- पहले आसिम मुनीर को न्योता, फिर कश्मीर पर मध्यस्थता की बात...अचानक पाकिस्तान का दोस्त क्यों बन गया अमेरिका?

पहले आसिम मुनीर को न्योता, फिर कश्मीर पर मध्यस्थता की बात...अचानक पाकिस्तान का दोस्त क्यों बन गया अमेरिका?

ऑपरेशन सिंदूर के बाद पाकिस्तान के प्रति अमेरिकी रवैये में बदलाव देखने को मिल रहा है। अमेरिकी सेना के माइकल कुरिल्ला ने आतंकवाद से लड़ने में पाकिस्तान को अहम सहयोगी बताया है। पाकिस्तानी सेना प्रमुख असीम मुनीर को अमेरिकी सैन्य दिवस परेड में आमंत्रित किया गया है। व्हाइट हाउस ने संकेत दिया है कि राष्ट्रपति ट्रंप कश्मीर मुद्दे पर भारत और पाकिस्तान के बीच मध्यस्थता कर सकते हैं।

नई दिल्ली। ऑपरेशन सिंदूर की शुरुआत के साथ ही यह देखा जा रहा है कि पाकिस्तान के प्रति अमेरिकी प्रशासन का रवैया कुछ बदला है। बुधवार को यह बिल्कुल साफ हो गया है कि पहले जिस तरह से अमेरिका सीमा पार आतंकवाद के मुद्दे पर भारत के पक्ष में बोलता था, अब ऐसा नहीं दिख रहा है।

इस संबंध में पिछले कुछ घंटों में अमेरिकी सरकार ने तीन स्तरों पर ऐसे संकेत दिए हैं जो भारत की चिंताएं बढ़ाते हैं। सबसे पहले अमेरिकी सेना की सेंट्रल कमांड (यूएससीईएनटीकॉम) के प्रमुख माइकल कुरिल्ला ने कहा है कि आतंकवाद के खिलाफ लड़ाई में पाकिस्तान एक जबरदस्त साझेदार है।

अमेरिका का आसिम मुनीर को निमंत्रण


दूसरा, 14 मई को अमेरिकी सैन्य दिवस परेड में पाकिस्तान के सेना प्रमुख फील्ड मार्शल आसिम मुनीर को अतिथि के रूप में आमंत्रित किया गया है। तीसरा, व्हाइट हाउस ने संकेत दिया है कि राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप कश्मीर को लेकर भारत और पाकिस्तान के बीच हस्तक्षेप कर सकते हैं।

अमेरिकी सेंटकॉम के प्रमुख जनरल माइकल कुरिल्ला ने अमेरिकी सरकार की कानूनी संस्था हाउस कमेटी ऑन आर्म्ड सर्विसेज की सुनवाई में कहा कि, 'हमें भारत और पाकिस्तान दोनों के साथ संबंध बनाए रखने की जरूरत है। हम यह नहीं सोच सकते कि अगर हम भारत के साथ संबंध बनाए रखना चाहते हैं, तो हम पाकिस्तान के साथ संबंध नहीं रख सकते।'

पाकिस्तान को साझेदार बताया

उन्होंने कहा कि 'पाकिस्तान के साथ हमारी जबरदस्त साझेदारी रही है। पाकिस्तान ने ISIS-खुरासान के आतंकियों के खिलाफ काफी कार्रवाई की है, दर्जनों आतंकियों को मार गिराया है। अमेरिका के साथ सूचनाएं साझा की हैं और बड़े आतंकियों को पकड़ने में मदद की है।'

इस संबंध में उन्होंने अगस्त 2021 में 13 अमेरिकी सैनिकों की हत्या करने वाले आतंकी मोहम्मद सरीफुल्ला को अमेरिका प्रत्यर्पित किए जाने के मामले का भी जिक्र किया। इसके लिए राष्ट्रपति ट्रंप पहले भी कई बार पाकिस्तान का शुक्रिया अदा कर चुके हैं। इसके लिए सेंटकॉम चीफ ने भी पाकिस्तानी सेना प्रमुख की तारीफ की है, जिसमें बताया है कि कैसे उन्होंने सबसे पहले उन्हें सरिफुल्लाह की गिरफ्तारी के बारे में बताया था।

चीन के करीब है पाकिस्तान


अमेरिकी सेंटकॉम चीफ ने पाकिस्तान सरकार के इस तर्क का भी समर्थन किया है कि पाकिस्तान लंबे समय से आतंकवाद के खिलाफ लड़ रहा है। अमेरिकी सैन्य कमान के एक बेहद वरिष्ठ अधिकारी के उक्त बयान के चंद घंटों बाद ही यह जानकारी आई है कि पाकिस्तानी सेना प्रमुख फील्ड मार्शल मुनीर को अमेरिकी सैन्य समारोह में आमंत्रित किया गया है। यह समारोह 14 जून को है।

तीन दशक पहले जब पाकिस्तान और अमेरिकी सेना के बीच बेहद गहरे रिश्ते थे, तब पाक सेना प्रमुख का अमेरिका दौरा आम बात थी, लेकिन हाल के वर्षों में अमेरिकी सरकार ने पाक सेना से दूरी बनानी शुरू कर दी है। ऐसे में मुनीर के इस दौरे पर आश्चर्य जताया जा रहा है। इसके पीछे चीन के साथ अमेरिकी संबंधों के समीकरण को भी अहम माना जा रहा है। कभी अमेरिका का करीबी सहयोगी रहा पाकिस्तान आज चीन के करीब है।

रणनीतिक हितों पर नज़र रख रहा है अमेरिका


अब जबकि चीन और अमेरिका के बीच रिश्ते काफ़ी तल्ख़ हैं, तो अमेरिका शायद रणनीतिक हितों के मद्देनज़र पाकिस्तान को लुभाने की कोशिश कर रहा है. भारत ने इन दोनों गतिविधियों पर अभी तक कोई आधिकारिक बयान नहीं दिया है.

दूसरी ओर, मंगलवार को जब व्हाइट हाउस की प्रवक्ता टैमी ब्रूस से पूछा गया कि क्या राष्ट्रपति ट्रंप कश्मीर मुद्दे में हस्तक्षेप करेंगे, तो उनका जवाब था, 'मैं उनकी योजना के बारे में कुछ नहीं कह सकती लेकिन ट्रंप की आदत पूरी दुनिया जानती है. वो दुनिया में अकेले ऐसे व्यक्ति हैं जो दो लोगों को बात करवा सकते हैं जो कि असंभव माना जाता है. अगर वो ऐसा करते हैं तो किसी को आश्चर्य नहीं होना चाहिए.'

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