तमिलनाडु के शिवगंगा जिले में सुरक्षा गार्ड अजीत कुमार की हिरासत में मौत के मामले में मद्रास हाईकोर्ट ने कड़ा रुख अपनाया है। कोर्ट ने टिप्पणी की कि अजीत की जिस तरह से पिटाई की गई, वैसा तो कोई हत्यारा भी नहीं करेगा। कोर्ट ने जिला जज को जांच कर 8 जुलाई तक रिपोर्ट सौंपने का आदेश दिया है।
नई दिल्ली। तमिलनाडु के शिवगंगा जिले में सुरक्षा गार्ड अजीत कुमार की हिरासत में मौत के मामले में 5 पुलिसकर्मियों को गिरफ्तार किया गया है। इस मामले की सुनवाई मद्रास हाईकोर्ट में चल रही है। कोर्ट ने टिप्पणी की कि अजीत की जिस तरह से पिटाई की गई, वैसा तो कोई हत्यारा भी नहीं करेगा।
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मद्रास हाईकोर्ट की मदुरै बेंच ने जिला जज को जांच कर यह आदेश दिया है कि सुरक्षा गार्ड की मौत हिरासत में हत्या का मामला है या नहीं। जज को 8 जुलाई तक विस्तृत रिपोर्ट सौंपने को कहा गया है, जबकि तमिलनाडु पुलिस को जांच में मदद के लिए सीसीटीवी फुटेज समेत सभी सबूत सौंपने का निर्देश दिया गया है।
जानिए हाईकोर्ट ने क्या कहा?
पीठ ने टिप्पणी की, "अजित की मौत उसके पूरे शरीर पर गंभीर हमले के बाद हुई। इस अदालत को लगता है कि एक हत्यारा भी इस तरह से हमला नहीं करेगा।" अदालत ने यह भी कहा, "कुछ सबूत नष्ट कर दिए गए हैं। ऐसा लगता है कि जांच अधिकारी ने सभी सबूत एकत्र नहीं किए हैं।" तमिलनाडु जैसे उच्च शिक्षित राज्य में इस तरह के मामले को खतरनाक बताते हुए हाईकोर्ट ने राज्य को वरिष्ठ अधिकारियों सहित सभी जिम्मेदार अधिकारियों के खिलाफ कार्रवाई करने और रिपोर्ट दाखिल करने का भी निर्देश दिया।
अदालत ने पहले भी पुलिस के रवैये पर सवाल उठाए थे। अदालत ने पहले कहा था, अजित की मौत तिरुपुवनम में हुई, जहां उसकी जांच की गई, लेकिन उसके शव को मदुरै क्यों ले जाया गया? क्या सीसीटीवी कैमरों से बचने के लिए ऐसा किया गया? विशेष पुलिस दल को जांच का जिम्मा संभालने के लिए किसने अधिकृत किया? आभूषण चोरी के कथित मामले में कोई प्राथमिकी क्यों दर्ज नहीं की गई, जिसके कारण उसे हिरासत में लिया गया? क्या पुलिस उसी तरह प्रतिक्रिया करती अगर उनके परिवार का कोई सदस्य हिरासत में मर जाता?