- 22 दिन की उपस्थिति अनिवार्य, अल्पसंख्यक छात्रावासों के लिए बिहार सरकार ने लिया फैसला

22 दिन की उपस्थिति अनिवार्य, अल्पसंख्यक छात्रावासों के लिए बिहार सरकार ने लिया फैसला

अल्पसंख्यक छात्रावासों में छात्रों की घटती उपस्थिति को गंभीरता से लेते हुए सरकार ने महीने में 22 दिन की उपस्थिति अनिवार्य कर दी है। अल्पसंख्यक छात्रावासों के लिए यह निर्णय लिया गया है। विभिन्न जिलों से प्राप्त फीडबैक में 30-32 प्रतिशत छात्रों की उपस्थिति महीने में 15-16 दिन से कम पाई गई।

पटना। अल्पसंख्यक छात्रावासों में छात्रों की घटती उपस्थिति को गंभीरता से लेते हुए सरकार ने महीने में 22 दिन की उपस्थिति अनिवार्य कर दी है। इससे कम उपस्थिति होने पर मुख्यमंत्री अल्पसंख्यक कल्याण छात्रावास अनुदान योजना के तहत प्रतिमाह मिलने वाली एक हजार रुपये की राशि बंद कर दी जाएगी।

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अल्पसंख्यक कल्याण विभाग ने इससे संबंधित निर्देश सभी जिला अल्पसंख्यक कल्याण पदाधिकारियों को दे दिए हैं। साथ ही विभाग ने सभी 50 अल्पसंख्यक बालक/बालिका छात्रावासों में छात्रों की उपस्थिति की निगरानी कड़ी करने का निर्देश दिया है।

उपस्थिति को लेकर समीक्षा बैठक हुई थी


दरअसल, पिछले महीने अल्पसंख्यक कल्याण छात्रावासों में छात्रों की उपस्थिति को लेकर विभागीय स्तर पर समीक्षा बैठक हुई थी, जिसमें विभिन्न जिलों से प्राप्त फीडबैक में पता चला था कि 30-32 प्रतिशत छात्र महीने में 15-16 दिन से भी कम उपस्थित रहते हैं।

इसके बाद विभाग को सभी छात्रावासों में छात्रों की उपस्थिति बढ़ाने और उनके अभिभावकों को सूचित करने को कहा गया था। अब विभाग के सचिव मोहम्मद सोहेल ने मुख्यमंत्री अल्पसंख्यक कल्याण छात्रावास अनुदान योजना की प्रगति की समीक्षा की। इसके बाद उन्होंने स्पष्ट निर्देश दिए कि छात्रों की नियमित उपस्थिति सुनिश्चित की जाए।

अगर किसी छात्र की उपस्थिति महीने में 22 दिन से कम पाई जाती है तो उन्हें एक हजार रुपये की अनुदान राशि का भुगतान रोक दिया जाए। साथ ही, उन्होंने नई पहल करते हुए निर्देश दिया है कि अनुपस्थित छात्रों के अभिभावकों को पोस्टकार्ड के माध्यम से लिखित सूचना भेजी जाएगी। इसका उद्देश्य पारदर्शिता बढ़ाना और छात्रों की उपस्थिति में सुधार लाना है।

30 जिलों में अल्पसंख्यक बालक छात्रावास


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