मोदी सरकार ने रोजगार सृजन को बढ़ावा देने के लिए रोजगार से जुड़ी प्रोत्साहन (ईएलआई) योजना को मंजूरी दे दी है। इस योजना के तहत अगले दो साल में 3.5 करोड़ नौकरियां पैदा करने का लक्ष्य है। सरकार ने इसके लिए 1.07 लाख करोड़ रुपये की राशि मंजूर की है। सरकार युवाओं को पहली बार नौकरी देने वाली कंपनियों को दो महीने का वेतन (अधिकतम 15000 रुपये) देगी।
नई दिल्ली। मोदी सरकार के तीसरे कार्यकाल में रोजगार और नौकरियों पर चल रही नीतिगत फोकस के तहत केंद्रीय मंत्रिमंडल ने मंगलवार को एक अहम फैसला लेते हुए अगले दो साल में 3.5 करोड़ नौकरियां पैदा करने के लिए रोजगार से जुड़ी प्रोत्साहन (ईएलआई) योजना को मंजूरी दे दी। इस योजना के तहत केंद्र सरकार ने 1.07 लाख करोड़ रुपये की राशि मंजूर की है।
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यह योजना कर्मचारी भविष्य निधि संगठन (ईपीएफओ) द्वारा चलाई जाएगी। ईएलआई योजना का मकसद निजी क्षेत्र में रोजगार के बड़े अवसर पैदा करना है। इससे न सिर्फ युवाओं को रोजगार मिलेगा, बल्कि निजी क्षेत्र की कंपनियों को भी फायदा होगा। सरकार इन कंपनियों में पहली बार नौकरी पाने वाले युवाओं को दो महीने का अधिकतम 15,000 रुपये वेतन देगी।
मैन्युफैक्चरिंग सेक्टर पर खास फोकस
इसके अलावा सरकार कम से कम छह महीने तक लगातार नौकरी करने वाले प्रत्येक अतिरिक्त कर्मचारी के लिए नियोक्ताओं को दो साल तक 3,000 रुपये प्रति माह तक की प्रोत्साहन राशि भी देगी। इस योजना के तहत अगले दो साल में कर्मचारी भविष्य निधि संगठन (ईपीएफओ) द्वारा संचालित सामाजिक सुरक्षा योजनाओं के जरिए रोजगार सृजित किए जाएंगे, जिसमें मैन्युफैक्चरिंग सेक्टर पर खास फोकस रहेगा।
इसका मुख्य उद्देश्य नौकरियों और रोजगार में सामाजिक सुरक्षा का कवच प्रदान करना भी है। ईएलआई योजना की घोषणा केंद्रीय बजट 2024-25 में प्रधानमंत्री की पांच योजनाओं के पैकेज के हिस्से के रूप में की गई थी, जिसका कुल बजट 2 लाख करोड़ रुपये है। इसी के तहत मंगलवार को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता में कैबिनेट ने ईएलआई योजना के लिए आवंटन राशि को मंजूरी दे दी।
अश्विनी वैष्णव ने क्या कहा?
कैबिनेट के इस फैसले की जानकारी साझा करते हुए केंद्रीय सूचना एवं प्रसारण मंत्री अश्विनी वैष्णव ने कहा कि विनिर्माण क्षेत्र पर विशेष ध्यान देने के साथ सभी क्षेत्रों में रोजगार सृजन, रोजगार क्षमता और सामाजिक सुरक्षा का समर्थन करने के लिए ईएलआई योजना को मंजूरी दी गई है। कैबिनेट के फैसले को लेकर जारी बयान में कहा गया है कि ईएलआई योजना का उद्देश्य दो वर्षों में देश में 3.5 करोड़ से अधिक नौकरियों के सृजन को प्रोत्साहित करना है।
इनमें से 1.92 करोड़ लाभार्थी वे होंगे जो पहली बार नौकरी पाकर कार्यबल में प्रवेश करेंगे। यह योजना 1 अगस्त 2025 से 31 जुलाई 2027 के बीच सृजित रोजगार पर लागू होगी। योजना के दो भाग योजना के दो भाग हैं: भाग-ए पहली बार आवेदन करने वालों पर केंद्रित है, जबकि भाग-बी नियोक्ताओं पर केंद्रित है। ईपीएफओ में पहली बार पंजीकृत कर्मचारियों को ध्यान में रखते हुए पहले भाग में एक महीने का ईपीएफ वेतन 15,000 रुपये तक दो किस्तों में दिया जाएगा।
एक लाख रुपये तक के वेतन वाले कर्मचारी इसके लिए पात्र होंगे। पहली किस्त छह महीने की सेवा के बाद और दूसरी किस्त 12 महीने की सेवा और कर्मचारी द्वारा वित्तीय साक्षरता कार्यक्रम पूरा करने के बाद देय होगी। बचत की आदत को प्रोत्साहित करने के लिए प्रोत्साहन राशि का एक हिस्सा एक निश्चित अवधि के लिए जमा खाते के बचत साधन में रखा जाएगा और कर्मचारी द्वारा बाद में निकाला जा सकता है। भाग ए से लगभग 1.92 करोड़ पहली बार नौकरी करने वाले कर्मचारियों को लाभ होगा।
दूसरे भाग में सभी क्षेत्रों में अतिरिक्त रोजगार सृजन को शामिल किया जाएगा, जिसमें निर्माण क्षेत्र पर विशेष ध्यान दिया जाएगा। नियोक्ताओं को 1 लाख रुपये तक के वेतन वाले कर्मचारियों के संबंध में प्रोत्साहन मिलेगा। सरकार नियोक्ताओं को कम से कम छह महीने तक लगातार रोजगार वाले प्रत्येक अतिरिक्त कर्मचारी के लिए दो साल तक 3,000 रुपये प्रति माह तक का प्रोत्साहन देगी।
निर्माण क्षेत्र के लिए प्रोत्साहन को तीसरे और चौथे वर्ष तक भी बढ़ाया जाएगा। ईपीएफओ के साथ पंजीकृत प्रतिष्ठानों को कम से कम छह महीने के लिए निरंतर आधार पर कम से कम दो अतिरिक्त कर्मचारियों (50 से कम कर्मचारियों वाले नियोक्ता के लिए) या पांच अतिरिक्त कर्मचारियों (50 या अधिक कर्मचारियों वाले नियोक्ता के लिए) को नियोजित करना आवश्यक होगा।