मुरैना । विलुप्त प्राय: भारतीय जलीय जीव घडियाल के संरक्षण व संवर्द्धन के तहत आज 27 घडियाल चम्बल नदी के राजघाट पर छोड़े गये। इस वर्ष राष्ट्रीय चम्बल घडियाल अभ्यारण्य में 84 घडियाल छोडने के निर्धारित लक्ष्य में से अभी तक 52 घडियाल छोड़े जा चुके हैं। इस जलीय जीव का संरक्षण व संवर्द्धन देवरी घडियाल केन्द्र पर कृत्रिम वातावरण में किया जा रहा है। विदित हो कि वर्ष 1975 से 1977 तक विश्व व्यापी नदियों के सर्वे के दौरान 200 घडियाल पाये गये थे। इनमें से 46 घडियाल चम्बल नदी के प्राकृतिक वातावरण में स्वच्छद विचरण करते करते हुये मिले। भारत सरकार के वन एवं पर्यावरण मंत्रालय द्वाराचम्बल नदी के 435 किलोमीटर क्षेत्र को राष्ट्रीय चम्बल घडियाल अभ्यारण्य वर्ष 1980 में घोषित किया गया था। तभी से देवरी घडियाल केन्द्र पर कृत्रिम वातावरण में नदी से प्रतिवर्ष 200 अण्डे लाकर लालन- पालन किया जाता है। तीन वर्ष बाद इनको सेंचुरी में छोड़ा जाता है। इस वर्ष भीलक्ष्य के अनुसार घडियाल विमुक्त किये जा रहे हैं।
कुछ दिवस पूर्व नदी के बाबूसिंह घेरघाट पर भी 25 घडियाल छोड़े गये थे, इनमें से 13 मादा व 12 नर शामिल हैं। आज भी 14 मादा तथा 13 नर घडियाल राजघाट पर छोड़े गये हैं। देवरी घडियाल केन्द्र से घड़ियालों को बॉक्स में ले जायागया। इनके अलावा 32 नर-मादा घडियाल चम्बल नदी में छोड़े जायेंगे। संभवत वातावरण में धूप निकलने पर इन जलीय जीवों को श्योपुर जिले के क्षेत्र में मुक्त किया जायेगा। राजघाट पर वन विभाग के मुख्य वन संरक्षक वनवृत ग्वालियर टीएस सूल्या ने इन घडियालों को मुक्त करते हुये कहा किचम्बल नदी के जेव विविधता व पर्यावरण को शुद्ध रखने के लिये घडियाल आवश्यक है। वहीं 40 वर्ष से अधिक समय से घडियाल संरक्षण पर किये जा रहे कार्य से नदी में घडियालों की संख्या लगभग 2100 से अधिक हो गई है।
एशिया महाद्वीप की प्रदूषण मुक्त नदी चम्बल होने के कारण इसमें घडियाल, डोल्फिन व अन्य जलीय जीव विचरण कर रहे हैं। श्री सूल्या ने मीडिया के माध्यम से आम लोगों से अपील की है कि इन जलीय जीवों के संरक्षण में वन विभाग का सहयोग करें। जिससे नदी की प्राकृतिकता बनी रहेगी। आज घडियाल विमोचन कार्यक्रम के दौरान घडियाल अभ्यारण्य अधीक्षक भूरा गायकवाड़, रेंज आफिसर रिंकी आर्या, फोरेंस्टर ज्योति डण्डौतिया सहित वन विभाग के अधिकारी कर्मचारी उपस्थित थे।