारतीय न्याय संहिता का नाम देने जा रही है। इसके तहत कुछ कानूनों में बदलाव होने और उनकी परिभाषा भी भारतीय संदर्भों की जाएगी। मोदी सरकार की मंशा है कि इसके जरिए भारत की न्याय प्रणाली से अंग्रेजराज की छाप हटा दी जाए। इसके लिए शीतकालीन सत्र में मोदी सरकार भारतीय न्याय संहिता वाले बिल को पारित कराना चाहेगी। इसके अलावा सीआरपीसी की जगह अब भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता लागू होगी।
एविडेंस एक्ट को भी भारतीय साक्ष्य बिल के तौर पर पेश किया जाएगा। इस तरह इन तीन कानूनों को बदलकर भारतीय न्याय प्रणाली का चेहरा ही बदलने की कोशिश होगी।आईपीसी, सीआरपीसी और एविडेंट एक्ट ब्रिटिशराज में लागू हुए थे और तब से अब तक चले आ रहे हैं। अब इन तीनों में बदलाव करने वाले विधेयकों को संसद से मंजूरी दिलाने की तैयारी है। हालांकि संसद से मंजूरी के बाद भी इन्हें तत्काल लागू नहीं किया जा सकेगा। सरकारी सूत्रों का कहना है कि इन विधेयकों को मंजूरी के बाद भी कई बदलाव करना होगा और इस 2024 के आम चुनाव के बाद ही लागू किया जा सकेगा।
इन तीनों विधेयकों को मोदी सरकार ने 11 अगस्त को संसद में पेश किया था। इन्हें सेलेक्ट कमेटी के समक्ष भेजा गया था, जिसने अपनी सिफारिशें दी हैं और अब फिर से इन्हें शीत सत्र में पेश करके सरकार पारित कराना चाहेगी। अधिकारियों का कहना है कि नए ऐक्ट आने के बाद क्रिमिनल कोड बदल जाएगा और उस लागू करने से पहले कुछ बदलाव करने होगा। इन्हें लागू करने की प्रक्रिया भी तय करनी होगी। ऐसे में पूरी प्रक्रिया में थोड़ा वक्त लगेगा, जो चुनाव के बाद ही पूरी हो सकेगी। अधिकारियों का कहना है कि भारतीय न्याय संहिता और भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता के तहत नए दर्ज होने वाले मामलों को ही डील किया जाएगा। पुराने केसों पर कोई असर नहीं होगा। इस तरह देश भर में हजारों केस आईपीसी और सीआरपीसी के तहत ही चलने वाले हैं।