नई दिल्ली । दिल्ली सरकार ने मुख्य सचिव नरेश कुमार पर अस्पताल घोटाला करने का आरोप लगाया है। सरकार से जुड़े सूत्रों ने बताया कि बेटे की एक और कंपनी को दिल्ली सरकार के आईएलबीएस अस्पताल से बिना टेंडर एआई सॉफ्टवेयर बनाने का काम दिलवाया। जिससे उन्हें सैकड़ों करोड़ों का मुनाफा पहुंचाया गया। मुख्य सचिव नरेश कुमार आईएलबीएस अस्पताल के चेयरमैन हैं। विजिलेंस मंत्री आतिशी ने मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल को अस्पताल घोटाले की विस्तृत रिपोर्ट सौंपी है।
इससे पहले दिल्ली सरकार ने मुख्य सचिव पर द्वारका एक्सप्रेसवे परियोजना में भूमि अधिग्रहण घोटाले का आरोप लगाया था। मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल के निर्देश पर सतर्कता मंत्री आतिशी ने ईडी और सीबीआई के निदेशकों को पत्र लिखकर द्वारका एक्सप्रेसवे के लिए अधिग्रहीत भूमि का मुआवजा प्राप्त करने के मामले में मुख्य सचिव नरेश कुमार, दक्षिण पश्चिम दिल्ली के डीएम हेमंत कुमार और डिवीजन कमिश्नर अश्वनी कुमार की भूमिका की जांच करने की सिफारिश की है।
आतिशी ने अपने पत्र में बताया है कि सतर्कता विभाग की प्रारंभिक जांच में इन अधिकारियों के बड़े पैमाने पर भ्रष्टाचार में शामिल होने और पद का गलत इस्तेमाल करने के संकेत मिले हैं। ऐसे में यह मामला 1988 के सीबीआई भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम के तहत जांच के दायरे में आना चाहिए। मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल के निर्देश पर की गई प्रारंभिक जांच से पता चला कि जमीन 2015 में लाभार्थियों की आरे से सर्कल रेट के केवल 7 फीसदी पर खरीदी गई थी, इसलिए बाकी का 93 फीसदी भुगतान नकद में किए जाने की संभावना है। ये न केवल भ्रष्टाचार का मामला है, बल्कि इसमें मनी लॉन्ड्रिंग भी हो सकती है। ऐसे में यह मामला ईडी द्वारा जांच के लिए बिल्कुल सही है। मुख्यमंत्री ने मुझे सतर्कता विभाग की प्रारंभिक रिपोर्ट की एक कॉपी भेजने का निर्देश किया है, ताकि ईडी इस लेनदेन में शामिल लोगों के खिलाफ धन शोधन निवारण अधिनियम, 2002 के तहत मामले दर्ज कर उचित कार्रवाई करे।