राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने कवि गुलजार और संस्कृत विद्वान रामभद्राचार्य को वर्ष 2023 के लिए 58वां ज्ञानपीठ पुरस्कार प्रदान किया। स्वास्थ्य कारणों से उपस्थित नहीं हो सके गुलजार को हिंदी सिनेमा और उर्दू शायरी में उनके योगदान के लिए जाना जाता है। रामभद्राचार्य तुलसी पीठ के संस्थापक हैं जिन्होंने 240 से अधिक पुस्तकें लिखी हैं। हिंदी लेखक विनोद कुमार शुक्ल को 2024 के लिए 59वां ज्ञानपीठ पुरस्कार मिलेगा।
नई दिल्ली। राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने शुक्रवार को प्रसिद्ध कवि-गीतकार गुलजार और संस्कृत विद्वान जगद्गुरु रामभद्राचार्य को वर्ष 2023 के लिए 58वां ज्ञानपीठ पुरस्कार प्रदान किया। गुलजार के नाम से मशहूर संपूर्ण सिंह कालरा हिंदी सिनेमा में उनके योगदान के लिए जाने जाते हैं। वह बेहतरीन उर्दू कवियों में से एक हैं। स्वास्थ्य कारणों से गुलजार समारोह में शामिल नहीं हो सके। चार महाकाव्यों समेत कई पुस्तकें लिखीं
संस्कृत के विद्वान रामभद्राचार्य चित्रकूट में तुलसी पीठ के संस्थापक और प्रमुख हैं। 75 वर्षीय रामभद्राचार्य ने चार महाकाव्यों समेत 240 से अधिक पुस्तकें और ग्रंथ लिखे हैं। रामभद्राचार्य को प्रशस्ति पत्र, नकद पुरस्कार और वाग्देवी सरस्वती की कांस्य प्रतिमा भेंट की गई। 1961 में स्थापित भारतीय ज्ञानपीठ पुरस्कार भारतीय भाषाओं के प्रख्यात साहित्यकारों को दिया जाता है। इस पुरस्कार से सम्मानित विद्वानों में फिराक गोरखपुरी, रामधारी सिंह दिनकर, आशापूर्णा देवी, महादेवी वर्मा, गिरीश कर्नाड शामिल हैं।
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हिंदी लेखक विनोद कुमार शुक्ल को वर्ष 2024 के लिए 59वें ज्ञानपीठ पुरस्कार के लिए नामित किया गया है। पुरस्कार समारोह में राष्ट्रपति ने कहा, रामभद्राचार्य जी ने उत्कृष्टता के प्रेरक उदाहरण प्रस्तुत किए हैं।
शारीरिक चुनौतियों के बावजूद अपनी दूरदर्शिता या कहें दिव्य दृष्टि से रामभद्राचार्य ने साहित्य और समाज की असाधारण सेवा की है। राष्ट्रपति ने पाणिनी की अष्टाध्यायी और ब्रह्मसूत्र तथा प्रमुख उपनिषदों पर उनके व्याख्यानों की भी प्रशंसा की। राष्ट्रपति ने 90 वर्षीय गुलजार को बधाई दी और उनके शीघ्र स्वस्थ होने की कामना की।
रामभद्राचार्य ने मात्र पांच वर्ष की आयु में भगवद गीता का अध्ययन शुरू किया और सात वर्ष की आयु में शिक्षकों के मार्गदर्शन में रामचरितमानस का पाठ किया। संस्कृत में उनकी दक्षता ने उन्हें विश्वविद्यालय की पढ़ाई में स्वर्ण पदक दिलाया। कविता, गद्य, पद्य के रचयिता रामभद्राचार्य को 2005 में साहित्य अकादमी पुरस्कार और 2015 में पद्म विभूषण समेत कई सम्मान मिल चुके हैं।
गुलजार का भारतीय साहित्य और उर्दू लेखन में उत्कृष्ट योगदान है। उनकी कविताएं जीवन की वास्तविकता का प्रतिबिंब हैं। उनके कुछ प्रमुख गीतों में मैंने तेरे लिए (आनंद), दिल ढूंढता है (मौसम) शामिल हैं। उन्हें सात बार राष्ट्रीय पुरस्कार मिला है और उन्होंने 21 फ़िल्मफ़ेयर पुरस्कार भी जीते हैं। गुलज़ार को 2002 में साहित्य अकादमी पुरस्कार, 2004 में पद्म भूषण, 2008 में स्लमडॉग मिलियनेयर के गीत जय हो के लिए अकादमी पुरस्कार और ग्रैमी पुरस्कार तथा 2013 में दादा साहब फाल्के पुरस्कार मिला।