सुप्रीम कोर्ट ने मंत्री विजय शाह को फटकार लगाई है। इसके साथ ही कोर्ट ने उनकी माफी को खारिज कर दिया है और मामले की जांच के लिए एसआईटी का गठन किया है।
सुप्रीम कोर्ट ने कैबिनेट मंत्री कुंवर विजय शाह को भारतीय सेना की अधिकारी कर्नल सोफिया कुरैशी के खिलाफ की गई टिप्पणी के लिए फटकार लगाई है। कोर्ट ने मामले की जांच के लिए तीन वरिष्ठ आईपीएस अधिकारियों की एसआईटी गठित करने का आदेश दिया है। इसके अलावा कोर्ट ने मंत्री की माफी को 'मगरमच्छ के आंसू' बताया। सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि वह मंत्री द्वारा मांगी गई माफी को स्वीकार करने के लिए तैयार नहीं है। आपको बता दें कि सोफिया कुरैशी ने आतंकवाद के खिलाफ ऑपरेशन सिंदूर की जानकारी मीडिया को दी थी।
विजय शाह की माफी पर फटकार लगाई
सुप्रीम कोर्ट ने मंत्री विजय शाह की माफी पर भी सवाल उठाए। कोर्ट ने पूछा कि क्या यह कानूनी कार्रवाई से बचने के लिए 'मगरमच्छ के आंसू' हैं? सुप्रीम कोर्ट ने आगे कहा कि हमने आपके वीडियो देखे, आप अभद्र भाषा का इस्तेमाल करने की कगार पर थे। आप एक सार्वजनिक व्यक्ति हैं। एक अनुभवी राजनेता हैं। जनप्रतिनिधि होने के नाते आपको हर शब्द का इस्तेमाल सोच-समझकर करना चाहिए। यह सशस्त्र बलों के लिए एक महत्वपूर्ण मुद्दा है। हमें बहुत जिम्मेदार होने की जरूरत है।
एसआईटी करेगी मामले की जांच
मामले की सुनवाई करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने मध्य प्रदेश के मंत्री विजय शाह के खिलाफ एफआईआर की जांच के लिए तीन वरिष्ठ आईपीएस अधिकारियों की एसआईटी गठित करने को कहा है। सुप्रीम कोर्ट ने मध्य प्रदेश के डीजीपी को मंगलवार सुबह 10 बजे तक आईजी रैंक के अधिकारी की अध्यक्षता में एसआईटी गठित करने का निर्देश दिया। इसके साथ ही कोर्ट ने कहा कि एसआईटी में एसपी रैंक की एक महिला अधिकारी भी होगी। वहीं, यह एसआईटी 28 मई तक अपनी पहली रिपोर्ट पेश करे। यह एसआईटी मध्य प्रदेश के मंत्री विजय शाह द्वारा भारतीय सेना की अधिकारी कर्नल सोफिया कुरैशी के बारे में की गई टिप्पणी की जांच करेगी।
विपक्ष ने सरकार पर साधा निशाना
वहीं, इस मामले को लेकर विपक्ष ने सरकार को घेरा है। नेता प्रतिपक्ष उमंग सिंघार ने कहा कि सुप्रीम कोर्ट के आदेश और हाईकोर्ट के एफआईआर दर्ज करने के आदेश के बाद भी मुख्यमंत्री इस्तीफा नहीं दे रहे हैं। इस्तीफा न देना यह दर्शाता है कि विजय शाह का यह बयान, यह कृत्य भारतीय जनता पार्टी द्वारा पीछे से मौन स्वीकृति है। भाजपा दबाव और प्रभाव के माध्यम से यह दिखाना चाहती है कि हमने जो किया वह सही था। अगर मुख्यमंत्री संवेदनशील हैं तो उन्हें तुरंत इस्तीफा दे देना चाहिए। मुझे लगता है कि भारतीय जनता पार्टी धृतराष्ट्र की तरह हो गई है, जो बिस्तर पर पड़ा कराह रहा है। नेता प्रतिपक्ष उमंग सिंघार ने आगे कहा कि भारतीय जनता पार्टी को सच्चाई दिखाई नहीं देती। उनका जनभावनाओं से कोई लेना-देना नहीं है। भारतीय जनता पार्टी की सरकार संवेदनशीलता से कोसों दूर है।