नई दिल्ली। अपने मित्र नसरुल्ला से मिलने के लिए पाकिस्तान जाने और बाद में उससे शादी करने के कारण सुर्खियों में आई भारतीय महिला अंजू इस हफ्ते की शुरुआत में देश लौट आई। अंजू अब इस्लाम अपनाने के बाद फातिमा नाम से जानी जाती है। 29 नवंबर को नई दिल्ली के लिए उड़ान भरने की अनुमति देने से पहले पंजाब पुलिस की खुफिया इकाई ने अंजू से पूछताछ की। अंजू ने अधिकारियों को बताया कि उसने इस्लाम धर्म अपना कर नसरुल्लाह से शादी कर ली है। सूत्रों के मुताबिक हालांकि वह अपनी शादी का कोई प्रमाण नहीं दे सकी और उसके पास अपनी शादी से जुड़ा कोई दस्तावेज नहीं था।
सबसे बड़ी बात है कि अंजू ने भारत में रहने वाले अपने पहले पति अरविंद को तलाक देने के बाद अपनी पहली शादी से हुए बच्चों को पाकिस्तान ले जाने की अपनी योजना के बारे में भी बात की। जाहिर है कानूनी तौर पर तलाक के बाद ही अंजू को अपने बच्चों की कस्टडी मिल सकती है। अंजू और उसके पहले पति के बीच बच्चों की कस्टडी की लड़ाई में कानूनी मुद्दे शामिल हैं। इस मामले पर फैसला करते वक्त कई बातों पर विचार करना होगा, जिसमें बच्चों के अभ्यस्त निवास, राष्ट्रीयता, और तलाक या अलगाव की कार्यवाही कहां शुरू की गई थी, जैसे पेचीदे मुद्दे शामिल है। दोनों देशों में सांस्कृतिक मानदंड और धार्मिक प्रथाएं कस्टडी संबंधी फैसलों को प्रभावित कर सकती हैं।
सांस्कृतिक कारकों पर विचार करते समय न्यायालय बच्चे के सर्वोत्तम हितों को ध्यान में रख सकते हैं। दोनों पक्षों को दोनों देशों में कानूनी प्रणालियों की जटिलताओं से निपटने के लिए अंतरराष्ट्रीय परिवार कानून से परिचित कानूनी विशेषज्ञों की जरूरत हो सकती है। कानूनी प्रणालियों और देशों के बीच सहयोग में अंतर के कारण अंतरराष्ट्रीय सीमाओं के पार कस्टडी के आदेशों को लागू करना चुनौतीपूर्ण हो सकता है। कानूनों, प्रक्रियाओं और बच्चों की कस्टडी के मामलों की व्याख्याओं में अंतर के कारण एक देश में जारी किए गए अदालती आदेश दूसरे देश में खुद-ब-खुद मान्यता प्राप्त या लागू करने योग्य नहीं हो सकते हैं।