- लोन देने के नाम पर होने वाली ठगी पर लगेगी रोक, सरकार ला रही है कानून

लोन देने के नाम पर होने वाली ठगी पर लगेगी रोक, सरकार ला रही है कानून

लोन देने के नाम पर भोले-भाले लोगों को फंसाकर मोटी रकम ऐंठने वाले ऐप और एजेंसियों का रैकेट अब बंद होने जा रहा है। लोन देने के नाम पर ठगी करने वालों के खिलाफ सख्त कार्रवाई करने के लिए सरकार एक कानून ला रही है।

नई दिल्ली। लोन देने के नाम पर भोले-भाले लोगों को फंसाकर मोटी रकम ऐंठने वाले ऐप और एजेंसियों का रैकेट अब बंद होने जा रहा है। लोन देने के नाम पर ठगी करने वालों के खिलाफ सख्त कार्रवाई करने के लिए सरकार एक कानून ला रही है। इस प्रस्तावित कानून का नाम बैंकिंग ऑफ अनरेगुलेटेड लेंडिंग एक्टिविटीज (BULA) है, जिसे जल्द ही कैबिनेट की मंजूरी मिल सकती है।

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इस कानून के लागू होने के बाद चाहे कोई भी व्यक्ति व्यक्तिगत रूप से या डिजिटल माध्यम से कमर्शियल लोन देने का कारोबार करता हो, उसे RBI से या फिर स्टेट बैंक ऑफ इंडिया एक्ट 1955 या किसी राज्य के मनी लेंडिंग एक्ट के तहत मंजूरी लेना अनिवार्य होगा।

होगी सख्त कार्रवाई


मंजूरी न लेने वालों को भारी जुर्माने के साथ जेल भी जाना पड़ सकता है। दो से सात साल की कैद और दो लाख से एक करोड़ तक का जुर्माना प्रस्तावित है। किसी रिश्तेदार से लिए गए लोन को इस प्रस्तावित कानून के दायरे से बाहर रखा गया है। प्रस्तावित कानून की खास बात यह होगी कि लोन देने वाली एजेंसी या ऐप का सरकारी एजेंसी से अप्रूव्ड डेटाबेस होगा, जिस पर जाकर यह देखा जा सकेगा कि आप जिससे लोन ले रहे हैं, वह लोन देने का कारोबार करने के लिए अधिकृत है या नहीं। 



पिछले साल वित्त मंत्रालय ने जारी किया था प्रस्तावित कानून का मसौदा सरकार यह कानून मुख्य रूप से चीन और दूसरे देशों से संचालित डिजिटल लेंडिंग ऐप पर रोक लगाने के लिए ला रही है। चीन से संचालित ऐप ने लोगों को लोन देने के नाम पर ब्लैकमेल करना शुरू कर दिया था, जिसकी वजह से कई लोगों ने आत्महत्या भी कर ली थी। वित्त मंत्रालय ने जारी किया था मसौदा आरबीआई और वित्त मंत्रालय की सिफारिश पर ऐसे कई ऐप पर रोक लगाई गई, लेकिन यह स्थायी समाधान नहीं हो सका। इसी को ध्यान में रखते हुए पिछले साल वित्त मंत्रालय ने इस प्रस्तावित कानून का मसौदा जारी किया था, जिस पर हितधारकों से राय मांगी गई थी। 

ब प्रस्तावित कानून की तैयारी अपने अंतिम चरण में है। ऐसे मामलों के लिए विशेष न्यायालय का गठन किया जा सकता है। प्रस्तावित कानून के अनुसार, विनियामक की अनुमति के बिना ऋण देने वालों के खिलाफ कार्रवाई के लिए एक अलग टीम नियुक्त की जाएगी, जिसके पास ऐसे मामलों की जांच करने का अधिकार होगा। जरूरत पड़ने पर ऐसे मामलों के लिए विशेष न्यायालय का गठन भी किया जा सकता है। प्रस्तावित कानून में ऋण देने के नाम पर भ्रामक विज्ञापन करने वालों के खिलाफ भी कार्रवाई का प्रावधान है।

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विज्ञापनों पर भी रोक लगेगी 'कम ब्याज दर पर ऋण पाने के लिए संपर्क करें' या 'पांच मिनट में ऋण लें' जैसे विज्ञापन अक्सर देखने को मिलते हैं। इस तरह के विज्ञापनों पर भी रोक लगेगी। छह साल पहले सरकार ने अनियमित जमा के कारोबार पर लगाम लगाने के लिए कानून लाया था, जिसे पोंजी स्कीम के नाम से जाना जाता है। अब अनियमित ऋण पर रोक लगेगी। कानून में क्या होगा मंजूरी नहीं लेने वालों को भारी जुर्माने के साथ जेल भी जाना पड़ सकता है किसी रिश्तेदार से लिए गए ऋण को इस प्रस्तावित कानून के दायरे से बाहर रखा गया है ऋण देने वाली एजेंसी या ऐप का डेटाबेस बनाया जाएगा

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