रक्षा अधिकारियों ने बताया कि हाल ही में रक्षा अधिग्रहण परिषद ने अपनी बैठक में आपातकालीन शक्तियों के तहत अधिग्रहण को मंजूरी दी है। इस बैठक में रक्षा मंत्रालय के अधिकारियों समेत कई वरिष्ठ सैन्य अधिकारी भी शामिल हुए। रक्षा अधिग्रहण परिषद निगरानी ड्रोन, गोला-बारूद, विभिन्न प्रकार की वायु रक्षा प्रणाली, मिसाइल रॉकेट खरीदने पर मंथन कर रही है।
नई दिल्ली। पाकिस्तान के खिलाफ चल रहे ऑपरेशन सिंदूर के बीच रक्षा बलों को हथियार और गोला-बारूद खरीदने के लिए करीब 40,000 करोड़ रुपये की बड़ी मदद मिलने जा रही है।
निगरानी ड्रोन, अत्याधुनिक घातक ड्रोन खरीदे जाएंगे
रक्षा अधिकारियों ने बताया कि हाल ही में रक्षा अधिग्रहण परिषद ने अपनी बैठक में आपातकालीन शक्तियों के तहत अधिग्रहण को मंजूरी दी है। इस बैठक में रक्षा मंत्रालय के अधिकारियों समेत कई वरिष्ठ सैन्य अधिकारी भी शामिल हुए।
सेना आपातकालीन शक्तियों के तहत निगरानी ड्रोन, अत्याधुनिक घातक ड्रोन, लंबी दूरी के घातक हथियार, तोपखाने के लिए गोला-बारूद, विभिन्न प्रकार की वायु रक्षा प्रणाली और मिसाइल और रॉकेट जैसे उपकरण खरीदने पर ध्यान केंद्रित कर रही है।
आपातकालीन खरीद शक्तियों की यह पांचवीं किस्त है
सेना ने पाकिस्तान में लक्ष्यों पर ब्रह्मोस और स्कैल्प क्रूज मिसाइलें दागी थीं। जिन उपकरणों के सौदे किए जा रहे हैं, उन्हें सुरक्षा बलों को आपातकालीन शक्तियों के तहत तय समय सीमा के भीतर हासिल करना होगा। पिछले पांच वर्षों में रक्षा बलों को दी गई आपातकालीन खरीद शक्तियों की यह पांचवीं किस्त है।
सूत्रों ने बताया कि खरीद का काम सेना रक्षा वित्त शाखा के वित्तीय सलाहकारों की मदद से करेगी। रक्षा मंत्रालय सैन्य बलों के लिए दीर्घकालिक परियोजनाओं पर भी काम कर रहा है और वरिष्ठ अधिकारी इस संबंध में उद्योग नेतृत्व से मिल रहे हैं।
सौर रक्षा और एयरोस्पेस पर भी चर्चा हुई
इस संबंध में रक्षा मंत्रालय के अधिकारियों ने सौर रक्षा और एयरोस्पेस सहित सार्वजनिक क्षेत्र की इकाइयों और निजी उद्योग के वरिष्ठ नेतृत्व के साथ बैठकें की हैं। आपातकालीन खरीद शक्तियों ने सुरक्षा बलों को सुरक्षा चुनौतियों से निपटने के लिए आवश्यक उपकरण और गोला-बारूद खरीदने की अनुमति देकर बड़ी मदद की है।
लो लेवल रडार पर भी चर्चा हुई
भारतीय सेना और भारतीय वायुसेना ने आपातकालीन शक्तियों के तहत हेरॉन मार्क-II ड्रोन हासिल किए थे, जिनका इस्तेमाल ऑपरेशन सिंदूर के दौरान लाइव ऑपरेशन की निगरानी के लिए किया गया था।
भारत इलेक्ट्रॉनिक्स लिमिटेड जैसी सार्वजनिक क्षेत्र की इकाइयों को ऑपरेशन के दौरान ड्रोन का पता लगाने के लिए 10 और 'लो लेवल रडार' का ऑर्डर मिलने की उम्मीद है।
यह छह रडार के ऑर्डर के अतिरिक्त होगा
अधिकारी ने कहा कि यह छह रडार के ऑर्डर के अतिरिक्त होगा। ड्रोन निर्माण में लगी कई भारतीय कंपनियों को भी तीनों सेनाओं से ऑर्डर मिलने की उम्मीद है। सेनाओं की जरूरतों को पूरा करने के लिए भारत सरकार बजटीय आवंटन में अतिरिक्त धनराशि प्रदान करने पर भी विचार कर सकती है।