लखनऊ । गुजरात और बिहार की तर्ज पर यूपी में राज्य की योगी सरकार शराबबंदी नहीं करेगी। यह बात गुरुवार को मानसून सत्र के दौरान विधानसभा में राज्य के आबकारी राज्यमंत्री स्वतंत्र प्रभार नितिन अग्रवाल ने साफ कर दी। साथ ही उन्होंने कहा कि शराबबंदी के कारण राजस्व में कमी आयेगी और फिर विकास योजनाएं प्रभावित होंगी।विधानसभा में सपा विधायक स्वामी ओमवेश और अभय सिंह ने शराबबंदी का मुद्दा उठाया। स्वामी ओमवेश ने कहा कि प्रदेश में शराब बिक्री के लिए आधार कार्ड अनिवार्य किया जाना चाहिए।
ताकि युवाओं को शराब नहीं मिले। आबकारी मंत्री ने कहा कि केंद्र सरकार के अधिनियम के अनुसार आधार कार्ड केवल उन्हीं सेवाओं में अनिवार्य किया जा सकता है जिसमें सरकार सब्सिडी या सुविधाएं देती है। हालांकि सरकार यह सुनिश्चित करती है कि 21 वर्ष से कम आयु के युवाओं को शराब नहीं बेची जाए। वहीं, सपा विधायक अभय सिंह ने लखनऊ की समिट बिल्डिंग में संचालित बार में नाबालिग युवक युवतियों को शराब पिलाने का मुद्दा उठाते हुए कहा कि राजधानी में आबकारी विभाग की अनदेखी के कारण मर्यादा शर्मशार हो रही है। उन्होंने विधायकों की एक कमेटी बनाकर समिट बिल्डिंग का निरीक्षण कराने का मुद्दा भी उठाया।
सरकार की ओर उत्तर देते हुए आबकारी राज्यमंत्री स्वतंत्र प्रभार नितिन अग्रवाल ने कहा कि प्रदेश में शराबबंदी नहीं की जाएगी। शराबबंदी करने से प्रदेश में अवैध शराब की तस्करी बढ़ेगी और राजस्व कम मिलने से विकास योजनाएं प्रभावित होंगी। उन्होंने कहा कि शराब की बिक्री से मिलने वाले राजस्व का उपयोग सरकार विकास योजनाओं पर करती है। शराबबंदी करने से उपभोक्ताओं को निर्धारिक मानक के अनुरूप मदिरा उपलब्ध नहीं हो सकेगी। इससे शराब की तस्करी बढ़ेगी। आबकारी मंत्री ने आरोप लगाया कि सपा सरकार के समय शराब माफिया नीतियां बनाते थे और सरकार चलाते थे। लेकिन योगी सरकार 2.0 में अवैध शराब से एक भी मौत नहीं हुई है।