नई दिल्ली । दिल्ली की शिक्षा मंत्री आतिशी ने लगातार स्कूलों का निरीक्षण कर रही हैं। शनिवार को आतिशी मुनिरका गांव स्थित एमसीडी स्कूल पहुंची और यहां औचक निरीक्षण किया। निरीक्षण के दौरान शिक्षा मंत्री को कई गड़बड़ियां पता चलीं। उन्होंने पाया कि स्कूल में 19 में से मात्र 10 शिक्षक मौजूद थे। कई शिक्षक लंबे समय से गैरहाजिर थे। यहां तक कि स्कूल में काफी बच्चे भी अनुपस्थित थे। उन्होंने कहा कि मुख्यमंत्री केजरीवाल के नेतृत्व में सभी बच्चों को क्वालिटी एजुकेशन पर जोर दिया जा रहा है इसलिए कोताही को बर्दाश्त नहीं किया जाएगा।
उन्होंने कहा कि स्कूलों में जब इतनी बड़ी संख्या में शिक्षक ही नहीं होंगे तो कैसे होगी बच्चों की पढ़ाई? इस मामले में अधिकारी तुरंत संज्ञान लें। स्कूल के रखरखाव में लापरवाही और गंदगी, पढ़ाई को लेकर लापरवाही को देखते हुए स्कूल प्रमुख को एक सप्ताह का अल्टीमेट देते हुए शिक्षा मंत्री ने कहा कि वो स्कूल की समस्याओं को दूर करें। एक हफ्ते बाद दोबारा निरीक्षण होगा। अगर समस्या पाई गई तो कड़े नतीजे भुगतने के लिए तैयार रहें। शिक्षा मंत्री आतिशी ने अपने निरीक्षण में पाया कि इस स्कूल का शौचालय बदहाल हालत में था। फर्श और दीवारों पर गंदगी जमी हुई थी।
शिक्षा मंत्री ने पाया कि बच्चों की कॉपियां खाली पड़ी थीं। स्कूल की इस दशा को देखकर शिक्षा मंत्री ने स्कूल प्रमुख को फटकार लगाई और अल्टीमेटम देते हुए एक सप्ताह के भीतर इन सभी समस्याओं को ठीक करने का निर्देश दिया। निरीक्षण के दौरान शिक्षा मंत्री ने पाया कि स्कूल किसी एक क्लासरूम में लाइटें नहीं जल रही थी और बच्चे अंधेरे कमरे में बैठने को मजबूर थे। शिक्षा मंत्री ने कहा कि स्कूल में सफाई की बदतर स्थिति यहां पढ़ने वाले बच्चों के भविष्य के प्रति स्कूल प्रशासन के संवेदनहीन रवैये को दर्शाती है, जिसकी हमारी सरकार में कोई जगह नहीं है।
आतिशी ने यहां अटेंडेंस रजिस्टर भी चेक किया। उन्होंने पाया कि कुल 19 शिक्षकों में से 9 शिक्षक नदारद थे। इस कारण बच्चे क्लासरूम में खाली बैठने को मजबूर थे। कई शिक्षक ऐसे थे जो लंबे समय से अनुपस्थित थे और स्कूल में बच्चों की उपस्थिति भी काफी कम थी। स्कूल की इन समस्याओं को देखते हुए शिक्षा मंत्री ने स्कूल इंचार्ज को फटकार लगाई और कहा कि एमसीडी स्कूलों में गरीब परिवार के बच्चे आते हैं, इसका ये मतलब नहीं कि उन्हें बदहाल स्थिति में पढ़ने को मजबूर किया जाए। उन्होंने कहा कि पैरेंट्स भरोसे के साथ सरकारी स्कूलों में अपने बच्चों को पढ़ने के लिए भेजते हैं, ऐसे में स्कूल की ऐसी हालत बच्चों के भविष्य से खिलवाड़ है।