- मकर संक्रांति से पहले गजक व तिल के लड्डू से महकने लगा बाजार

मकर संक्रांति से पहले गजक व तिल के लड्डू से महकने लगा बाजार


-गजक, लड्डू, काजू पट्टी, काजू रोल, तिल की वर्फी के साथ विभिन्न प्रकार की गजक मिल रहे बाजार में


भोपाल । सर्दी के मौसम में मकर संक्रांति पर्व से पहले तिल की गजक व लड्डू से बाजार महकने लगे हैं। गजक, लड्डू, काजू पट्टी, काजू रोल, तिल की वर्फी के साथ विभिन्न प्रकार की गजक रोजाना तैयार की जा रही है। एक दुकान पर पचास से साठ किलो माल रोज तैयार हो रहा है। सर्दी के चलते बाजारों में गजक व तिल के मिष्ठानों की दुकानें सज चुकी हैं, जिनसे लोग जमकर खरीद कर रहे हैं। गजक और तिल-गुड़ के लड्डुओं की महक दुकानों की ओर आकर्षित कर रही है।

 

 

मकर संक्रांति पर तिल और गुड़ से बनी मिठाई का विशेष महत्व होता है और यही वजह है कि अब बाजारों में बड़ी तादाद में गुड़ और तिल से बनी मिठाई लोगों के लिए उपलब्ध है। मकर संक्रांति पर पूजा में इस्तेमाल के अलावा लोग इसका उपयोग दान-पुण्य में भी करते हैं। इस मकर संक्रांति पर बाजार में 15 से अधिक तरह की गजक लोगों के लिए उपलब्ध हैं। गजक व्यवसायी इस साल अच्छे व्यापार की उम्मीद जता रहे हैं।

 

कारोबार में मुनाफे की उम्मीद


गजक व्यवसायियों का कहना है कि सर्दी ज्यादा पडऩे के कारण इस साल बाजार में रौनक अच्छी है। इस मकर संक्रांति पर अच्छी ग्राहकी की उम्मीद है। इस त्योहार पर लोग तिल से बनी चीज दान करते हैं, जो शुभ माना जाता है। सबसे ज्यादा सादा गजक और तिल के लड्डू की डिमांड रहती है। वहीं गजक के भाव की बात की जाए तो सादा गजक 300, तिल से बने लड्डू 340, तिल की बर्फी 340, काजू पट्टी 550, काजू रोल 550 रुपए प्रति किलो हैं। मकर संक्रांति पर तिल का है विशेष महत्व: मकर संक्रांति हिंदुओं के पवित्र त्यौहार में से एक है। हिंदू मान्यताओं के अनुसार जब सूर्य धनु राशि को छोडक़र मकर राशि में प्रवेश करता है तब यह त्यौहार मनाया जाता है। मकर संक्रांति पर सफेद और काले तिल का भी विशेष महत्व है। इस दिन लोग स्नान इत्यादि करने के बाद काले और सफेद तिल से बनीं वस्तुओं का दान करते हैं।

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