अंतरिक्ष में मानव जीवन की संभावनाओं का अध्ययन करने के लिए भारत एक अनूठा प्रयोग करने जा रहा है। एक्सिओम-4 मिशन के तहत भारतीय अंतरिक्ष यात्री शुभांशु शुक्ला अंतरराष्ट्रीय अंतरिक्ष स्टेशन (आईएसएस) पर जैविक प्रयोग करेंगे। इस दौरान वह विभिन्न शैवाल प्रजातियों की वृद्धि पर सूक्ष्म गुरुत्वाकर्षण के प्रभावों का विश्लेषण करेंगे और अंतरिक्ष यात्रियों के लिए विश्वसनीय खाद्य स्रोत खोजने का प्रयास करेंगे।
नई दिल्ली। अंतरिक्ष अन्वेषण के क्षेत्र में कई इतिहास रचने वाला भारत अब अंतरिक्ष में मानव के रहने की संभावना तलाशने की तैयारी में है। दुनिया में पहली बार भारत अंतरिक्ष में मानव के रहने की संभावना का अध्ययन करने के लिए जैविक प्रयोग करने जा रहा है। विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी राज्य मंत्री जितेंद्र सिंह ने पोस्ट किया, दुनिया में अपनी तरह की एक ऐतिहासिक पहल के तहत भारत अंतरिक्ष में मानव जीवन की स्थिरता का अध्ययन करने के लिए अंतरराष्ट्रीय अंतरिक्ष स्टेशन (आईएसएस) पर जैविक प्रयोग करने जा रहा है।
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एक्सिओम-4 मिशन के तहत किए जाएंगे प्रयोग ये प्रयोग भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) द्वारा जैव प्रौद्योगिकी विभाग (डीबीटी) के सहयोग से एक्सिओम-4 मिशन के तहत किए जाएंगे। भारतीय अंतरिक्ष यात्री ग्रुप कैप्टन शुभांशु शुक्ला इस मिशन का हिस्सा होंगे। यह परियोजना इसरो, नासा और डीबीटी की संयुक्त पहल है।
इसका उद्देश्य पृथ्वी की तुलना में अंतरिक्ष में विभिन्न शैवाल प्रजातियों के विकास मापदंडों और परिवर्तनों का विश्लेषण करना है। सरल शब्दों में, यह देखा जाएगा कि ये प्रजातियाँ पृथ्वी की तुलना में अंतरिक्ष में कैसे बढ़ती हैं।
मिशन के दौरान, खाद्य सूक्ष्म शैवाल की तीन प्रजातियों की वृद्धि, आनुवंशिक गतिविधि पर सूक्ष्म गुरुत्वाकर्षण के प्रभाव का भी अध्ययन किया जाएगा। इससे अंतरिक्ष के वातावरण में उपयोग के लिए सबसे उपयुक्त सूक्ष्म शैवाल प्रजातियों की पहचान करने में मदद मिलेगी।
दूसरे प्रयोग में यह पता लगाया जाएगा कि यूरिया और नाइट्रेट आधारित पोषक माध्यम का उपयोग करके स्पाइरुलिना और साइनोकोकस जैसे साइनोबैक्टीरिया सूक्ष्म गुरुत्वाकर्षण में कैसे बढ़ते हैं और प्रतिक्रिया करते हैं। इससे अंतरिक्ष यात्रियों के लिए एक विश्वसनीय भोजन स्रोत सुनिश्चित होगा। अंतरिक्ष में मांसपेशियों पर सूक्ष्म गुरुत्वाकर्षण के प्रभाव का भी अध्ययन किया जाएगा।