नासिक सिंहस्थ कुंभ 2026 में पहली बार शाही स्नान की जगह अमृत स्नान का आयोजन किया जाएगा। मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस ने महंत राजेंद्रदास महाराज के सुझाव को स्वीकार कर लिया है। कुंभ मेला 31 अक्टूबर 2026 को शुरू होगा और पहला अमृत स्नान 2 अगस्त 2027 को होगा। अखिल भारतीय वैष्णव अखाड़े के अनुसार शाही स्नान की परंपरा मुगल काल में शुरू हुई थी, इसलिए इसमें बदलाव किया जा रहा है।
नई दिल्ली। नासिक सिंहस्थ कुंभ में पहली बार शाही स्नान की जगह अमृत स्नान का आयोजन किया जाएगा। शाही स्नान की परंपरा की जगह अमृत स्नान होगा। नासिक-त्र्यंबकेश्वर सिंहस्थ कुंभ मेला 31 अक्टूबर 2026 को नासिक के त्र्यंबकेश्वर और रामकुंड में पारंपरिक ध्वजारोहण के साथ शुरू होगा। रविवार को नासिक में महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस के साथ अखाड़ा परिषद और कुंभ मेला आयोजकों के साधुओं और महंतों की बैठक में यह फैसला लिया गया।
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बैठक के दौरान मुख्यमंत्री ने महंत राजेंद्रदास महाराज के इस सुझाव को स्वीकार किया कि 'शाही स्नान' को 'अमृत स्नान' कहा जाना चाहिए। इस बैठक में कुंभ मेले की बहुप्रतीक्षित तिथियों की भी घोषणा की गई।
प्रयागराज महाकुंभ में हुआ था अमृत स्नान
गौरतलब है कि प्रयागराज में हाल ही में संपन्न कुंभ मेले में भी 'अमृत स्नान' का आयोजन किया गया था। एएनआई के मुताबिक, अखिल भारतीय वैष्णव अखाड़े के प्रवक्ता महंत भक्ति चरण दास ने कहा, 'शाही स्नान' की परंपरा मुगल काल में शुरू हुई थी। इसलिए अब इस परंपरा को बदला जा रहा है।
विभिन्न अखाड़ों के संतों ने इस बात पर जोर दिया है कि स्नान समारोह आध्यात्मिक अनुशासन का प्रतीक होना चाहिए न कि शाही भव्यता का। 'अमृत स्नान' नाम पौराणिक समुद्र मंथन से लिया गया है, जहाँ दिव्य अमृत की बूँदें नासिक सहित कुंभ स्थलों पर गिरी थीं।
पहला 'अमृत स्नान' 2 अगस्त, 2027 को होगा
निर्धारित कार्यक्रम के अनुसार, 29 जुलाई, 2027 को नासिक में 'नगर प्रदक्षिणा' होगी। जबकि पहला 'अमृत स्नान' 2 अगस्त, 2027 को होगा। दूसरा अमृत स्नान 31 अगस्त, 2027 को होगा और तीसरा और अंतिम स्नान 11 सितंबर, 2027 को नासिक और 12 सितंबर, 2027 को त्र्यंबकेश्वर में होगा। पिछला सिंहस्थ कुंभ मेला वर्ष 2015-16 में नासिक और त्र्यंबकेश्वर में आयोजित किया गया था।