कर्नाटक वाल्मीकि घोटाले की जांच करते हुए ईडी ने कांग्रेस के तीन सांसदों और विधायकों के ठिकानों पर छापेमारी की। यह कार्रवाई धन शोधन निवारण अधिनियम के तहत की गई। आरोप है कि कर्नाटक महर्षि वाल्मीकि एसटी विकास निगम के खातों से निकाले गए पैसे का इस्तेमाल चुनाव खर्च में किया गया। यह बात सामने आई है कि इस पैसे का इस्तेमाल लोकसभा चुनाव के दौरान मतदाताओं को नकदी बांटने में किया गया।
नई दिल्ली। कर्नाटक वाल्मीकि घोटाले की जांच करते हुए ईडी ने कांग्रेस के तीन सांसदों और विधायकों के ठिकानों पर छापेमारी की। ये छापे बेल्लारी के कांग्रेस सांसद ई तुकाराम और तीन विधायकों के ठिकानों पर मारे गए हैं। अधिकारी ने यह जानकारी दी है। अधिकारी ने बताया कि धन शोधन निवारण अधिनियम (पीएमएलए) के प्रावधानों के तहत बेल्लारी में पांच और बेंगलुरु शहर में तीन ठिकानों पर छापेमारी की जा रही है।
क्या था आरोप?
इनमें तुकाराम और विधायक नारा भारत रेड्डी (बेल्लारी शहर), जे एन गणेश (कांपली) और एनटी श्रीनिवास (कुडलिगी) के घर शामिल हैं। सूत्रों ने बताया कि कर्नाटक महर्षि वाल्मीकि एसटी विकास निगम (केएमवीएसटीडीसी) के खातों से निकाले गए पैसे का इस्तेमाल चुनाव खर्च के लिए किए जाने के आरोप पर सबूत जुटाने के लिए तलाशी ली जा रही है।
मामला 2024 का है
ईडी के मुताबिक, इस पैसे का इस्तेमाल 2024 के लोकसभा चुनाव के दौरान बेल्लारी सीट के मतदाताओं और कांग्रेस कार्यकर्ताओं को नकदी बांटने के लिए किया गया था।
2024 के मनी लॉन्ड्रिंग मामले का खुलासा कर्नाटक पुलिस और केंद्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआई) द्वारा दर्ज की गई एफआईआर से हुआ है, जिसमें आरोप लगाया गया है कि फर्जी संस्थाओं के जरिए पैसे को लॉन्डर करने से पहले केएमवीएसटीडीसी से करोड़ों रुपये 'फर्जी खातों' में भेजे गए थे।
क्या था पूरा मामला?
कर्नाटक में अनुसूचित जनजाति (एसटी) समुदायों के लिए कल्याणकारी योजनाएं चलाकर उनके सामाजिक-आर्थिक विकास पर ध्यान केंद्रित करते हुए 2006 में निगम की स्थापना की गई थी। अनियमितताएं तब सामने आईं जब वाल्मीकि निगम के लेखा अधीक्षक चंद्रशेखरन पी पिछले साल 21 मई को मृत पाए गए।
उन्होंने एक सुसाइड नोट लिखा था जिसमें आरोप लगाया गया था कि निगम से विभिन्न बैंक खातों में अवैध रूप से धन हस्तांतरित किया गया। कर्नाटक के पूर्व आदिवासी मामलों के मंत्री बी नागेंद्र और उनसे कथित रूप से जुड़े पांच अन्य लोगों को ईडी ने इस मामले में गिरफ्तार किया था। नागेंद्र को बाद में जमानत मिल गई थी।