ऑपरेशन सिंदूर के बाद भारत-पाक के बीच संघर्ष विराम में अहम भूमिका निभाने वाले लेफ्टिनेंट जनरल राजीव घई एक बार फिर सुर्खियों में हैं। हाल ही में उन्हें उत्तम युद्ध सेवा मेडल से सम्मानित किया गया और डीजीएमओ के साथ-साथ डिप्टी चीफ ऑफ आर्मी स्टाफ (रणनीति) भी नियुक्त किया गया। उनकी बेटी शरण घई ने सोशल मीडिया पर एक भावुक पोस्ट शेयर की है।
नई दिल्ली। ऑपरेशन सिंदूर के बाद भारत और पाकिस्तान के बीच संघर्ष विराम का नेतृत्व करने वाले लेफ्टिनेंट जनरल राजीव घई एक बार फिर सुर्खियों में हैं। 4 जून को उन्हें उत्तम युद्ध सेवा मेडल (यूवाईएसएम) से सम्मानित किया गया। साथ ही सोमवार को उन्हें डीजीएमओ के साथ-साथ डिप्टी चीफ ऑफ आर्मी स्टाफ (रणनीति) भी नियुक्त किया गया है।
लेफ्टिनेंट जनरल राजीव घई की बेटी शरण घई ने अपने पिता के लिए एक भावुक पोस्ट शेयर की है। इस पोस्ट में उन्होंने अपने पिता को 'कूल' पिता बताया है।
राजीव घई की बेटी की पोस्ट
शरण घई ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म पर एक पोस्ट शेयर करते हुए लिखा,
पापा मुझे आप पर बहुत गर्व है। यह जानकर खुशी हुई कि अब हर कोई यह महसूस कर पा रहा है कि आप कितने शांत हैं। हमें पता था कि ऐसा जरूर होगा। आपको ढेर सारा प्यार। मैं यह देखने के लिए इंतजार नहीं कर सकता कि अब आपकी अगली उपलब्धि क्या होगी?
उत्तम युद्ध सेवा पदक से सम्मानित
आपको बता दें कि उत्तम युद्ध सेवा पदक एक उच्च युद्धकालीन सैन्य सम्मान है। आमतौर पर यह पदक संघर्ष के दौरान दी गई किसी असाधारण सेवा के लिए दिया जाता है। यह एक तरह का विशिष्ट सेवा पदक है, जो सेना के कई विभागों समेत सशस्त्र बलों को दिया जाता है।
ऑपरेशन सिंदूर का नेतृत्व किया
ऑपरेशन सिंदूर के दौरान लेफ्टिनेंट जनरल राजीव घई ने भारतीय सेना का नेतृत्व किया था। इस दौरान सेना ने पाकिस्तान के 9 आतंकी ठिकानों को निशाना बनाया और 100 से ज्यादा आतंकियों को मार गिराया।
भारत और पाकिस्तान के बीच संघर्ष विराम लागू
भारतीय सेना के हमलों से घबराया पाकिस्तान घुटनों पर आ गया। ऐसे में पाकिस्तान के डीजीएमओ ने भारतीय समकक्ष लेफ्टिनेंट राजीव घई को फोन कर तनाव खत्म करने की पेशकश की। इसके बाद ही दोनों देशों के बीच संघर्ष विराम लागू हुआ।
चिनार कोर का नेतृत्व कर चुके हैं
भारत के डीजीएमओ नियुक्त होने से पहले लेफ्टिनेंट जनरल राजीव घई जम्मू-कश्मीर में चिनार कोर का नेतृत्व भी कर चुके हैं। वे कुमाऊं रेजिमेंट के अनुभवी अधिकारियों में से एक हैं। मणिपुर में हालात बिगड़ने के बाद इस साल की शुरुआत में उन्होंने भारत-म्यांमार सीमा का दौरा भी किया था।