प्रियंका गांधी ने कहा कि जिस विषय पर हम चर्चा कर रहे हैं, वह सिर्फ़ एक टॉपिक नहीं है, यह भारत की आत्मा का हिस्सा है। हमारा राष्ट्रगीत उसी भावना का प्रतीक है।
सोमवार को लोकसभा में वंदे मातरम के 150 साल पूरे होने के उपलक्ष्य में एक खास चर्चा चल रही थी। इस चर्चा के दौरान केरल के वायनाड से कांग्रेस सांसद प्रियंका गांधी वाड्रा ने व्यंग्य करते हुए कहा कि सरकार आज वंदे मातरम पर यह बहस इसलिए चाहती है क्योंकि बंगाल में चुनाव होने वाले हैं।
वंदे मातरम पर चर्चा के दौरान कांग्रेस सांसद प्रियंका गांधी ने कहा कि वंदे मातरम आधुनिक राष्ट्रवाद की अभिव्यक्ति है। वंदे मातरम पर बहस अजीब लगी। उन्होंने सवाल किया कि आज़ादी के 75 साल बाद आज वंदे मातरम पर बहस क्यों हो रही है?
'बहस के पीछे दो मकसद'
उन्होंने कहा कि इस बहस के पीछे दो मकसद हैं। पहला चुनावी मकसद है, क्योंकि अगले साल पश्चिम बंगाल में चुनाव होने हैं। इसलिए हमारे प्रधानमंत्री अपनी स्थिति मज़बूत करना चाहते हैं। दूसरा मकसद यह है कि सरकार उन लोगों पर नए आरोप लगाने का मौका चाहती है जिन्होंने आज़ादी के लिए लड़ाई लड़ी और देश के लिए बलिदान दिया। ऐसा करके सरकार देश का ध्यान लोगों के सामने आने वाले ज़रूरी मुद्दों से भटकाना चाहती है।
'प्रधानमंत्री अच्छे भाषण देते हैं, लेकिन तथ्यों के मामले में कमज़ोर हैं'
कांग्रेस सांसद ने आगे कहा कि प्रधानमंत्री मोदी अच्छे भाषण देते हैं, लेकिन जब तथ्यों की बात आती है तो वे पीछे रह जाते हैं। जिस तरह से पीएम मोदी तथ्यों को जनता के सामने पेश करते हैं, वह उनकी कला है। लेकिन मैं लोगों की प्रतिनिधि हूं, कलाकार नहीं।
'यह सिर्फ़ एक विषय नहीं, यह भारत की आत्मा का हिस्सा है'
प्रियंका गांधी ने कहा कि जिस विषय पर हम चर्चा कर रहे हैं, वह सिर्फ़ एक टॉपिक नहीं है, यह भारत की आत्मा का हिस्सा है। हमारा राष्ट्रगीत उसी भावना का प्रतीक है। इसने भारत के उन लोगों को जगाया जो गुलामी की ज़ंजीरों में सो रहे थे। आज की चर्चा एक भावना के बारे में है। जब हम वंदे मातरम नाम लेते हैं, तो हमारे दिलों में वही भावना जागती है। जब हम वंदे मातरम कहते हैं, तो हमें अपना पूरा इतिहास याद आता है।
उन्होंने आखिर में पूछा, "यहां हमारा मकसद क्या है?" लोगोंने हमें जो ज़िम्मेदारी सौंपी है, जो भरोसा हम पर किया है, और उनके प्रति हमारा जो कर्तव्य है, उसे हम कैसे पूरा कर रहे हैं? हमें यह जानकारी चाहिए। क्योंकि अब, इस स्टेज पर, हम इस सदन में अपने राष्ट्रगान पर बहस करने जा रहे हैं। आपने इस बहस की मांग की थी। आपने इसकी डिमांड की थी। आप चुनावी सुधारों पर बहस की बात नहीं कर रहे थे; आप कह रहे थे कि जब तक इस पर बहस नहीं होती, तब तक किसी और मामले पर चर्चा नहीं होनी चाहिए।