जस्टिस एएस ओका और ऑगस्टिन जॉर्ज मसीह की पीठ ने पिछले साल 24 जुलाई को अपना फैसला सुरक्षित रख लिया था। सुप्रीम कोर्ट की वेबसाइट के मुताबिक जस्टिस ओका शुक्रवार को सुबह 10:30 बजे फैसला सुनाएंगे। इस्कॉन बैंगलोर ने 2 जून 2011 को सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर कर 23 मई 2011 के हाईकोर्ट के फैसले को चुनौती दी थी।
नई दिल्ली। सुप्रीम कोर्ट शुक्रवार को इस्कॉन बैंगलोर द्वारा कर्नाटक हाईकोर्ट के आदेश को चुनौती देने वाली याचिका पर अपना फैसला सुना सकता है, जिसने लंबे समय से चल रहे कानूनी विवाद में इस्कॉन मुंबई के पक्ष में फैसला सुनाया था। यह विवाद बेंगलुरु के प्रसिद्ध हरे कृष्ण मंदिर और शैक्षणिक परिसर के नियंत्रण को लेकर है।
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सुबह 10:30 बजे आएगा फैसला जस्टिस एएस ओका और ऑगस्टिन जॉर्ज मसीह की पीठ ने पिछले साल 24 जुलाई को अपना फैसला सुरक्षित रख लिया था। सुप्रीम कोर्ट की वेबसाइट के मुताबिक जस्टिस ओका शुक्रवार को सुबह 10:30 बजे फैसला सुनाएंगे। इस्कॉन बैंगलोर ने 2 जून 2011 को सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की थी, जिसमें उसने 23 मई 2011 के हाईकोर्ट के फैसले को चुनौती दी थी।
सुप्रीम कोर्ट ने गुरुवार को सभी राज्यों को एसआईटी गठित करने का निर्देश दिया, ताकि पता लगाया जा सके कि क्या कोई आरक्षित वन भूमि गैर-वानिकी उद्देश्यों के लिए निजी क्षेत्र को आवंटित की गई है।
मुख्य न्यायाधीश बीआर गवई, न्यायमूर्ति ऑगस्टीन जॉर्ज मसीह और न्यायमूर्ति के विनोद चंद्रन की पीठ ने राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों को ऐसी भूमि पर कब्जा वापस लेने और उसे वन विभाग को सौंपने का भी निर्देश दिया है।
पीठ ने कहा कि यदि यह पाया जाता है कि भूमि पर कब्जा वापस लेना व्यापक जनहित में नहीं होगा, तो सरकारों को उक्त भूमि की कीमत उन व्यक्तियों, संस्थाओं से वसूल करनी चाहिए, जिन्हें भूमि आवंटित की गई है। वसूली से प्राप्त राशि का उपयोग वनों के विकास के लिए किया जाना चाहिए।
पीठ ने सभी राज्यों के मुख्य सचिवों और केंद्र शासित प्रदेशों के प्रशासकों को एक विशेष टीम बनाने का भी निर्देश दिया, ताकि यह सुनिश्चित किया जा सके कि ऐसे सभी हस्तांतरण आज से एक साल के भीतर हो जाएं।
पीठ ने स्पष्ट किया कि ऐसी भूमि का उपयोग केवल वृक्षारोपण के लिए किया जाना चाहिए। शीर्ष अदालत ने पुणे में आरक्षित वन भूमि से संबंधित मामले में दिए गए फैसले में यह निर्देश जारी किया।
'वन्यजीव पारिस्थितिकी तंत्र को रोकने के लिए सख्त रुख की जरूरत'
पारिस्थितिकी तंत्र में गिरावट को देखते हुए वनस्पतियों और जीवों को खतरा पैदा हो गया है। इसके लिए अधिकारियों को दोषियों को दंडित करने के लिए सख्त रुख अपनाने की जरूरत है।
हालांकि, न्यायमूर्ति सुधांशु धूलिया और न्यायमूर्ति अहसानुद्दीन अमानुल्लाह की पीठ ने कहा कि किसी आरोपी के जीवन और स्वतंत्रता के अधिकारों के उल्लंघन का समर्थन तभी किया जाना चाहिए, जब अभियोजन मानकों को पूरा करता हो।