नई दिल्ली । टेलीकॉम ऑपरेटर कंपनी बीएसएनएल के ग्राहकों के लिए डेटा चोरी का खतरा मंडरा रहा है। मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, लाखों बीएसएनएल इंटरनेट और लैंडलाइन यूजर्स का चुराकर हैकर्स द्वारा डार्क वेब पर बेचा जा रहा है। ईटी की रिपोर्ट के अनुसार, डार्क वेब पर प्रेल नाम के हैकर से जुड़ा एक गंभीर मामला सामने आया है, जिसने एक टेलीकॉम कंपनी के यूजर्स, विशेष रूप से भारत में बीएसएनएल का फाइबर और लैंडलाइन कनेक्शन यूज करने वालों ग्राहकों के बारे में महत्वपूर्ण जानकारी प्राप्त करने का दावा किया है। पेरेल नाम से काम करने वाले इस हैकर ने चुराए गए डेटा के एक हिस्से को डार्क वेब पर उजागर किया है। डेटासेट में ईमेल एड्रेस, बिलिंग डिटेल, कॉन्टैक्ट नंबर और बीएसएनएल के फाइबर और लैंडलाइन यूजर्स से जुड़े अन्य पर्सनल डेटा जैसी संवेदनशील जानकारी शामिल हैं। इसके अलावा, ऐसा कहा जा रहा है कि मोबाइल सर्विस आउटेज रिकॉर्ड, नेटवर्क डिटेल, कम्प्लीटेड ऑर्डर और ग्राहक जानकारी से समझौता किया गया है।
हालांकि इस मामले से परिचित ने इस ब्रीच की गंभीरता पर बात करते हुए कहा कि यह ब्रीच बीएसएनएल ग्राहकों की गोपनीयता और सुरक्षा के लिए तत्काल खतरा पैदा करता है। हैकर द्वारा शेयर किए गए डेटा में लगभग 32,000 लाइन्स की जानकारी शामिल है, लेकिन हैकर का दावा है कि उसने सभी डेटाबेस से लगभग 2.9 मिलियन (29 लाख) लाइन्स का डेटा हासिल कर लिया है, जिसमें बीएसएनएल ग्राहकों के जिले वाइस डिटेल भी शामिल हैं। इस ब्रीच के संबंध में बीएसएनएल की ओर से कोई प्रतिक्रिया नहीं दी गई है लेकिन भारतीय साइबर सुरक्षा एजेंसी सर्ट-इन को कथित तौर पर इस हैकिंग घटना के बारे में सूचित किया गया है।
वहीं साइबर सिक्योरिटी एक्सपर्ट और इंडिया फ्यूचर फाउंडेशन के फाउंडर कनिष्क गौड़ ने इस ब्रीच पर गहरी चिंता व्यक्त की। उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि इस तरह के ब्रीच का बीएसएनएल और उसके यूजर्स दोनों पर गहरा प्रभाव पड़ सकता है। गौड़ ने इस ब्रीच की गंभीरता के बारे में बताते हुए कहा कि यह न केवल ग्राहकों की गोपनीयता को खतरे में डालता है बल्कि उन्हें पहचान की चोरी, वित्तीय धोखाधड़ी और टारगेट फिशिंग जैसे जोखिमों के लिए भी बताता है।